TRENDING TAGS :
Solar EV Battery Swapping: सौर ऊर्जा से चार्ज होंगें इलेक्ट्रिक वाहन, शुरू हुआ भारत का पहला सोलर बैटरी स्वैपिंग स्टेशन
Solar EV Battery Swapping: पारंपरिक ईंधन के विकल्प के तौर पर सीएनजी और इलेक्ट्रिक के अलावा अब सौर ऊर्जा का प्रयोग आपके इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए किया जाएगा।
Solar EV Battery Swapping: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इलेक्ट्रिक वाहनों की लहर ने पर्यावरण की प्रदूषण से रक्षा करने के साथ-साथ कई उद्योगों और रोजगार के अवसरों के अलावा कई रचनात्मक अविष्कारों को भी जन्म दिया है । वही इसी क्रम में पारंपरिक ईंधन के विकल्प के तौर पर सीएनजी और इलेक्ट्रिक के अलावा अब सौर ऊर्जा का प्रयोग आपके इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए किया जाएगा।
इसी क्रम में फाइनेंस-नेटवर्क-टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म चार्जअप ने बुधवार को इस बात की घोषणा की कि उसने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए देश का पहला सोलर पावर से चलने वाला बैटरी स्वैपिंग स्टेशन का आरंभ कर दिया है। फिलहाल ये जयपुर शहर के स्टेशन बेनीवाल कांटा, चुंगी सर्कल, रामगढ़ मोड़, में संचालित किए जा रहें हैं। फाइनेंस-नेटवर्क-टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म चार्जअप कम्पनी ने अपने पायलट प्रोजेक्ट के लक्ष्य को लेकर इस बात की जानकारी दी कि इसका लक्ष्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों यानी डीजल, पेट्रोल और विद्युत पर निर्भरता को कम करके सौर ऊर्जा से बैटरी चार्जिंग को सक्षम करना है। इसी के साथ ज्यादा से ज्यादा ग्रीन एनर्जी पर निर्भरता को बढ़ा कर पिंक सिटी कहे जाने वाले जयपुर शहर को हरित शहर बनाना है। आइए जानते हैं फाइनेंस-नेटवर्क-टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म चार्जअप कम्पनी के पायलट प्रोजेक्ट से जुड़े डिटेल्स के बारे में..
स्टेशन 140 kWh बैटरी चार्ज करने में सक्षम
फाइनेंस-नेटवर्क-टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म चार्जअप कम्पनी के पायलट प्रोजेक्ट के जरिए बैटरी स्वैपिंग स्टेशन को एडवांस्ड सोलर टेक्नोलॉजी से लैस किया गया है।स्टेशन 140 kWh बैटरी चार्ज करने में सक्षम है, जो स्टेशन की कुल ऊर्जा जरूरतों का 20 प्रतिशत कवर करता। एडवांस्ड सोलर टेक्नोलॉजी की वजह से यह सूरज से मिलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल करने और सौर-उत्पन्न ऊर्जा को चार्जिंग कैबिनेट में निर्देशित करने के लिए चार्जिंग ग्रिड के साथ सिंक्रनाइज करने में सक्षम बनाता है।
पहल का मकसद ईवी की स्थिरता को बढ़ावा देना
फाइनेंस-नेटवर्क-टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म चार्जअप कम्पनी के पायलट प्रोजेक्ट की इस पहल का मकसद ईवी की स्थिरता को बढ़ावा देना है और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में तेजी लाना भी है। इसके अलावा, सोलर पावर प्लांट बैटरी चार्जिंग के पारंपरिक तरीकों से पैदा होने वाले अतिरिक्त CO2 उत्सर्जन को कम करेगा। सौर ऊर्जा से चलने वाली प्रणाली कुछ क्षेत्रों में ग्रिड स्थिरता के मुद्दों को भी संबोधित करेगी क्योंकि यह बिजली कटौती के दौरान निर्बाध बिजली की जरूरतों के साथ-साथ स्थिर और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति को भी पूरा करेगी।
बैटरी स्वैपिंग मॉडल में चंद सेकंड में होगी बैटरियों की अदला-बदली
बैटरी स्वैपिंग मॉडल में चंद सेकंड में बैटरियों की अदला-बदली हो जाती है और बैटरी में आग लगने की संभावना को भी कम करता है। CO2 उत्सर्जन को कम करने के मामले में सौर ऊर्जा से चलने वाला बैटरी स्वैपिंग मॉडल और भी ज्यादा बेहतर साबित होता है।इस क्षेत्र के कई दिग्गज कम्पनियां इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर रफ्तार बढ़ाने के लिए बैटरी स्वैपिंग मॉडल पर अपना काम शुरू करने की योजना बना रहीं हैं। लेकिन सौर ऊर्जा से संचालित ईवी चार्जिंग स्टेशनों के ज्यादा किफायती और बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत स्टेशनों को सौर ऊर्जा से बिजली देने का लक्ष्य
विकेंद्रीकृत सौर माइक्रोग्रिड में निवेश करके, फाइनेंस-नेटवर्क-टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म चार्जअप कम्पनी के पायलट प्रोजेक्ट का लक्ष्य अपने 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत स्टेशनों को सौर ऊर्जा से बिजली देना है। चार्जअप ने इस पहल को जयपुर के 30 और स्टेशनों तक विस्तारित करने की योजना पर तेज़ी से काम कर रही है। जिसके तहत देश के 80 प्रतिशत पिन कोड शामिल किए जायेंगें। इस पायलट प्रोजेक्ट की योजना के आगे के चरणों में, इस मॉडल को अन्य शहरों में, खासतौर पर टियर-2 शहरों में भी विस्तारित किया जाएगा।