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Srimad Bhagavad Gita: महाभारत का अभिन्न अंग है श्रीमद्भगवद्गीता

Srimad Bhagavad Gita: हम जानते हैं कि श्रीमद्भगवद्गीता भीष्म पर्व के अंतर्गत आता है। भीष्म पर्व के अंतर्गत कई अनुपर्व हैं। जैसे - जम्बूविनिर्माण पर्व, भूमि पर्व, श्रीमद्भगवद्गीता पर्व तथा भीष्म-वध पर्व। महाभारत में भीष्म पर्व के २५ वें अध्याय से श्रीमद्भगवद्गीता प्रारंभ होता है और ४२ वें अध्याय में समाप्त होता है।

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Published on: 10 April 2023 1:50 AM IST
Srimad Bhagavad Gita: महाभारत का अभिन्न अंग है श्रीमद्भगवद्गीता
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Shrimad Bhagwat geeta adhyay 1 Pushpika bhag 2 (Pic: Social Media)

Srimad Bhagavad Gita: महाभारत तथा श्रीमद्भगवद्गीता ( 33 )

गीता कहते ही हमारी आंखों के सामने महाभारत की कई गीताएं घूम जाती हैं। उन गीताओं पर एक दृष्टि डालते हैं :-

गीता का नाम- संवाद - पर्व का नाम

षड्ज गीता - ( युधिष्ठिर -विदुर ) - शांति पर्व

पिंगला गीता - ( भीष्म - युधिष्ठिर ) - शांति पर्व

शम्पाक गीता - ( भीष्म - युधिष्ठिर ) - शांति पर्व

मङ्कि गीता - ( भीष्म - युधिष्ठिर ) - शांति पर्व

बोध्य गीता - ( ययाति-बोध्य ऋषि ) - शांति पर्व

आजगर गीता - ( अवधूत - प्रह्लाद ) - शांति पर्व

हारीत गीता - ( भीष्म - युधिष्ठिर ) - शांति पर्व

वृत्र गीता - ( वृत्रासुर-सनत्कुमार ) - शांति पर्व

पुत्र गीता - ( भीष्म - युधिष्ठिर ) - शांति पर्व

पराशर गीता - ( महात्मा पराशर-जनक ) - शांति पर्व

हंस गीता - ( भीष्म -युधिष्ठिर ) - शांति पर्व

नारद गीता - ( नारद - शुकदेव ) - शांति पर्व

काम गीता - ( श्रीकृष्ण - युधिष्ठिर ) - आश्वमेधिक पर्व

उत्तर गीता - ( श्रीकृष्ण - अर्जुन ) - आश्वमेधिक पर्व

भगवद्गीता - ( भगवान श्रीकृष्ण-अर्जुन ) - भीष्म पर्व

हम जानते हैं कि श्रीमद्भगवद्गीता भीष्म पर्व के अंतर्गत आता है। भीष्म पर्व के अंतर्गत कई अनुपर्व हैं। जैसे - जम्बूविनिर्माण पर्व, भूमि पर्व, श्रीमद्भगवद्गीता पर्व तथा भीष्म-वध पर्व। महाभारत में भीष्म पर्व के २५ वें अध्याय से श्रीमद्भगवद्गीता प्रारंभ होता है और ४२ वें अध्याय में समाप्त होता है। भीष्म पर्व का २५ वां अध्याय भगवद्गीता का पहला अध्याय है और ४२ वां अध्याय भगवद्गीता का १८ वां अध्याय है।

अतः महाभारत में भगवद्गीता के पुष्पिका के अंतर्गत ऐसा उल्लेख है -

इति श्रीमहाभारते भीष्मपर्वनि श्रीमद्भगवतगीता पर्वनि श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्री कृष्णार्जुन संवादेऽर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्याय:।।१।। भीष्मपर्वनि तु पञ्चविंशोऽध्याय: ।।२५।।

उपर्युक्त तथ्य इसलिए रखा जा रहा है ताकि यह ध्यान में रहे कि श्रीमद्भगवद्गीता महाभारत का अभिन्न अंग है।



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