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Vrindavan Par Shayari Hindi Me: हे प्यारे! आज ये श्रीधाम वृन्दावन को क्या हो गया है ?
Sri Vrindavan Dham : भारत के एक पवित्र शहर वृंदावन की वर्तमान स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त करता है, जो हिंदू देवता कृष्ण के साथ अपने जुड़ाव के लिए जाना जाता है।
Vrindavan Par Shayari Hindi Me: कैसी अद्भुत पीतिमा फ़ैल रही है। यहाँ की भूमि में पीले-पीले फूल चारों ओर दिखाई दे रहे हैं। श्रीजी ने श्यामसुन्दर से कहा ।
हे प्यारी ! ये पीला प्रकाश किसी और का नही आपके अंग का ही तो प्रकाश है। आपका अंग सुवर्ण की तरह पीला चमकता हुआ है। उसी का तेज़ इस श्रीधाम में पड़ रहा है। जिसके कारण ये सब पीला दिखाई दे रहा है ।
ये कहते हुये एकटक अपनी श्रीराधारानी को श्याम सुन्दर देखने लगे ।
ये क्या कर रहे हो आप ?
श्याम ! आप तो मुझे ऐसे देख रहे हो जैसे पहली बार देख रहे हो। हँसी ये कहते हुये श्रीजी ।
हाँ।बात ही कुछ ऐसी है कि हमारी दृष्टि आपसे हट ही नही रही ।
ये कहते हुए भी श्रीजी को अपलक देखते ही रहे श्यामसुन्दर ।
ऐसी क्या बात है प्रियतम ! हमें भी बताओ ! श्रीजी सुनना चाहती हैं ।
प्यारी ! आज आपके तन रूपी वन में बसन्त विहार कर रहा है। बड़े प्रेम से रसिक शिरोमणि ये बात बोले थे ।
मैं समझी नही प्यारे ! स्पष्ट कहो ! श्री जी ने फिर पूछा ।
हे प्रिया जु ! आपके लाल-लाल होठों की शोभा तो ऐसी लग रही है जैसे मानो - कंचनमय कुच-कलश से निकले लता में नई कोमल कोंपल फूटी हों ।
और आपके सुन्दर नासिका की शोभा तो ऐसी है। जैसे रूप लता की मञ्जरी आहा ! रसिक शिरोमणि तो गदगद् हो रहे हैं आज अपनी प्यारी के अंग की उपमा बसन्त के वैभव से करते हुए
और आपकी जो साँसें मन्द चल रही है ना। वो तो बस ऐसी लग रही है जैसे - सुरभित बसन्त की वयार चल रही हो ।
ये कहते हुए श्रृंगार रस में डूब गये श्यामसुन्दर।
और और ! कुछ सोचने लगे।
और क्या प्यारे ? मुस्कुराते हुए श्रीजी ने फिर पूछा ।
कोयल के समान आपकी बोली और मनोहारी कदली खम्भ की तरह आपकी जंघा और !
और क्या बोलूँ ! अब और इस बसन्त का वर्णन मुझ से नही होगा आपका सम्पूर्ण स्वरूप ही बसन्त हो रहा है। शायद बसन्त भी लज्जित हो रहा होगा प्यारी ! श्याम सुन्दर ये बोलते हुए आह भर रहे थे ।
श्याम सुन्दर की दशा बड़ी अद्भुत हो रही थी। नयनों में लाल-लाल डोरे पड़ रहे थे। प्रेम के श्री जी ने जब ये दशा श्याम सुन्दर की देखी तो उन्हें अपने हृदय से लगा लिया। और बहुत देर तक लगाये रखीं ।
इस स्वरूप झाँकी का दर्शन करके सखियाँ आनन्दित हो रही हैं। बस उसी समय झाँझ-मृदंग बजने शुरू हो गए। सखियों ने बसन्त राग गाना शुरू किया। रंगदेवी सखी सुवर्ण की थाली में अबीर, केशर, गुलाल, फूलों की पंखुडियाँ। सरसों की डाली आदि सजाकर लाईं कोई नाच रही हैं।कोई वाद्य बजा रही हैं कोई रंग अबीर युगलवर के कपोल में लगा रही हैं ।
चारों ओर से आनन्द की वर्षा होने लगी। रस ही रस छा गया निकुञ्ज में युगल एक दूसरे को अंक माल करके। रस में सराबोर हो रहे हैं.। श्रीधाम वृन्दावन बसन्त के रंग में रंग गया था आज ।
चारों ओर इत्र फ़ैला दिया था सखियों ने उसकी सुगन्ध से पूरा श्रीधाम महक उठा ।
अरे ! ये क्या ?
ललिता सखी अपनी अष्ट सहचरियों के साथ सिर में सुन्दर कलश लिये नाचती गाती हुयी आरही थीं। ये देखकर युगल सरकार आनन्दित हो उठे। जय हो। जय हो की ध्वनि से पूरा श्री धाम गूँज उठा था ।
सच में ऋतुराज बसन्त भी ये दृश्य देखकर पगला गया था ।
देखो सखी ! आज वसन्त लुभाये !
रंग बाग़ के मध्य चौक बिच, चहुँ दिसि फूलन छाये !!
अंब- मौर जौ केसर क्यारी, कनक कलस धरवाये !!
अंग संग नित श्रीरंगदेवी, निरखि हरखि सचुपाये !!