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जानें कैसे चलता है ममता बनर्जी का खर्च, नहीं लेतीं हैं सीएम की सैलरी

सियासत की सबसे मझी खिलाड़ी बनकर उभरीं ममता बनर्जी की सादगी ही उनकी पहचान बन गई है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 5 May 2021 10:53 AM GMT (Updated on: 6 May 2021 6:51 AM GMT)
Mamata Banerjee
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फोटो— (साभार— सोशल मीडिया)

नई दिल्ली। बंगाल की सियासत की सबसे मझी खिलाड़ी बनकर उभरीं ममता बनर्जी की सादगी ही उनकी पहचान बन गई है। उन्होंने आज एक बार फिर से पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली है। उन्होंने तीसरी बार आज फिर से पश्चिम बंगाल की कमान संभाली है। कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के चलते उनका शपथ ग्रहण कार्यक्रम बेहद सामान्य रूप में संपन्न हुआ। बता दें कि सादे लिबास में रहने वाली ममता की जिंदगी भी उन्हीं की तरह एकदम सादगी भर है।

सादगी बनी पहचान

राजनीति के क्षेत्र में ममता बनर्जी का कद अब काफी ऊंचा हो चुका है। उनकी गिनती अब कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में होने लगी है। इन सबके बावजूद भी उन्होंने जो सादगी की मिसाल कायम की है वही उनकी पहचान बन गई है। विधायक से लेकर सांसद, कैबिनेट मंत्री और तीन बार मुख्यमंत्री की कमान संभालने के बाद आज भी एक सामान्य महिला की तरह अपनी जिंदगी बिताती हैं। पैरों में हवाई चप्पल और सफेद सूती साड़ी उनकी पहचान बन चुकी है। शायद वहीं वजह है कि बंगाल की जनता उनपर लगातार विश्वास जताती आ रही है।

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न सैलरी लेती है और न ही पेंशन

सीएम ममता बनर्जी के बारे में कई तरह कि अफवाहें हैं। लेकिन जानकारी के मुताबिक एक सामान्य बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मीं ममता बनर्जी ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया था कि वह पिछले सात वर्षों से पूर्व सांसद के तौर पर पेंशन तक नहीं ली है। जबकि वह पूर्व सांसद और मंत्री रहने के नाते पेंशन की हकदार हैं। इतना ही नहीं ममता बनर्जी बतौर मुख्यमंत्री मिलने वाली सैलरी को भी नहीं लेतीं। उन्होंने कहा कि ऐसा करके वह लाखों रुपए सरकार के बचा लेतीं हैं। ममता के मुताबिक वह सरकारी कार तक का इस्तेमाल नहीं करती। प्लेन में सफर के दौरान वह इकोनॉकी क्लास में ही सफर करती हैं।

ऐसे चलता है खर्च

सैलरी और पेंशन न लेने के बावजूद उनका खर्च कैसे चलता है यह अपने आप में बड़ा सवाल है। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी किताबों की रॉयल्टी से ही उनके खर्च का पैसा आ जाता है। बताते चलें कि ममता की 80 से अधिक किताबें छप चुकी हैं। इनमें से कुछ बेसट सेलर भी हैं। इसके साथ ही ममता गानों के बोल लिखकर भी कमाई कर लेती हैं। ममता के अनुसार वह अपने चाय तक का खर्च खुद ही उठाती हैं।

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Raghvendra Prasad Mishra

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