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बिहार विधानसभा चुनाव: इस बार नौकरियों की बारिश, मिलेगा रोजगार

राजनीतिक दलों के वादे बिहार की हकीकत को बयां करते हैं। और ये हकीकत है बेरोजगारी की। असलियत ये है कि बिहार का 31 फीसदी युवा जिसकी उम्र 15 से 29 साल के बीच है, पढ़े लिखे होने के बावजूद बेरोजगार है।

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Published on: 25 Oct 2020 12:12 PM GMT
बिहार विधानसभा चुनाव: इस बार नौकरियों की बारिश, मिलेगा रोजगार
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बिहार विधानसभा चुनाव: इस बार नौकरियों की बारिश, मिलेगा रोजगार (Photo by social media)

पटना: बिहार में इस साल हो रहे विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल नौकरियों की बारिश कर रहे हैं। अगर इन दलों में से कोई एक भी इतनी नौकरियां दिला सके, तो बिहार में समस्या ही खत्म हो जाएगी। हर पार्टी लाखों रोजगार देने की बात कर रही है। रोजगार न देने पर बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया गया है।

बिहार विधानसभा चुनाव

राजनीतिक दलों के वादे बिहार की हकीकत को बयां करते हैं। और ये हकीकत है बेरोजगारी की। असलियत ये है कि बिहार का 31 फीसदी युवा जिसकी उम्र 15 से 29 साल के बीच है, पढ़े लिखे होने के बावजूद बेरोजगार है।

भारत में केरल के बाद बिहार ऐसा दूसरा राज्य है, जहां इतने सारे युवा रोज़गार ढूंढ रहे हैं। बेरोज़गारी दर के मामले में भी बिहार दूसरे नंबर पर है। बिहार की बेरोज़गारी दर दिल्ली से थोड़ी ही कम यानी 9.8 फीसदी है। जहाँ दिल्ली में 60 फीसदी कामगार निश्चित वेतन के हैं वहीं बिहार के मात्र 10.4 फीसदी लोगों को ही काम के बदले निश्चित वेतन भत्ता मिल पाता है।

श्रम शक्ति में बिहार सबसे नीचे

बिहार जैसे बड़े राज्य में युवाओं का लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट पूरे भारत में सबसे कम है। बिहार के 15 से 29 साल तक के सिर्फ 27.6 फीसदी युवा ही रोज़गार पा सके हैं, जबकि कुल 40 प्रतिशत के आसपास युवा लेबर फोर्स का हिस्सा हैं। लेबर फोर्स पार्टीसिपेशन रेट मामले में बिहार सबसे निचले पायदान पर है। असलियत ये है कि बिहार में काम है नहीं तो श्रम शक्ति में युवा दिखेंगे भी तो कैसे, वे तो अन्य राज्यों की श्रम शक्ति में अपना योगदान कर रहे हैं।

बिहार के 23 फिसदी ग्रेजुएट्स बेरोज़गार हैं

आपको बता दें कि यहां 23 फिसदी ग्रेजुएट्स बेरोज़गार हैं और देश के सबसे ज़्यादा पढ़े-लिखे बेरोज़गार युवाओं वाले 5 राज्यों में से बिहार एक है। यहां तक की महिलाओं के लिए भी बिहार में रोज़गार की हालत ये है कि केवल 4.3 फिसदी महिलाएं ही नौकरियां कर रही हैं। पूरे भारत में सबसे कम नौकरी करने वाली महिलाएं बिहार में ही हैं। युवाओं से लेकर महिलाओं तक हर कोई नौकरी के मामले में पिछड़ा हुआ है।

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पिछले 30 साल से बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, जनता दल युनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी सत्ता में रही है, लेकिन आज भी यहां के युवाओं को शिक्षा या नौकरी के लिए अन्य राज्यों में पलायन करना ही पड़ता है।

इन दलों के वादे नौकरी देने के हैं लेकिन नौकरी देने वाले उद्योग कैसे और किस प्लान के तहत लगाये जायेंगे इस बारे में कोई विज़न नहीं दिखाई देता है जिससे लगता है कि सब बातें हवाई ही हैं। सिर्फ भाजपा ने कुछ ठोस बात की है जो बिहार को आईटीहब बनाने की है।

