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चुनाव जीतकर चर्चा में आईं चंदना बाउरी, जॉब के नाम पर है मनरेगा कार्ड
राजनीति में शुचिता की बात तो सभी करते हैं, लेकिन जिताऊ उम्मीदवार हर किसी को चाहिए।
कोलकाता। राजनीति में शुचिता की बात तो सभी करते हैं, लेकिन जिताऊ उम्मीदवार हर किसी को चाहिए। राजनीति की बागडोर अच्छे इंसान के हाथ हो इसकी जरूरत हर कोई महसूस करता है, मगर जब अच्छे इंसान को चुनने की बात आती है तो लोग अपराधी व वर्चस्व वाले को अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं। शायद यही वजह है कि राजनीति में अपराधी छवि वालों का बोलबाला है। पश्चिम बंगाल का चुनाव जहां चर्चा में बना हुआ है वहीं बीजेपी की महिला उम्मीदवार चंदना बाउरी की जीत की भी चर्चा हर जगह हो रही है। चंदना बाउरी टीएमसी उम्मीदवार संतोष मंडल को हरा कर यह साबित कर दिया है कि जनता आज भी सामान्य व्यक्ति को चुनने की क्षमता रखती है।
जिताऊ उम्मीदवार के चक्कर में राजनीतिक पार्टियां गरीब व सभ्य व्यक्ति को टिकट ही नहीं देना चाहती। क्योंकि उन्हें पता होता है ऐसा करने से उनको ही नुकसान होगा। बीजेपी पश्चिम बंगाल में सालतोरा सीट पर बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली चंदना बाउरी को अपना उम्मीदवार बनाया था। नतीजा रहा कि मजदूरी करके जीविका चलाने वाली चंदना बाउरी विधायक चुन ली गई हैं। चंदना बाउरी अनुसूचित जाति से आती हैं और वह एक गरीब मजदूर श्रवण की पत्नी हैं। बताया जा रहा है उनके पास तीन गाय व बकरियां हैं।
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जानकारी के मुताबिक चंदना बाउरी ने नामांकन के समय चुनाव आयोग को जो शपथ पत्र दिया है उसमें उन्होंने अपने खाते में मात्र 6335 रुपए होने का दावा किया है। साथ ही उन्होंने बताया है कि उनके पति श्रवण के खाते में 1561 रुपए जमा हैं। शपथपत्र के मुताबिक उनकी कुल अचल संपत्ति 31985 रुपए जबकि उनके पति की कुल अचल संपत्ति 30311 रुपए है। चंदना के पति श्रवण दिहाड़ी मजदूरी करके घर का खर्च चलाते हैं। मजदूरी के दौरान चंदना भी उनका हाथ बंटाती हैं। पति—पत्नी के का मनरेगा कार्ड भी बना हुआ है। बताया जा रहा है बीते वर्ष प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 60 हजार रुपए की पहली किश्त मिली थी, जिससे उन्होंने अपना घर बनवाया था।
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