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Car safety rating: आखिर क्या होती है कार की सेफ्टी रेटिंग और कौन देता है? प्रक्रिया समेत जानिए पूरी डिटेल

Car safety rating: सभी व्हीकल बनाने वाली कंपनियां अपनी कार के हर मॉडल और वैरिएंट पर अलग-अलग सेफ्टी फीचर्स देती हैं। इसमें एयरबैग्स, ABS, EBD, सेफ्टी बेल्ट, बैक सेंसर, कैमरा, स्पीड अलर्ट जैसे फीचर्स शामिल हैं।

Jyotsna Singh
Published on: 24 March 2023 4:45 PM IST (Updated on: 24 March 2023 5:13 PM IST)
Car safety rating: आखिर क्या होती है कार की सेफ्टी रेटिंग और कौन देता है? प्रक्रिया समेत जानिए पूरी डिटेल
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Car safety rating (Social Media)

Car safety rating: सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा सख्त ट्रैफिक नियम लागू करने के साथ ही साथ गाड़ियों के लिए भी सुरक्षा मानकों को तय करती है। यही वजह है कि सभी व्हीकल बनाने वाली कंपनियां अपनी कार के हर मॉडल और वैरिएंट पर अलग-अलग सेफ्टी फीचर्स देती हैं। इसमें एयरबैग्स, ABS, EBD, सेफ्टी बेल्ट, बैक सेंसर, कैमरा, स्पीड अलर्ट जैसे फीचर्स शामिल हैं। जब कार का क्रैश टेस्ट होता है तब इन्हीं सेफ्टी फीचर्स के आधार पर उसे रेटिंग दी जाती है। आइए जानते हैं कि ये सेफ्टी रेटिंग आखिर देता कौन है।

सेफ्टी रेटिंग कौन देता है?

दुनियाभर की सभी कारों को सेफ्टी रेटिंग देने का काम ग्लोबल NCAP (New Car Assessment Program) और यूरोपियन NCAP द्वारा किया जाता है। ग्लोबल NCAP टुवर्ड्स जीरो फाउंडेशन का हिस्सा है। ये ब्रिटेन की एक चैरिटी ऑर्गनाइजेशन है। ये ऑर्गनाइजेशन अलग-अलग कारों या उनके वैरिएंट का क्रैश टेस्ट करके सेफ्टी रेटिंग देने का काम करती है।

सेफ्टी रेटिंग मिलने की क्या होती है पूरी प्रक्रिया

आइए आपको इस अहम जानकारी से अवगत करवाते हैं कि सेफ्टी रेटिंग मिलने की आखिर पूरी प्रक्रिया किस तरह से शुरू की जाती है। सबसे पहले सेफ्टी रेटिंग पाने के लिए कार का क्रैश टेस्ट किया जाता है। इसके लिए इंसान जैसी एक डमी पर टेस्ट किया जाता है। टेस्ट के दौरान गाड़ी को फिक्स स्पीड से किसी सख्त जगह के साथ टकराया जाता है। इस दौरान कार में चार से पांच इंसान जैसी दिखने वाली डमी का उपयोग किया जाता है। बैक सीट पर बच्चे की डमी होती है। ये चाइल्ड सेफ्टी सीट पर फिक्स की जाती है।

आखिर क्या होते है सेफ्टी रेटिंग के मायने

आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्या होते है सेफ्टी रेटिंग के मायने। किसी भीं कार के टेस्ट के दौरान क्रैश टेस्ट के बाद कार के एयरबैग ने काम किया या नहीं। डमी इस टेस्ट के दौरान किस हद तक डैमेज हुई, कार में ऐड किए गए दूसरे सेफ्टी फीचर्स ने कितना काम किया या नहीं किया, टेस्ट के दौरान इन सारी बातों पर बेहद बारीकी से गौर करने के बाद निकली रिर्पोट के आधार पर गाड़ी के सुरक्षा मानकों को रेटिंग दी जाती है। इस रेटिंग से ग्राहकों को सेफ ड्राइव के लिए सुरक्षित कार खरीदने में मदद मिलती है।

आखिर कितनी भरोसेमंद होती है सेफ्टी रेटिंग

सेफ्टी रेटिंग के भरोसे की बात करे तो इस पर व्हीकल बनाने वाली कंपनियां एनसीएपी पर ट्रस्ट तो करती हैं लेकिन साथ ही कुछ दिक्कतें भी हैं। कई कंपनियां NCAP को पैसे देकर भी टेस्ट कंडक्ट कराती हैं। इस टेस्ट को वॉलेंटियर टेस्ट कहा जाता है। इसकी खास बात ये होती है कि क्रैश टेस्ट का सारा खर्च कार बनाने वाली कंपनी उठाती है। इस टेस्ट में पैसों के लेन-देन से कार की रेटिंग बेहतर हो जाती है। इसी वजह है देश की कई कंपनियां इस टेस्ट को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं रहतीं।

आखिर सरकार का सेफ्टी रेटिंग में क्या होता है रोल

ग्लोबल NCAP अपनी पर्सनल एबिलिटी पर बाजार से कारों के बेस वैरिएंट को खरीदकर पर्सनली उनका टेस्ट करती है।
सरकार का सेफ्टी रेटिंग में भारत सरकार की भूमिका की बात करें तो भारत सरकार ने अपनी तरफ से किसी को भी इस बात की मंजूरी नहीं दी है कि वो क्रैश टेस्ट कंडक्ट करे।

देश का व्हीकल सेफ्टी स्टैंडर्ड आखिर कैसा होगा?

