फेल हुईं पुष्पम प्रिया: बिहार में नहीं चला इनका सिक्का, मुख्य मुकाबलें से भी बाहर

खुद को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश कर चर्चा में आई पुष्पम प्रिया चैधरी ने चुनाव के दौरान यह भी दावा किया था कि वह बिहार की स्थिति में आमूल-चूल परिवर्तन करके आगामी 5 सालों में देश का सबसे विकासशील राज्य बना देंगी।

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Published on: 10 Nov 2020 2:16 PM GMT
फेल हुईं पुष्पम प्रिया: बिहार में नहीं चला इनका सिक्का, मुख्य मुकाबलें से भी बाहर
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फेल हुईं पुष्पम प्रिया: बिहार में नहीं चला इनका सिक्का, मुख्य मुकाबलें से भी बाहर

मनीष श्रीवास्तव

पटना: बीती 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर बिहार के सभी प्रमुख अखबारों में दो पेज का विज्ञापन देकर खुद को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश कर चर्चा में आई पुष्पम प्रिया चैधरी ने चुनाव के दौरान यह भी दावा किया था कि वह बिहार की स्थिति में आमूल-चूल परिवर्तन करके आगामी 5 सालों में देश का सबसे विकासशील राज्य बना देंगी।

विदेश में पढ़ी व आकर्षक छवि वाली विधानसभा चुनाव में अपनी प्लूरल्स पार्टी का गठन कर राजनीति में आई पुष्पम प्रिया खुद भी दो विधानसभा सीटों बिस्फी तथा बांकीपुर से चुनाव मैदान में उतरी लेकिन दोनों ही जगह पिछड़ने के साथ ही वह मुख्य लड़ाई में भी नहीं दिखी।

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राजनीतिक विरासत

पुष्पम प्रिया के पास राजनीतिक विरासत है। उनके बाबा उमाकांत चैधरी जनता दल यूनाइटेड के संस्थापक सदस्यों में थे और दो बार हायाघाट विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़े, लेकिन हार गए। उनके पिता विनोद चैधरी भी जनता दल यूनाइटेड से जुडे़ रहे और विधान परिषद सदस्य भी रहे। जबकि उनके चाचा विनय चैधरी इस विधानसभा चुनाव में बेनीपुर की सीट पर जदयू के प्रत्याशी है। लेकिन पुष्पम प्रिया ने जदयू में न शामिल होकर राजनीतिक विरासत से इतर अपनी नई प्लूरल्स पार्टी का गठन किया और चुनाव मैदान में कूद पड़ी।

पुष्पम ने इस दौरान कई नए प्रयोग किए।

हर धर्म और जाति के लोगों को आर्थिक आजादी का वादा

उन्होंने अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के जाति के नाम के आगे प्रोफेशनल और इलाके के स्थान पर बिहारी लिखा। जाति के नाम पर होने वाली राजनीति का विरोध करने वाली पुष्पम आज के वामपंथियों को गलत बताती है लेकिन ज्योति बसु के वामपंथ का समर्थन करती है। उन्होंने बिहार में ज्यादा से ज्यादा आर्थिक अवसर लाने की वकालत करते हुए बिहार में हर धर्म और जाति के लोगों को आर्थिक आजादी देने की बात की।

लंदन के स्कूल आफ इकनामिक्स से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने वाली पुष्पम प्रिया गांधीवादी विचारधारा में भरोसा करती है और किसान हितों की बात करती है। उनका दावा था कि वह अगले 05 वर्षों में बिहार को देश का सबसे विकासशील राज्य तथा 10 सालों में यूरोप के कई देशों के बराबर ला कर खड़ा कर देंगी। चुनाव नतीजों में पिछड़ने पर उन्होंने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए टव्ीट किया है कि जहां कार्यकर्ताओं ने मेरे सामने अंदर जाकर वोट डाला, उन बूथों पर भी मुझे कोई वोट नहीं मिला।

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