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उत्पन्ना एकादशी 2020: इस दिन है सबसे पावन व्रत, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त

हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। हर साल 24 एकादशियां आती हैं लेकिन मलमास या अधिकमास को मिलाकर इनकी संख्या 26 भी हो जाती है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 10 Dec 2020 8:11 AM IST
उत्पन्ना एकादशी 2020:  इस दिन है सबसे पावन व्रत, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त
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इस दिन श्री हरि से उत्पन्न हुई एकादशी माता, व्रत रखने से प्राप्त होता है मोक्ष

जयपुर: मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। इस व्रत को सभी दुखों का अंत करने वाला मानते है। एकादशी का जन्म भगवान विष्णु से हुआ। उत्पन्ना एकादशी के दिन ही एकादशी प्रकट हुईं, इसलिए यह दिन उत्पन्ना एकादशी नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत को सिर्फ उत्पन्ना एकादशी से ही शुरू कर सकते हैं। इस व्रत का प्रभाव देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इस व्रत में विधि विधान से भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

सात्विकता पर विशेष ध्यान

इस व्रत में मन की सात्विकता का विशेष ध्यान रखें। इस व्रत के प्रभाव से मन निर्मल होने के साथ शरीर स्वस्थ होता है। इस व्रत में भगवान श्री हरि को फलों का ही भोग लगाएं। दीपदान करें। द्वादशी के दिन जरूरतमंदों को दान देकर पारण करें। एकादशी को खुद भगवान विष्णु ने आशीर्वाद देकर इस व्रत को पूजनीय बनाया। उत्पन्ना एकादशी का व्रत सच्चे मन से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाने वाला व्रत है। इस व्रत में सारी रात भजन-कीर्तन में व्यतीत करनी चाहिए। जाने-अनजाने में हुए पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। इस व्रत में अन्नदान अवश्य करें। उपवास करने में असमर्थ व्यक्ति को एकादशी के दिन अन्न का परित्याग करना चाहिए।

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अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर पुण्य

हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। हर साल 24 एकादशियां आती हैं लेकिन मलमास या अधिकमास को मिलाकर इनकी संख्या 26 भी हो जाती है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार अगर एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं तो भी एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए। कहा जाता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर पुण्य मिलता है।

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शुभ मुहूर्त

सुबह का पूजा मुहूर्त: 11 दिसंबर, शुक्रवार सुबह 5 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 5 मिनट तक

संध्या का पूजा मुहूर्त: 11 दिसंबर, शुक्रवार शाम 5 बजकर 43 मिनट से शाम 7 बजकर 3 मिनट तक

पारण का समय: 12 दिसंबर, शनिवार सुबह 6 बजकर 58 मिनट से सुबह 7 बजकर 2 मिनट तक

व्रत कथा

मान्यता है कि एकादशी के जन्म की कथा स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी। कथा कुछ उस प्रकार है- सतयुग के समय एक राक्षस था जिसका नाम मुर था। वह इतना शक्तिशाली था कि उसने अपनी सक्ति से स्वर्ग पर विजय हासिल की थी। ऐसे में इंद्रदेव ने विष्णुजी से मदद मांगी। विष्णुजी का मुर दैत्य के साथ युद्ध शुरू हुआ। यह युद्ध कई वर्षों तक चला। लेकिन अंत में विष्णु जी को नींद आने लगी तो वे बद्रिकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में विश्राम करने चले गए।

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विष्णु जी के पीछे-पीछे मुर भी पहुंचा। जैसे ही वो विष्णु जी को मारने के लिए आगे बढ़ा तो अंदर से एक कन्या निकली जिसमें मुर से युद्ध किया। दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ और उस कन्या ने मुर का सिर धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद विष्णु जी की नींद टूटी और वो अचंभित रह गए। विष्णु जी को कन्या से विस्तार से पूरी घटना बताई। सब जानने के बाद विष्णु ने कन्या को वरदान मांगने को कहा। कन्या ने विष्णु जी से वरदान मांगा कि अगर कोई व्यक्ति मेरा व्रत करेगा तो उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। साथ ही उस व्यक्ति को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होगी। विष्णु भगवान ने उस कन्या को एकादशी का नाम दिया।



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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