प्रमुख पार्टियों के घोषणापत्रों में किये गए वादे

बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर वोटिंग शुरू होने में अब चंद दिन बचे हैं और तमाम पार्टियों ने वोटर्स को लुभाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सभी प्रमुख पार्टियां चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र भी जारी कर चुकी हैं और उन्होंने जनता से एक से बढ़कर एक वादे किए हैं जिनमें लाखों नौकरियों का वादा सबसे अहम है।

भाजपा ने किए ये वादे

'संकल्प पत्र' नामक भाजपा के घोषणापत्र में सभी बिहार वासियों को मुफ्त में कोरोना वैक्सीन प्रदान करने और 19 लाख नौकरियां पैदा करने के वादे सबसे अहम हैं। इसमें 3 लाख शिक्षकों की नियुक्ति, 10 लाख नौकरियां पैदा करने के लिए बिहार को आईटी हब बनाने और स्वास्थ्य क्षेत्र में एक लाख नौकरियां पैदा शामिल है। एक करोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और 30 लाख लोगों के लिए पक्के घर बनाने का वादा भी किया गया है।

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जनता दल यूनाइटेड

भाजपा की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड ने 'सात निश्चय-2' नामक अपने घोषणापत्र में युवाओं और महिलाओं को लेकर अहम वादे किए हैं। पार्टी से युवाओं से बेहतर टेक्निकल ट्रेनिंग प्रदान करने और नया उद्योग लगाने के लिए 50 प्रतिशत लागत (अधिकतम 3 लाख रुपये) की मदद प्रदान करने का वादा किया है।

वहीं महिलाओं को उद्योग के लिए 50 प्रतिशत लागत (अधिकतम 5 लाख रुपये) और 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त लोन प्रदान किया जाएगा।

जदयू ने अविवाहित लड़कियों को 12वीं पास करने पर 25,000 रुपये और ग्रेजुएशन पास करने पर 50,000 रुपये की आर्थिक मदद प्रदान करने का वादा भी किया है। हर खेत तक पानी और हर गली तक सोलर लाइट पहुंचाने जैसे वादे भी किए गए हैं।

राष्ट्रीय जनता दल

राष्ट्रीय जनता दल ने 'हमारा प्रण' नामक अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि उसकी सरकार बनते ही वह अपनी पहली कैबिनेट बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरियों को मंजूरी देगी। इसके अलावा मनरेगा में हर व्यक्ति के लिए काम प्रदान करने का प्रावधान करने और 200 दिन काम प्रदान करने का वादा भी किया गया है। संविदा प्रथा को खत्म कर शिक्षकों को स्थाई नौकरी प्रदान करने और 'समान काम, समान वेतन' का वादा भी किया गया है।

कांग्रेस

राजद की सहयोगी और महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने 'बदलाव पत्र' नामक अपने घोषणापत्र में कई बड़े वायदे किए हैं। पार्टी ने 10 लाख नौकरियां प्रदान करने, किसानों का कर्ज माफ करने, 1,500 रुपये बेरोजगारी भत्ता और बिजली बिल में 50 प्रतिशत छूट आदि वादे किए हैं। उसने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का वादा भी किया है।

कांग्रेस के घोषणापत्र में कई चीजें महागठबंधन के घोषणापत्र से मिलती हैं और उसमें भी यही वादे हैं।

लोक जनशक्ति पार्टी

चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' नामक अपने विजन डॉक्यूमेंट में जाति और धर्म मुक्त समाज बनाने और राज्य का समावेशी विकास करने का वादा किया है।

उन्होंने बिहार में एक फिल्म सिटी और कोटा की तर्ज पर एक कोचिंग सिटी बनाने, अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण, खाली पड़े सभी सरकारी पदों पर भर्ती, 2.5 लाख रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य बीमा और शिक्षा व्यवस्था की कायापलट जैसे वादे किए हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव की वोटिंग तीन चरणों में होनी है और पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को होगी। दूसरे चरण की वोटिंग 3 नवंबर और तीसरे चरण की वोटिंग 7 नवंबर को होगी। चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे।

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