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आज से प्यार, उल्लास के साथ जीवन की शुरूआत का मास, जानिए इसकी खास बात

हिंदू पंचांग के अनुसार साल का अंतिम 12वां माह फाल्गुन होता है। फाल्गुन मास का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं है इसका मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्व भी है। यह महीना हमें सीखाता है कि हमेशा सकारात्मक सोचें चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो।

suman
Published on: 10 Feb 2020 12:57 AM GMT
आज से प्यार, उल्लास के साथ जीवन की शुरूआत का मास, जानिए इसकी खास बात
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जयपुर: हिंदू पंचांग के अनुसार साल का अंतिम 12वां माह फाल्गुन होता है। आज से शुरू हो रहे फाल्गुन मास का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं है इसका मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्व भी है। यह महीना हमें सीखाता है कि हमेशा सकारात्मक सोचें, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो। इस मास के व्रत, त्योहारों में भी यही भाव छिपा है। इस मास से जुड़ी कुछ रोचक बातें इस प्रकार हैं- फाल्गुन को प्यार, आनंद व उल्लास का महीना कहा जाता है।

आज से आरंभ

इस साल फाल्गुन का महीना 10 फरवरी सोमवार से प्रारंभ हो रहा है, जिसका समापन 9 मार्च को होगा। इस दौरान कई बड़े त्यौहार और तिथियां होगी और उन तिथि त्यौहारों पर देवी-देवता की आराधना की जाएगी। इस मास के प्रारंभ होते ही मौसम गर्म होने लगता है और सर्दी की विदाई होने लगती है। फाल्गुन मास में बसंत ऋतु का समय होता है इसलिए चारों और छटा काफी निराली होती है।

फाल्गुन मास में महादेव का प्रिय त्यौहार महाशिवरात्रि आता है। इसके साथ ही रंगों का त्यौहार होली भी इसी महीने आता है। महाशिवरात्रि पर जहां शिव पूजा का विशेष विधान है । फाल्गुन मास की पूर्णिमा को महर्षि अत्रि और देवी अनुसूया से चंद्रमा की उत्पत्ति हुई थी। इस कारण इस दिन चंद्रमा की विशेष आराधना कर चद्रमा से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की जाती है।

संतान की कामना पूरी

संतान की इच्छा रखने वालों को इस माह बाल कृष्ण की आराधना करनी चाहिए। सुख-समृद्धि के लिए राधा-कृष्ण और ज्ञान की इच्छा रखने वालों को जगदगुरु कृष्ण की उपासना करनी चाहिए। इस माह नियमित रूप से भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि चंद्रमा का जन्म भी फाल्गुन मास में ही हुआ है। इस माह चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है।यह माह जीवन की नई शुरुआत का माह है। पौराणिक मान्यता अनुसार इसी दिन से सृष्टि का प्रारंभ माना गया है। फाल्गुन मास में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि नाम से पुकारा जाता है। इस माह गंगा स्नान का लाभ अवश्य उठाएं। इस माह भोजन में अनाज का प्रयोग कम से कम करें। अधिक से अधिक फल खाएं।

धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

फाल्गुन में चंद्र देव का जन्म माना जाता है। मन की चंचलता पर रोक लगाने के लिए इस माह चंद्र देव को जल अर्पित किया जाता है और शायद यही वजह है कि प्यार का महीना भी इसे कहा जाता है। अंग्रेजी सभ्यता का वेलेनटाइन डे भी इस माह में पड़ता है। इस माह में बहुत सी ऐसी तिथियां है जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

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फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी को जानकी नवमी पर माता सीता का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां जानकी का जन्म हुआ था। इस माह कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। इस माह होली से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक आरंभ हो जाता है और इन दिनों में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। फाल्गुन मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। इस माह शीतल जल से स्नान करना लाभदायक होता है।

इस माह अनाज का प्रयोग कम करना चाहिए और अधिक से अधिक फलों का सेवन करना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। इस माह रंगीन और सुंदर कपड़े धारण करना चाहिए।

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ऐसी है इसकी महिमा

इस माह ऐसी मान्यता है कि इस माह की विजया एकादशी का महत्व भगवान राम से जुड़ा है। सीता हरण के बाद लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए जाते समय जब समुद्र बाधा बना। तब श्रीराम ने विजया एकादशी का व्रत कर सागर पार करने में सफलता पाई और युद्ध में विजयी हुए। इसलिए इस दिन भगवान वासुदेव की पूजा की जाती है।

*इस माह की अंतिम तिथि को मनाए जाने वाला होली उत्सव का अत्यंत धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक महत्व है। यह आनंद, प्रेम, सद्भावना का पर्व है। यह भावनाओं के स्तर पर एक दूसरे के रंग में रंग जाने का अवसर है।

*लिंगपुराण में होली के उत्सव को फल्गुनिका के नाम से जाना जाता है। जिसे बालकों की क्रीड़ाओं से पूर्ण और सुख समृद्धि देने वाला बताया गया है। इसी प्रकार वराहपुराण में भी इस उत्सव को पटवास विलासीनी अर्थात् चूर्णयुक्त खेल और लोक कल्याण करने वाली बताया गया है।

*फाल्गुन माह और इसके पर्व, उत्सव का सामूहिक संदेश यही है कि जीवन में कर्मठता और सही दिशा को चुनें। हम आशा और आकांक्षा पैदा करें। हमारे अंदर आगे बढऩे और ऊपर उठने की जो भावना है, उसे मरने न दें।

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