राहुल ने जिन सीटों पर किया था प्रचार, वहां भी कांग्रेस का बेड़ा गर्क

पांच राज्यों के नतीजों ने कांग्रेस पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। सबसे खराब प्रदर्शन कांग्रेस का रहा है।

Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 4 May 2021 8:12 PM IST
rahul gandhi
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फोटो— (साभार— सोशल मीडिया)

नई दिल्ली। हाल ही में आए पांच राज्यों के चुनावी नतीजों ने कांग्रेस पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। यूं कहें तो सबसे खराब प्रदर्शन कांग्रेस पार्टी का रहा है। असम, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में कांग्रेस की हालत बेहद ही खराब रहा। वहीं तमिलनाडु में डीएमके के गठबंधन के सहयोगी होने के नाते वह सत्ता का स्वाद चखने में कामयाब हो सकी। बता दें पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में लोगों का सबसे ज्यादा ध्यान पश्चिम बंगाल पर था। यहां माना जा रहा था कि सत्तारूढ़ ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है। लेकिन चुनावी नतीजों में तृणमूल कांग्रेस को एकतरफा जीत हासिल हुई।

बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर

पश्चिम बंगाल में हार के बावजूद भी भाजपा के लिए अच्छी खबर यह है कि वह 3 से 77 सीटों पर पहुंचने में कामयाब हुई है। इसे बीजेपी का बेहतरीन प्रदर्शन माना जा सकता है। हालांकि बीजेपी ने बंगाल जीतने के लिए पूरा जोर लगा दी थी। वहीं पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा नुकसान लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन को हुआ। कांग्रेस, लेफ्ट और आईएसएफ के गठबंधन मतलब पश्चिम बंगाल का तीसरा फ्रंट इस चुनाव में बुरी तरह से पिट गया। नतीजा यह है कि गठबंधन के 50 फ़ीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका यह भी रहा कि जिस सीट पर प्रत्याशी के पक्ष में राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार किया था उस उम्मीदवार की जमानत तक नहीं बच पाई।

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लेफ्ट—कांग्रेस गठबंधन को नहीं मिली एक भी सीट

पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस के लिए यह पहला मौका है जब उसे राज्य में एक भी सीट नहीं मिली है। जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल के 292 सीटों पर हुए चुनाव में लेफ्ट और कांग्रेस वाले तीसरे मोर्चे के 49 उम्मीदवार ही ऐसे हैं जो अपनी जमानत बचा पाने में सफल हो पाए हैं। नियमत: यह है कि अगर कोई उम्मीदवार 16.5 फ़ीसदी वोट हासिल करने में असफल होता है तो उस सीट पर उसकी जमानत जब्त मानी जाती है। थर्ड फ्रंट में जहां लेफ्ट और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है वहीं तीसरे घटक दल आईएसएफ एक सीट जीतने में सफल रही है। वहीं कांग्रेस के लिए परेशान करने वाली बात यह है कि नक्सलबाड़ी और गोलपोखर में कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। मजे की बात यह है कि यह वहीं सीट है जहां राहुल गांधी ने अपने उम्मीदवारों के पक्ष में 14 अप्रैल को प्रचार किया था।

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