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आज लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानिए कहां-कहां दिखेगा...

साल का पहला चंद्रग्रहण 10 जनवरी को लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण का समय रात 10 बजट 37 मिनट से शुरू होगा और रात 2 बजकर 42 मिनट पर खत्‍म होगा। इस बार ग्रहण की अवधि 4 घंटे से अधिक की रहेगी। इस बार चंद्र ग्रहण की खास बात यह है कि इसे भारत में भी देखा जा सकेगा।

suman
Published on: 9 Jan 2020 11:59 PM GMT
आज लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानिए कहां-कहां दिखेगा...
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लखनऊ: साल का पहला चंद्रग्रहण 10 जनवरी को लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण का समय रात 10 बजट 37 मिनट से शुरू होगा और रात 2 बजकर 42 मिनट पर खत्‍म होगा। इस बार ग्रहण की अवधि 4 घंटे से अधिक की रहेगी। इस बार चंद्र ग्रहण की खास बात यह है कि इसे भारत में भी देखा जा सकेगा। दुनिया के इन देशों यूरोप, एशिया, अफ्रीका व आस्‍ट्रेलिया महाद्वीपों में भी चंद्र ग्रहण देखा जा सकता है।

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यह साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण होगा। इसके बाद साल में तीन और चंद्र ग्रहण होंगे। इसके अलावा दो सूर्य ग्रहण भी होंगे। ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले से आरंभ हो जाएगा। भारतीय समय के अनुसार 10 जनवरी की सुबह 10 बजे से यह सूतक लग जाएगा। जिस समय सूतक लगेगा उसी समय देश भर के मंदिरों के पूजा की जाएगी और बाद में पट बंद कर दिए जाएंगे।बता दें कि पिछले साल 26 दिसम्बर को सूर्य ग्रहण लगने के साथ साल खत्म हुआ था।अब इस साल की शुरुआत में 10 जनवरी 2020 में चंद्र ग्रहण लग रहा।

समय

10 जनवरी 2020 को लगने वाले चंद्र ग्रहण का समय

ग्रहण का टाइम: रात 10:37 से 11 जनवरी को 2:42 तक

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कहानी

हिंदू धर्म में चंद्रग्रहण लगने के पीछे राहु केतु होते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत पाने को लेकर युद्ध चल रहा था। अमृत को देवताओं को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और सभी में अमृत बराबर बराबर बांटने के लिए राजी कर लिया। जब मोहिनी का रूप लिए भगवान विष्णु अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर बैठ गया। जिससे अमृत उसे भी मिल जाए। जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को इस बात की भनक हो गई कि वह असुर है और ये बात उन्होंने भगवान विष्णु को बता दी। विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी। क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं। उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम से जाना गया। ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण राहु केतु सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगाते हैं।

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