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Bihar News: तीन बच्चों का चक्कर और चली गई राखी की मेयर की कुर्सी! जानिए क्या है मामला
Bihar News: छपरा की मेयर राखी गुप्ता ने अपने चुनावी हलफनामे में केवल दो बेटियों का ही जिक्र किया था, जबकि उनके तीन बच्चे हैं। उनकी इसी चुनावी हलफनामे को चुनौती देते हुए राज्य चुनाव आयोग में मामला दर्ज कराया गया था। जांच के बाद आयोग ने उन्हें मेयर पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है।
Bihar News: आज कल राखी गुप्ता काफी चर्चा में हैं। उनके चर्चा में रहने का कारण है उनके तीन बच्चे और इसी के कारण उनकी मेयर की कुर्सी का जाना। राखी बिहार के छपरा नगर निगम की मेयर थीं। लेकिन वो तीन बच्चों की मां थीं और इसी कारण से उनकी मेयर की कुर्सी चली गई। दरअसल, राखी ने जब अपना चुनावी हलफनामा दिया था तो उसमें उन्होंने दो बच्चों का ही जिक्र किया था और एक को छिपा लिया था और यही उनकी कुर्सी जाने का कारण बन गया। राखी के हलफनामे को चुनौती देते हुए चुनाव आयोग में मामला दर्ज कराया गया, जिसकी जांच के बाद चुनाव आयोग ने राखी गुप्ता को मेयर पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। इसके साथ ही उनकी मेयर पद की कुर्सी चली गई। अब इसको लेकर काफी चर्चाएं भी हो रही हैं। लेकिन वहीं राखी की एक गलती उन पर भारी पड़ गई और आज उन्हें मेयर पद से हाथ धोना पड़ गया। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला और वो नियम जिसकी वजह से राखी की कुर्सी गई-
दिसंबर 2022 में राखी गुप्ता ने बिहार के छपरा नगर निगम से मेयर का चुनाव लड़ा और जीत कर मेयर बनीं। नामांकन के समय उन्होंने चुनावी हलफनामे में केवल दो बच्चियों का ही जिक्र किया था। जबकि, छपरा रजिस्ट्री ऑफिस से मिले कागजात के अनुसार उनके तीन बच्चे निकले। राखी गुप्ता ने अपने चुनावी हलफनामे में तीसरे नंबर की संतान का जिक्र ही नहीं किया। ऐसे में बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 के मुताबिक राखी गुप्ता को अयोग्य करार दिया गया।
छपरा नगर निगम की मेयर थीं
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वहीं इस मामले में राखी गुप्ता का कहना है कि उन्होंने अपने तीसरे बच्चे को एक निःसंतान रिश्तेदार को लिखित रूप से गोद दे दिया था। ऐसे में कानूनी रूप से उनके दो ही बच्चे हैं। लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने नियम का हवाला देते हुए राखी गुप्ता की मेयर पद की सदस्यता रद्द कर दी।
वो नियम जिसके चलते चली गई मेयर की कुर्सी?
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बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 (1) (एम) के अनुसार, अगर किसी नागरिक को 4 अप्रैल, 2008 के बाद तीसरी संतान हुई, तो वह नगर पालिका निर्वाचन में चुनाव नहीं लड़ सकता है। इस अधिनियम में ही यह भी स्पष्ट किया गया था कि दो से अधिक संतान वाले लोग अगर किसी को बच्चा गोद दे देते हैं तब भी वो उस बच्चे के जैविक माता-पिता माने जाएंगे।
फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची
यहां मतलब साफ है कि बच्चे को गोद देने के बाद भी वो चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ही रहेंगे। हालांकि, अगर एक ही बार में जुड़वा या इससे ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं तो उस केस में नियम में बदलाव होगा।
पूर्व मेयर ने की थी शिकायत
नगर पालिका अधिनियम 2007 के इसी नियम के तहत छपरा नगर निगम की पूर्व मेयर सुनीता देवी ने राखी गुप्ता के खिलाफ राज्य चुनाव आयोग में उनके दिए गए हलफनामे को लेकर शिकायत की थी। पांच महीने की सुनवाई के बाद बीते गुरुवार को मामले में चुनाव आयोग का फैसला आया और अखिरकार राखी की मेयर की कुर्सी चली गई। हालांकि, फैसले के खिलाफ राखी ने अब हाईकोर्ट का रुख किया है।
जांच में यह बात आई सामने
राज्य चुनाव आयोग की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि राखी गुप्ता ने अपने हलफनामे में 4 अप्रैल 2008 के बाद पैदा हुए अपने तीसरे बच्चे की जानकारी छुपाई थी। उन्होंने केवल अपनी दो बेटियों की ही जानकारी दी हलफनामे में दी थी। इस तरह राखी ने नगर पालिका अधिनियम 2007 का उल्लंघन किया था। खुद छपरा जिलाधिकारी द्वारा आयोग को यह जानकारी दी गई थी कि राखी गुप्ता और उनके पति वरुण प्रकाश ने अपने तीसरे पुत्र श्रीश प्रकाश (6) को अपने निःसन्तान रिश्तेदार को कानूनी रूप से गोद दिया था। उस गोदनामे में बायोलॉजिकल माता-पिता के रूप में राखी और वरुण का नाम लिखा है। इस कारण से राखी गुप्ता की मेयर की कुर्सी चली गई।
मॉडल से मेयर तक
बतादें कि राखी गुप्ता मॉडल भी रह चुकी हैं। आई-ग्लेम मिसेज बिहार प्रतियोगिता (2021) की वो रनर अप रही हैं। राखी गुप्ता ने एमबीए की पढ़ाई की है। उन्होंने पिछले साल मेयर पद के लिए छपरा से पहली बार चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीत हासिल की। इंस्टाग्राम पर उनके नाम से बने पेज पर 70 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। यहां उनकी तमाम फोटोज मौजूद हैं। उनके स्टाइलिश लुक की भी खूब चर्चा होती रही है। लेकिन राखी की एक गलती के कारण ही आज उन्हें मेयर की कुर्सी से हाथ धोना पड़ गया।