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यहां क्यों बजाई थी श्रीकृष्ण ने महाभारत की रणभेड़ी, जानिए वो रहस्य जिसने अंत किया अधर्म का
रामायण व महाभारत दो महाग्रंथ है जो हमें जीवन जीने की कला सीखाते हैं। गीता का उपदेश श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में ही दिया था और इसी जगह महाभारत का युद्ध भी हुआ था। इस युद्ध से जुड़े कई रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है।
जयपुर: रामायण व महाभारत दो महाग्रंथ है जो हमें जीवन जीने की कला सीखाते हैं। गीता का उपदेश श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में ही दिया था और इसी जगह महाभारत का युद्ध भी हुआ था। इस युद्ध से जुड़े कई रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है। इन्हीं रहस्यों में एक है कि कुरुक्षेत्र में ही क्यों हुआ था महाभारत का युद्ध। महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया। कुरुक्षेत्र में युद्ध लड़े जाने का फैसला भगवान श्री कृष्ण का था।
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संसार का सबसे भयंकर युद्ध था महाभारत। उससे पहले न तो कभी ऐसा युद्ध हुआ था और न ही भविष्य में कभी ऐसा युद्ध होने की संभावना है। कुरुक्षेत्र को महाभारत के युद्ध के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने ही चुना था, लेकिन क्यों चुना, इसके पीछे एक गहरा रहस्य छुपा है। शास्त्रों के मुताबिक, महाभारत का युद्ध जब तय हो गया तो उसके लिये जमीन तलाश की जाने लगी। भगवान श्रीकृष्ण इस युद्ध के जरिए धरती पर बढ़ते पाप को मिटाना चाहते थे और धर्म की स्थापना करना चाहते थे।
मान्यताएं
कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण को ये डर था कि भाई-भाइयों के, गुरु-शिष्यों के और सगे-संबंधियों के इस युद्ध में एक दूसरे को मरते देखकर कहीं कौरव और पांडव संधि न कर लें। इसलिए उन्होंने युद्ध के लिए ऐसी भूमि चुनने का फैसला किया, जहां क्रोध और ईर्ष्या पर्याप्त मात्रा में हों। इसके लिए श्रीकृष्ण ने अपने दूतों को सभी दिशाओं में भेजा और उन्हें वहां की घटनाओं का जायजा लेने को कहा। सभी दिशाओं के बारे में उन्होंने श्रीकृष्ण को बताया।
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उसमें से एक दूत ने एक घटना के बारे में बताया कि कुरुक्षेत्र में एक बड़े भाई ने अपने छोटे भाई को खेत की मेंड़ टूटने पर बहते हुए वर्षा के पानी को रोकने के लिए कहा, लेकिन उसने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया। इस पर बड़ा भाई गुस्से से आग बबूला हो गया और उसने छोटे भाई को छुरे से गोद कर मार डाला और उसकी लाश को घसीटता हुआ उस मेंड़ के पास ले गया और जहां से पानी निकल रहा था वहां उसकी लाश को पानी रोकने के लिए लगा दिया। दूत द्वारा सुनाई इस सच्ची घटना को सुनकर श्रीकृष्ण ने तय किया कि यही भूमि भाई-भाई, गुरु-शिष्य और सगे-संबंधियों के युद्ध के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
श्रीकृष्ण को पूरा विश्वास था कि इस भूमि के कारण यहां पर भाइयों के युद्ध में एक दूसरे के प्रति प्रेम नहीं होने देंगे। इसके बाद उन्होंने महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में करवाने का ऐलान किया । महाभारत की यह कथा से जानकारी मिलती है कि शुभ और अशुभ विचारों एवं कर्मों के संस्कार भूमि में देर तक रहते हैं। इसीलिए ऐसी भूमि में ही निवास करना चाहिए जहां शुभ विचारों और शुभ कार्यों का समावेश हो।
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