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कभी घर में थी पैसों की दिक्कत, अब इंजीनियर बन दुबई में लेता है लाखों की सैलरी

ASAD के इंजीनियर बनने के बाद अब परिवार की स्थिति बेहतर हुई। ASAD बचपन से हिन्दी मीडियम के सरकारी स्कूलों से पढा। उसने inter high SCHOOL बिक्रमगंज से 10 वी की परीक्षा पास किया, उसके बाद AS COLLEGE बिक्रमगंज से 12 वी और वर्ष 2009 में इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफलता पाकर Birbhum institute of Engineering and Technology इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया।

Ashiki
Published on: 30 Jan 2021 5:24 PM GMT
कभी घर में थी पैसों की दिक्कत, अब इंजीनियर बन दुबई में लेता है लाखों की सैलरी
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कभी घर में थी पैसों की दिक्कत, अब इंजीनियर बन दुबई में लेता है लाखों की सैलरी

पटना: बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के ASAD KHAN की स्टोरी है प्रेरणा दायक। आप भी पढ़े कैसे हिन्दी मीडियम के सरकारी स्कूल में पढने वाला ASAD बना इंजीनियर। ASAD के पिता का नाम MD SABIL AHMAD KHAN है। ASAD की सफलता में उसके मेहनत के साथ उसके माता पिता का दिया गया संस्कार और गुरु आरके श्रीवास्तव का बहुत बड़ा योगदान है। उन दिनो ASAD की परिवारीक स्थिति उतना बेहतर नही था, परन्तु समय बदला, परस्थितियां बदली तो आज ASAD DUBAI में Konica Minolta business solutions COMPANY में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। इससे पहले भारत में MULTI NATIONAL COMPANY HCL में कार्यरत था।

अब परिवार की स्थिति बेहतर हुई

ASAD के इंजीनियर बनने के बाद अब परिवार की स्थिति बेहतर हुई। ASAD बचपन से हिन्दी मीडियम के सरकारी स्कूलों से पढा। उसने inter high SCHOOL बिक्रमगंज से 10 वी की परीक्षा पास किया, उसके बाद AS COLLEGE बिक्रमगंज से 12 वी और वर्ष 2009 में इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफलता पाकर Birbhum institute of Engineering and Technology इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। उसने ECE ब्रांच से अपना बीटेक किया।

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गाँव से पढकर इंजीनियर बना

ASAD अपने गाँव बिक्रमगंज से पढकर इंजीनियर बना। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक संस्थान में उनके सानिध्य में पढकर सफलता पाया। अभी वर्तमान में ASAD दुबई में Konica Minolta business solutions कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। ASAD का परिवार हमेशा गुरु आरके श्रीवास्तव की प्रशंसा करते नही थकते जिसने उसे इंजीनियर बनने के लिये प्रेरित किया।

आरके श्रीवास्तव बताते है की ASAD मेरे पहले बैच का स्टूडेंट है, जब टीबी की बिमारी के चलते ईलाज के दौरान डॉक्टर ने मुझे घर पर रहकर आराम करने का सलाह दिये थे, घर पर रहते रहते बोर होने लगा तो गाँव के स्टूडेंट्स को पढाना चालू किया। आज जब दूबई से ASAD का फ़ोन आया, घंटो बातचीत हुआ तो ASAD ने बताया की सर आप हम जैसे स्टूडेंट्स के लिये फरिश्ता बनकर आये थे , गाँव में इंजीनियरिंग का माहौल बनाना और स्टूडेंट्स को सफल बनाना किसी चमत्कार से कम नहीं।

पूरी रातभर लगातार पढाते थे

बातचीत के वक्त ASAD ने कहा कैसे सर आप पूरी रातभर लगातार हमलोगों को पढाते थे , कब रात से सुबह हो जाता पता ही नही चलता था। आज आपके द्वारा कराये गये मेहनत का ही देन है की हम इस उपलब्धी तक पहूँचे है। आरके श्रीवास्तव ने कहा आप जैसे स्टूडेंट्स पर काफी गर्व होता है जो अपनी मिट्टी से आज भी जुड़े है। आप देश के उन सभी स्टूडेंटस के लिये रॉल मॉडल जो गाँव में कम सुविधा में रहकर भी इंजीनियर बनने का सपना देखते है और उस सपने को साकार करते है।

आरके श्रीवास्तव ने बताया की ASAD उन लाखो स्टूडेंट्स के लिये ROLE मॉडल है जो ग्रमीण परिवेश में रहकर अपने सपने को पंख लगाना चाहते है। बातचीत के दौरान asad ने बताया की सर अब financiaL condition घर के काफी बेहतर हो गये है, अपना नया घर भी मैने बना लिया। सबसे बड़ी बात asad ने दिल को छू लेने वाला बताया जो हर भारतीय को उससे सीख लेना चाहिये।

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ASAD ने बताया की सर आपने तो नि:स्वार्थ भाव से दिन रात पढ़ाकर इंजीनियरिंग कॉलेज तक तो हमें पहूचा दिया, परन्तु इंजीनियरिंग कॉलेज का फी देने में जब परिवार को काफी दिक्कत होने लगा तो आपने फोन कर के उस परिस्थिति में भी हिम्मत दिया और सहायता किया। आपकी कुछ सलाह से मैने पढाना शुरु किया और उससे जो इनकम होता था उससे कॉलेज का फी देने लगा। आरके श्रीवास्तव ने कहा की आपके माता-पिता और आप पर हम सभी को गर्व है, आपके हौसलो से यह सीख मिलता है की "जीतने वाले छोङते नही , छोड़ने वाले जीतते नहीं "।

Ashiki

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