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बिहार चुनाव 2020: पहले चरण में सीधी लड़ाई, पिछली बार राजद ने जीती थीं 25 सीटें
पहले दौर का मतदान जिन विधानसभा क्षेत्रों में होने जा रहा है, वहां 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू-आरजेडी वाले तत्कालीन ‘महागठबंधन’ को 46 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
नील मणि लाल
बिहार: बिहार में पहले चरण वाली सीटों में एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ी और सीधी लड़ाई है। पहले दौर के मतदान से बाक़ी दो चरणों में दोनों मुख्य प्रतिद्वंद्वी गठबंधनों के साफ़ संकेत मिल जायेंगे।
'महागठबंधन’ को काफ़ी उम्मीदें
पहले दौर का मतदान जिन विधानसभा क्षेत्रों में होने जा रहा है, वहां 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू-आरजेडी वाले तत्कालीन ‘महागठबंधन’ को 46 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इनमें 25 पर आरजेडी और 21 पर जेडीयू के उम्मीदवार विजयी हुए थे। इस बार भी बदले हुए समीकरण के बावजूद 'महागठबंधन’ ने उन सीटों पर काफ़ी उम्मीदें लगा रखी हैं। इस बार राजद ने इन सीटों पर ख़ास फोकस किया हुआ है क्योंकि पहले चरण से आगे के चुनाव के लिए महत्वपूर्ण सन्देश जाते हैं।
पहले चरण में 16 जिलों की 71 सीटों पर मतदान हो रहा है। विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं।
ये हैं सीटें: कहलगांवसुल्तानगंज, अमरपुर, धौरैया, बांका, कटोरिया, बेलहर, तारापुर, मुंगेर, जमालपुर, सूर्यगढ़ा, लखीसराय, शेखपुरा, बरबीघा, मोकामा, बाढ़, मसौढ़ी, पालीगंज, बिक्रम, संदेश, बड़हरा, आरा, अगिआंव, तरारी, जगदीशपुर, शाहपुर, ब्रहमपुर, बक्सर, डुमरांव, राजपुर, रामगढ़, मोहनियां, भभुआ में वोट डाले जायेंगे। इसके साथ ही पहले चरण में चैनपुर, चेनारी, सासाराम, करगहर, दिनारा, नोखा, डिहरी, काराकट, अरवल, कुर्था, जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर, गोह, ओबरा, नवीनगर, कुटुम्बा, औरंगाबाद, रफीगंज, गुरूआ, शेरघाटी, इमामगंज, बाराचट्टी, बोध गया, गया टाउन, टिकारी, बेलागंज, अतरी, वजीरगंज, रजौली हिसुआ, नवादा, गोबिंदपुर, वारसलीगंज, सिकंदरा, जमुई, झाझा और चकाई।
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अब रोजगार को मुद्दा बनायेगी भाजपा
बिहार चुनाव में सभी दलों, खासकर राजद ने रोजगार को बड़ा मुद्दा बना दिया है। आर्थिक संकट, बेरोजगारी, प्रवासी मजदूरों की हालत जैसे मसलों को राजद नेता तेजस्वी यादव सबसे ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। महागठबंधन के बाकी दल भी बेरोजगारी की समस्या पर फोकस किये हुए हैं। ऐसे में अब बाकी चरणों के चुनाव प्रचार में भाजपा और जदयू भी रोजगार के मसले पर फोकस करेगी ताकि इस मुद्दे को अपने फेवर में किया जा सके। जानकारों का कहना है कि भाजपा अब समझ रही है कि चुनाव में नौकरियों व रोजगार का मुद्दा प्रभावी और निर्णायक हो सकता है।
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नौकरियों के वादे
राजद ने सत्ता में आने पर दस लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया हुआ है। जिस तरह युवाओं का सपोर्ट तेजस्वी यादव को मिला है उससे ऐसा लगता है कि युवा मतदाता विपक्ष की तरफ जा सकता है। भाजपा विपक्ष को झूठा ठहराने की बजाये रोजगार बढ़ाने की योजनाओं को पेश कर सकती है।
भाजपा अब ये बताने पर फोकस करेगी उसके शासन में किस तरह से रोजगार बढ़ा है और आगे भी बढ़ेगा।
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