भारत के क्रैश टेस्ट सिस्टम का नाम भारत न्यू व्हीकल सेफ्टी असेसमेंट प्रोग्राम (BNVSAP) है। ये 2018 में शुरू होना था, लेकिन किसी वजह से ये शुरू नहीं हो पाया था । ये वैसा ही प्रोग्राम है जैसा भारत में पहले से मौजूद ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) कर रहा है। BNVSAP जिन सॉफ्टवेयर पर काम करेगा वो NCAP से ही खरीदे जाएंगे।

हर पैसेंजर के लिए थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट लगाना होगा अनिवार्य

अब मौजूदा सरकारी परिचालन नियमावली के अनुसार कार मैन्युफैक्चर्स को आदेश है कि कार की सभी सीटों पर थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट अनिवार्य की जाए। कार की पिछली सीट पर बीच में बैठने वाले यात्री के लिए थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट मुहैया करानी होगी। अभी ज्यादातर कारों में अगली दोनों सीट और पीछे की कतार में दो लोगों के लिए ही थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट दी जाती है। सेंटर या मिडिल रियर सीट के लिए सिर्फ टू-पॉइंट या लैप सीट बेल्ट होती है। सरकार ने पैसेंजर की सुरक्षा को देखते हुए सीट बेल्ट की संख्या बढ़ाने का भी फैसला लिया गया है। ईवी सेगमेंट्स में भारत सरकार द्वारा सड़कों पर दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए जारी किए गए नियम निश्चित ही अपने प्रयोग मे सफल होंगें।

6एयरबैग्स अनिवार्य करने के लिए GSR नोटिफिकेशन को मंजूरी

8 पैसेंजर तक वाली गाड़ी में 6 एयरबैग्स अनिवार्यनितिन गडकरी पहले ही 6 एयरबैग्स अनिवार्य करने के लिए GSR नोटिफिकेशन को मंजूरी दी जा चुकी हैं। 8 पैसेंजर तक के मोटर वाहनों में सेफ्टी को बढ़ाने के लिए अब कम से कम 6 एयरबैग्स अनिवार्य हैं। यानी अब सभी कंपनियों के किसी भी कार के बेस मॉडल में 6 एयरबैग्स देने ही होंगे। यह नियम अक्टूबर 2022 से लागू किया जा चुका है। इससे पहले मंत्रालय ने 1 जुलाई, 2019 से ड्राइवर एयरबैग और 1 जनवरी, 2022 से फ्रंट पैसेंजर एयरबैग को अनिवार्य कर दिया था। प्रोडक्शन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं जैसे कदम से एयरबैग के डोमेस्टिक प्रोडक्शन में वृद्धि हुई है। जिसके चलते इसकी कीमतों में भारी गिरावट आई है। पहले दो एयरबैग लगाने पर व्हीकल मैन्युफैक्चर्स पर लगभग 12,000 रुपए का खर्च आता था। अब ये एयरबैग के लिए घटकर 3,000 रुपए हो गया है। ऐसे में एयरबैग की लागत कम होने से कार की सेफ्टी ज्यादा बढ़ जाएगी।

दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ड्राइवर ड्राउजीनेस अटेंशन ड्राइविंग सिस्टम को दिया जाएगा बढ़ावा

पूरे देश में सड़कों पर होने वाले हादसों में जाने कितनों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। जिस पर रोकथाम के लिए
भारत सरकार गाड़ी को सुरक्षित बनाकर देश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को कम करना चाहती है। हर साल लगभग 150,000 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को 3.1% का नुकसान होता है। सरकार का लक्ष्य 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को आधा करना है।
सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल में शोर के लिए भी नियम लेकर आ रही है। अभी ईवी में शोर नहीं होने से सड़क पर पैदल चलने वाले यात्रियों और साइकिल चालकों के लिए दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ड्राइवर ड्राउजीनेस अटेंशन ड्राइविंग सिस्टम को भी बढ़ावा देगी। ये ड्राइवर की झपकी, सुस्ती, नींद पर नजर रखेगा। जाहिर है कि इस तरह के आधुनिक फीचर्स गाड़ी के सुरक्षा मानकों में इजाफा करने के साथ दुर्घटनाओं को घटने में रोकथाम के लिए कारगर उपाय साबित होंगें।



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