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Car Dealer Scam: अपनी कार का बुकिंग अमाउंट देने से पहले रखिए इन बातों का ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता लंबा नुकसान
Car Dealer Scam: एक नेटवर्क ऑटोसेक्टर में डीलर के तौर पर काम करता है। अगर आप उनकी बातों में आ गए तो आप नुकसान उठा सकते हैं।
Car Dealer Scam: क्या आप अपने लिए नई कार खरीदने जा रहें हैं, तो क्या आपको इस बात की जानकारी है कि आपकी जरा सी नासमझी आपके लिए बड़े आर्थिक नुकसान का सबब बन सकती है। आज कल हर सेक्टर में जालसाजों का एक फर्जी नेटवर्क काम करता है। जो आपको बड़ी सफाई से अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में उलझा कर चूना लगा सकता है। इसी तरह का एक नेटवर्क ऑटोसेक्टर में डीलर के तौर पर काम करता है।
अगर आप उनकी बातों में आ गए तो आप नुकसान उठा सकते हैं। हालंकि डीलर का काम ही होता है अपने प्रोडक्ट की मैक्सिमम बिक्री करना, इसलिए वो हर तरह के हथकंडे हो अपनाता है। लेकिन आपको इस विषय पर सजग होने की ज्यादा जरूरत है, जब आप अपने लिए अपनी पसंद की गाड़ी की बुकिंग करवाने जाएं तो कोई भी डीलर आपको अपनी बातों में उलझा कर अपना उल्लू सीधा न कर सके। यहां पर आपको इस तरह की कुछ खास सावधानियों से अवगत करवाया जाएगा जो आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकती हैं और आपको किसी कार डीलर के स्कैम से पूरी तरह सुरक्षित रखेगा। आइए इस विषय पर जानते हैं विस्तार से....
जाने टॉप वेरिएंट का क्या है पूरा माजरा
अक्सर हम लोग किसी नई लॉन्च हुई गाड़ी के लुक ओर फीचर्स के बारे में विज्ञापन के माध्यम से जानकारी एकत्र कर नजदीक के डीलरशिप शोरूम में गाड़ी बुक करवाने जाते हैं, जहां हमारा सामना सीधे वहां ग्राहकों की बाट जोह रहे एजेंटों से होता है। जहां यदि किसी कंपनी की कोई कार मार्केट में अधिक पॉपुलर है तो, डीलर उस कार की बुकिंग लेने के लिए आप पर जाल फेंकना शुरू करते हैं। आपको उस कार की जल्दी डिलीवरी दिलवाने का लालच दिखा कर उस काम के लिए कार की कीमत से अलग जाकर एक मोटी रकम वसूलते हैं। वहीं कई बार ऐसा भी होता है जब डीलर आपकी पसंदीदा कार के टॉप मॉडल की डिलीवरी को जुगाड़ विधि से जल्दी दिलाने के की बात करता है और आपसे उसके लिए दबाव बनाता है कि, बस आप गाड़ी एक बार बुक करवा लो। डीलरशिप और कंपनी दोनों के मुनाफे की नियत से वे सीधे टॉप लेवल की गाड़ी की बुकिंग के लिए ही बात करते हैं, वे निचले वेरिएंट की बुकिंग ही नही लेते । जिससे डीलरशिप और कंपनी दोनों को भारी मुनाफा होता है। अगर आप कोई नई कार खरीदने जाते हैं तो आपको उसकी तुरंत डिलीवरी नहीं मिलती है, इसके लिए आपको कार के मॉडल और आपके शहर के हिसाब से 1 से लेकर 2 साल तक का समय दिया जाता है।
पॉपुलैरिटी बटोरने का है एक फंडा/ लंबा वेटिंग पीरियड
आज कल समाज में कुछ ऐसी मानसिकता बन चुकी है कि वेटिंग पीरियड अगर किसी गाड़ी का ज्यादा है तो इसका सीधा मतलब है कि गाड़ी बेहद खास है और उसकी जमकर डिमांड हो रही है। जबकि ऐसा सोचना बिलकुल भी सही नहीं है। कई बार ऑटो मेकर कंपनियां अपने ग्राहकों की इसी सोच का फायदा उठाते जानबूझ कर ग्राहकों को लंबा वेटिंग पीरियड देती हैं और उस गाड़ी की रिकॉर्ड बुकिंग की डिमांड पर कंपनी उक्त कार की सप्लाई पूरी नहीं कर पा रही है, जबकि सच्चाई ये है कि ऐसी फेक खबरें जानबूझ कर मीडिया में फैलाई जाती हैं ताकि तेज़ी से बात पब्लिक में वायरल हो और लोग उस गाड़ी को काफी स्पेशल समझ कर उसकी अधिक से अधिक बुकिंग करवाना शुरू कर दें। इस ट्रैप में ग्राहकों को फंसा कर ऑटो मेकर कंपनी और डीलरशिप दोनों ही अपना उल्लू सीधा करती हैं वहीं ग्राहक अपनी नासमझी के चलते इस जाल में फंसकर जाने कितना पैसा व्यर्थ में खर्च कर आर्थिक नुकसान उठाते हैं।
हालांकि बहुत बार डिलीवरी में देरी के पीछे वास्तविक वजहें भी होती हैं। महामारी के बाद से कई इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट प्रोडक्शन हाउस बंद हो चुके हैं वहीं कई अभी आर्थिक मंडी के दौर से गुजर रहें हैं। यही वजह है कि ऑटोमोबाइल चिप और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट के प्रोडक्शन का काम काफी काफी सुस्त पड़ चुका है। यही वजह है कि वाहन निर्माता कंपनियां डिमांड के अनुरूप अपनी गाड़ियों का निर्माण करने में असमर्थ साबित हो रहें हैं। जिस वजह से गाड़ियों का वेटिंग पीरियड तय समय से कहीं ज्यादा आगे बढ़ रहा है। लेकिन अब समय के साथ-साथ तकनीकी सुविधाओं में तरक्की कर और मेन्यूफेक्चरिंग यूनिट्स की संख्या में इजाफा कर कार निर्माता कंपनियां अपने यूनिट्स को तेज़ी से निर्मित कर डिलिवरी के लिए भेजने की पुरजोर कोशिश में लगी हुईं हैं।