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ऐसे करें चैत्र नवरात्रि में देवी मां का आह्वान, मां दुर्गा करेंगी सृष्टि का उद्धार
देवी आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्रि 25 मार्च, बुधवार से शुरू हो रहा है। इन 9 दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 4 नवरात्रि आती है, इनमें से 2 प्रकट और 2 गुप्त होती है। ये चारों ही नवरात्रि ऋतुओं के संधिकाल पर आती हैं। जो लोग सोच रहे है कि कोरोना के चलते देवी मां के दर्शन संभव
लखनऊ: देवी आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्रि 25 मार्च, बुधवार से शुरू हो रहा है। इन 9 दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 4 नवरात्रि आती है, इनमें से 2 प्रकट और 2 गुप्त होती है। ये चारों ही नवरात्रि ऋतुओं के संधिकाल पर आती हैं। जो लोग सोच रहे है कि कोरोना के चलते देवी मां के दर्शन संभव नहीं है। वो भी घर बैठे मां दुर्गा का आहवान करें । मंत्र जाप व सप्तशति के पाठ से दुर्गा मां की आराधना करें मां वर्तमान की विकट परिस्थितियों से मिलकर लड़ने में हमारी मदद करेगी।
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वैज्ञानिक कारण
चैत्र नवरात्रि शीत और ग्रीष्म ऋतु के संधिकाल पर आती है। इस समय शीत ऋतु का प्रभाव कम होता है और ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव अधिक होता है। शीत और ग्रीष्म ऋतुओं के मेल से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिसके कारण मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं।इससे बचने के लिए इस समय नवरात्रि होने से साधक को कुछ विशेष नियमों का पालन करते है जैसे- उपवास करना और जप, तप करना। - उपवास के दौरान फलाहार करने से पेट संबंधी बीमारी नहीं होती है। चैत्र मास में पड़ने वाले नवरात्रों को चैत्र नवरात्रि कहते हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दौरान मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वो नौ रूप हैं, शैलपुत्री, , ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री जिनकी इस दौरान विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 25 मार्च, 2020 से शुरू होकर 02 अप्रैल 2020 तक हैं।
पूजा विधि
ध्यान रखें कि मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापन के लिए लकड़ी की चौकी का ही इस्तेमाल करें। पूजन के दौरान सवा मीटर लाल या पीला कपड़ा,लाल चुनरी या साड़ी,कलश,आम के पत्ते ,फूल माला और लाल फूल ,एक जटा वाला नारियल,पान के पत्त,सुपारी,इलायची,लौंग,कपूर,रोली, सिंदूर,मौली,चावल, दुर्गा सप्तशती की पुस्तक अपने समक्ष ज़रूर रखें।
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ध्यान दें
अगर देवी की मूर्ति धातु या चांदी की बनी हो तो ध्यान रहे इसे पीताम्बरी से साफ कर लें। घर के पूजा स्थल की एक दिन पहले ही साफ़ सफ़ाई समस्त देवी देवताओं के वस्त्रादि बदल दें। देवी दुर्गा की जो भी प्रतिमा स्थापित की है, उसमें माता का वाहन यानि शेर शांत मुद्रा में हो। नवरात्रों के दौरान भूलकर भी माता रानी को दूर्वा अर्पित न करें। इससे आपकी पूजा निष्फल हो सकती है। अगर घर में नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाएं तो किसी भी हालात में घर को अकेला नहीं छोड़े यानि इस दौरान घर पर ताला नहीं होना चाहिए।
देवी मां के आगे जलाया जाने वाला दीपक उनकी प्रतिमा या मूर्ति के बायीं ओर ही रखें और मूर्ति या जौ दायीं ओर बोएं।जब मातारानी की पूजा करें तो लाल या पीले आसन पर ही बैठें।
सामग्री
मां को भेंट के रूप में लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, इत्र, सिंदूर, महावर, लाल बिन्द, शुद्धमेहंद,काजल,चोटी, माला या मंगल सूत्पा, पायल,कान की बाली आदि अर्पित करें। इससे मां आप पर प्रसन्न होंगी।