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सैंकड़ों गरीब बच्चों की बदली तकदीर, इस शख्स को पहचानता है पूरा देश...
आरके श्रीवास्तव का ये मुकाम उनके अपने संघर्षों की वजह से है। इनका जीवन बेहद गरीबी में गुजरा। खराब आर्थिक हालात की वजह से आनंद मनचाही पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए
पटना आरके श्रीवास्तव अन्य लोगों की तरह एक सामान्य इंसान हैं। लेकिन उन्होंने अन्य लोगों से बिल्कुल अलग और बहुत ही असाधारण काम किए। आज उसी काम की वजह से न सिर्फ बिहार बल्कि दुनियाभर में तमाम लोग उन्हें बहुत सम्मान देते हैं। आरके श्रीवास्तव पेशे से टीचर हैं जिन्होंने अब तक सैकड़ों गरीब बच्चों को पढ़ाकर बेहतर जिंदगी जीने लायक बनाया। बिहार के इस शख्स को सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर पढाने के लिए जाना जाता है। एक ऐसा गुरु जिसने दर्जनों सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को इतना काबिल बना दिया कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में आईआईटी, एनआईटी ,बीसीईसीई जैसे संस्थानों में दाखिला पाया और आज बेहतर जिंदगी जी रहे हैं।
कई सम्मान से नवाजा
आरके श्रीवास्तव गणितज्ञ हैं। उनके शैक्षणिक कार्यशैली के लिये उनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है। देश के सारे प्रतिष्ठित अखबारों में सैकङो से अधिक बार उनके शैक्षणिक कार्यशैली की खबरे छप चुके है। गूगल ब्वाय कौटिल्य पंडित के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है। आरके श्रीवास्तव को उनके काम की वजह से भी देश में तमाम तरह के सम्मान से नवाजा गया।
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हालांकि आरके श्रीवास्तव का ये मुकाम उनके अपने संघर्षों की वजह से है। इनका जीवन बेहद गरीबी में गुजरा। खराब आर्थिक हालात की वजह से आनंद मनचाही पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए। घर की हालत इतनी खराब थी कि आँटो रिक्शा के चलने से जो इनकम आता उसी से परिवार का भरण पोषण होता। आरके श्रीवास्तव के पिता एक किसान थे। बचपन में ही पिता के खोने के बाद काफी संघर्ष कर माँ ने आरके श्रीवास्तव को पढाया लिखाया। निजी विद्यालयों के अधिक खर्चों के कारण उनके पढ़ाई हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूलों में हुई। आरके श्रीवास्तव को बचपन से ही गणित से बेहद लगाव था। टीबी की बिमारी के कारण वे नही दे पाये थे ।
गरीब परिवार में जन्मे
आरके श्रीवास्तव का जन्म बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज में एक गरीब परिवार में हुआ था । उनके पिता एक किसान थे, जब आरके श्रीवास्तव पांच वर्ष के थे तभी उनके पिता पारस नाथ लाल इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। पिता के गुजरने के बाद आरके श्रीवास्तव की माँ ने इन्हें काफी गरीबी को झेलते हुए पाला पोषा। आरके श्रीवास्तव को हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल में भर्ती कराया। उन्होंने अपनी शिक्षा के उपरांत गणित में अपनी गहरी रुचि विकसित की। जब आरके श्रीवास्तव बड़े हुए तो फिर उनपर दुखों का पहाड़ टूट गया, पिता की फर्ज निभाने वाले एकलौते बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव भी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए।
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अब इसी उम्र में आरके श्रीवास्तव पर अपने तीन भतीजियों की शादी और भतीजे को पढ़ाने लिखाने सहित सारे परिवार की जिम्मेदारी आ गयी। अपने जीवन के उतार चढ़ाव से आगे निकलते हुए आरके श्रीवास्तव ने 10 जून 2017 को अपनी बड़ी भतीजी का शादी एक शिक्षित सम्पन्न परिवार में करके एक पिता का दायित्व निभाया। आज पूरा देश आरके श्रीवास्तव के संघर्ष की मिसाल देता है। कभी न हारने का संघर्ष। आरके श्रीवास्तव हमेशा अपने स्टूडेंट्स को समझाते है कि "जीतने वाले छोड़ते नही, छोड़ने वाले जीतते नहीं।
खिलौने बनाकर प्रैक्टिकल में यूज
बिहार देशभर में अनूठे एकेडमिक्स की वजह से भी चर्चित है। आरके श्रीवास्तव ने गरीब बच्चों को आईआईटी (IIT), एनआईटी, बीसीईसीई जैसे संस्थानों में भेजकर ऐसी लकीर खींच दी है कि पूरी दुनिया उनके काम को सलाम करती है। मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava) भी गज़ब तरीके से बच्चों को पढ़ाते हैं। आरके चुटकले और कबाड़ों के जरिए से खेल-खेल में बच्चों को गणित की मुश्किल पढ़ाई करवाते हैं। कबाड़ को जुगाड़ से खिलौने बनाकर प्रैक्टिकल में यूज करते हैं। वो सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, सवाल हल करना बताते हैं।
फ्री नाईट क्लासेज
वो 450 से ज्यादा बार फ्री नाईट क्लासेज चलाकर भी सुर्खियां बटोर चुके हैं। उनकी क्लास में स्टूडेंट पूरी रात 12 घंटे गणित की पढ़ाई कर चुके हैं। जो खुद मैं हैरान करने वाली बात है। लोग बताते हैं कि वह भी सुपर 30 की तरह भी गरीब स्टूडेंट को इंजीनियर बनाते हैं। इसके बदले में मात्र एक रुपए गुरुदक्षिणा लेते हैं। कई लोग दावा करते हैं कि आरके, सुपर 30 के आनंद कुमार की परंपरा के टीचर हैं।
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जीवन संघर्ष भरा रहा
गरीब परिवार में जन्में बिक्रमगंज रोहतास के आरके श्रीवास्तव का जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा। जिससे लड़ते हुए वह अपनी पढ़ाई पूरी की। लेकिन, टीबी की बीमारी के कारण आईआईटी की प्रवेश परक्षा नहीं दे पाए। बाद में ऑटो चलने से होने वाले इनकम से परिवार का भरण-पोषण होने लगे। उनके शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा रास्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं । आरके श्रीवास्तव को उनके उज्वलल भविष्य के लिए आशीर्वाद भी दे चुके है। आज आरके श्रीवास्तव की माँ और भाभी उनके उपलब्धियों पर गर्व करती है।
रामानुजन और वशिष्ठ नारायण सिंह को आदर्श मानने वाले आरके श्रीवास्तव बाद में कोचिंग पढ़ाने लगे। गणित के लिए इनके द्वारा चलाया जा रहा निःशुल्क नाईट क्लासेज अभियान पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है। इस क्लास को देखने और उनका शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिए कई विद्वान उनके इंस्टीट्यूट आ चुके हैं।