महिलाओं को कभी नहीं करना चाहिए ऐसे स्नान, वजह जानकर हो जाएंगे परेशान

हिंदू धर्म में व्यक्ति के जीवन से जुड़े कई नियम बताए गए हैं जिनका पालन कर जीवन में होने वाले दुर्भाग्य से बचा जा सकता हैं। ऐसे ही कई नियमों में स्नान करने अर्थात नहाने से भी नियम हैं। पहले नहाने के लिए नदी या तालाब का इस्तेमाल किया जाता था और अब उनकी जगह बाथरूम  हैं।

suman
Published on: 15 May 2020 3:22 AM GMT
महिलाओं को कभी नहीं करना चाहिए ऐसे स्नान, वजह जानकर हो जाएंगे परेशान
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जयपुर: हिंदू धर्म में व्यक्ति के जीवन से जुड़े कई नियम बताए गए हैं जिनका पालन कर जीवन में होने वाले दुर्भाग्य से बचा जा सकता हैं। ऐसे ही कई नियमों में स्नान करने अर्थात नहाने से भी नियम हैं। पहले नहाने के लिए नदी या तालाब का इस्तेमाल किया जाता था और अब उनकी जगह बाथरूम हैं। ऐसे में कई लोग निर्वस्त्र होकर स्नान करना पसंद करते हैं जिसे पद्मपुराण में निषेध कहा हैं।

पूर्ण नग्‍न स्‍नान निषेध

किसी भी परिस्थिति में पूर्ण नग्‍न होकर स्‍नान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य पाप का भागीदार बनता है। पद्मपुराण में इस संबंध में एक कथा बताई गई है कि एक बार गोपियां स्‍नान करने नदी में उतरी तो कान्‍हाजी ने उनके कपड़े छिपा दिए। गोपियां जब वस्‍त्र ढूंढ़ने लगी तो उन्हें नहीं मिले। तब कान्‍हाजी ने कहा कि वस्‍त्र पेड़ पर हैं आकर ले लो।

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एक बार गोपियां स्‍नान करने नदी में उतरी तो कान्‍हाजी ने उनके कपड़े छिपा दिए। गोपियां जब वस्‍त्र ढूंढ़ने लगी तो उन्हें नहीं मिले। तब कान्‍हाजी ने कहा कि वस्‍त्र पेड़ पर हैं आकर ले लो। तो गोपियां बोलीं कि जब वे स्‍नान करने आई थीं तो यहां पर कोई नहीं था। अब वे बिना वस्‍त्रों के जल से बाहर कैसे आए।

श्रीकृष्ण ने बताया कि ऐसा तुम्हें लगता है कि यहां कोई नहीं था लेकिन मैं तो हर पल, हर जगह मौजूद होता हूं। आसमान में उड़ते पक्षियों, जमीन पर चलने वाले जीवों और जल में मौजूद जीवों ने भी तुम्हें निर्वस्त्र देखा। इतना ही नहीं, जल में नग्न होकर प्रवेश करने से जल रूप में मौजूद वरुण देव ने भी तुम्हें नग्न देखा। यह उनका अपमान है। आपकी नग्नता आपको पाप का भोगी बनाती है। यही वजह है कि हमें एकदम निर्वस्‍त्र होकर स्‍नान नहीं करना चाहिए।

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पितर दोष

गरुड़पुराण में बताया गया है कि जब आप स्‍नान कर रहे होते हैं तो रक्षक के रूप में आपके पितर आपके आस-पास मौजूद होते हैं। वे आपके वस्त्रों से गिरने वाले जल को ग्रहण करते हैं, जिनसे उनकी तृप्ति होती है। निर्वस्त्र स्नान करने से पितर अतृप्त होकर नाराज होते हैं और पितर दोष भी लगता है।ज‌िनसे व्यक्त‌ि का तेज, बल, धन और सुख नष्ट होता है। इसल‌िए कभी भी न‌िर्वस्‍त्र होकर स्नान नहीं करना चाह‌िए ।

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