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चंदन नहीं वरदान है ये: इसे सिर्फ लकड़ी न समझें, है बहुत कारगर

चंदन महत्‍वपूर्ण और पवित्र है जो पाप का नाश करता है व आपदा का हरण कर लक्ष्‍मी की सदैव रक्षा करता है। चंदन जहां मानव जाति की धार्मिक भावानाओं से जुड़ा हुआ है वहीं मनुष्‍य के निजी जीवन में प्रयोग की वस्‍तुओं में भी काम आता है।

Shivakant Shukla
Published on: 13 Jan 2020 8:27 AM GMT
चंदन नहीं वरदान है ये: इसे सिर्फ लकड़ी न समझें, है बहुत कारगर
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दुर्गेश पार्थ सारथी

चंदन का भारतीय जीवन शैली में आनादि काल से धार्मिक महत्‍व रहा है। वेदों में वर्णित इसकी महिमा, गुण और उपयोगिता वैज्ञानिक कसौटी पर भी खरी उतरती है। इसके पेड़ को इश्‍वरीय विभूतियों व दैवीय शक्तियों से युक्त बताया गया है। आज समय बदला है। मान्‍यताएं भी बदल रहीं हैं। लेकिन भारतीय संस्‍कृति में चंदन के प्रति लोगों की आस्‍था ज्‍यों की त्‍यों हैं।

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सुगंधयुक्‍त चंदन की लकड़ी का धार्मिक लोग बहुत सम्‍मान करते हैं व इसे पवित्र मानते हैं। शास्‍त्रों के अनुसार गंगा, मृत्तिका, गोपी-चंदन से उर्ध्‍वपुंड भस्‍म से त्रिपुंड और श्रीखंड चंदन से दोनों प्रकार का तिलक करने का विधान है। प्रयोग परिजात के अनुसार उत्‍सव की रात्रि में चंदन लगाना चाहिए-

'उभयं चंदननेनैव अभ्‍यंगोत्‍सव रात्रिषु।।'

भारत में शक्तिपूजा, सूर्य, हनुमान, भैरव, दुर्गा, आदि देवी-देवताओं की आराधना में जहां रक्‍त चंदन को तिलक के लिए प्रयोग में लाया जाता है वहीं आलग्राम, तुलसी आदि की पूजा-अर्चना में श्‍वेत चंदन को तिलक के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

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चंदन शीतलता तथा शांति का प्रतीक भी है

धर्मशास्‍त्रों के अनुसार भगवान के चढ़ावे से बचे हुए चंदन को तिलक के रूप में लगाना चाहिए। चंदन से बनी माता का उपयोग देवी-देवताओं के जाप के लिए किया जाता है। अनेक कार्य सिद्धियों में चंदन से भोजपत्र पर मंत्र भी लिखे जाते हैं। चंदन शीतलता तथा शांति का प्रतीक भी है। मनुष्‍य में सद्व्‍यवहार तथा मानसिक संतुलन पैदा करने के लिए इस मंगलमय पदार्थ को ललाट पर लगाते हैं-

chandan

'चंदनस्‍य महत्‍वपूर्ण पवित्रं पापनाशनम् ।

आपदाम हरते नित्‍यं लक्ष्मि तिष्‍ठति सर्वदा।।'

अर्थात- चंदन महत्‍वपूर्ण और पवित्र है जो पाप का नाश करता है व आपदा का हरण कर लक्ष्‍मी की सदैव रक्षा करता है। चंदन जहां मानव जाति की धार्मिक भावानाओं से जुड़ा हुआ है वहीं मनुष्‍य के निजी जीवन में प्रयोग की वस्‍तुओं में भी काम आता है।

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विवाह जैसे पवित्र एवं मांगलिक अवसर पर वधु पक्ष द्वारा अन्‍य मांगलिक वस्‍तुओं के साथ-साथ चंदन की लकड़ी वरपक्ष को भेंट की जाती है। जहां इसकी लकड़ी का उपयोग धार्मिक कर्मकांड, हवन-पूजन आदि में करते हैं, वहीं इसकी लकडियों के छिलके से बना हार दिवंत आत्‍मा की तस्‍वीर पर भी चढ़ाया जाता है। आयुर्वे के अनुसार चंदन का हर भाग औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। सिर दर्द आदि रोगों में चंदन का गाढ़ा लेप व तेल बड़ा प्रभावी सिद्ध होता है।

Shivakant Shukla

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