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S. Jaishankar on Ramayana: श्रीकृष्ण और हनुमान जी का किया जिक्र।
जयशंकर ने बताया, "हनुमान और श्रीकृष्ण के अलावा, अंगद और उनकी मां तारा जैसे और भी राजनयिक हैं, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में अपने नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन किया है।"
S Jaishankar on Ramayana : भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक विशेष साक्षात्कार में अपनी नई पुस्तक 'व्हाई भारत मैटर्स' (Why Bharat Matters) पर चर्चा की। उन्होंने विदेश सचिव और विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद पिछले 10 वर्षों की भारत की विदेश नीति और चुनौतियों पर भी अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान, उन्होंने रामायण और महाभारत के विषय पर भी चर्चा की।
विदेश मंत्री जयशंकर जी ने बताया कि रामायण में हनुमान, अंगद, और महाभारत में श्रीकृष्ण जैसे कई महान राजनयिक है। जिस प्रकार हनुमान जी ने राम जी की सहायता करी और भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत में गीता के माध्यम से अर्जुन का मार्गदर्शन किया ठीक उसी प्रकार से अंगद और तारा ने भी कठिन परिस्थितियों में अपने नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन किया है। हिंदू महाकाव्य रामायण और महाभारत में सिर्फ वीरता और धर्म से जुड़े किस्से ही नहीं हैं, बल्कि इनमें राजनीतिक ज्ञान और कुशल कूटनीति के अनमोल रत्न भी शामिल हैं। इन महान कहानियों में कुशल वक्ता और प्रभावशाली राजदूतों के कार्य भी शामिल हैं, और इन पौराणिक प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों में हनुमान, अंगद, और कृष्ण जैसे तीन प्रमुख व्यक्तियों के राजनयिक कौशल उनकी शारीरिक शक्ति उनके दिव्य कद के समान ही महत्वपूर्ण थे।
हनुमान जी
भगवान हनुमान, जो केवल एक वीर योद्धा ही नहीं थे, बल्कि एक कुशल राजदूत भी थे। उन्होंने सीता के अपहरण करने वाले राक्षस राज रावण से वार्ता के लिए लंका की उनकी यात्रा एक उत्कृष्ट कृति प्रदर्शित करती है। कठिन परिस्थितियों के बावजूद, हनुमान जी ने रावण के प्रति अपना संयम और सम्मान डिगने नहीं दिया। वहीं उन्होंने रावण के अहंकार को चुनौती देने के लिए अपनी बुद्धि और तर्क का उपयोग किया।
अंगद
अंगद भी हनुमानजी की भाँति उत्कृष्ट पराक्रमी और बुद्धिमान थे। हनुमानजी के समान, अंगद भी प्राण विद्या में माहिर थे। श्रीराम की सेना में, अंगद ने अपने पराक्रम से प्रमुखता हासिल की थी। सीता की खोज में वानर सेना के नेतृत्व का कार्य युवराज अंगद ने उत्तमता से निभाया। राम और रावण के युद्ध के पूर्व, हनुमान जी के पश्चात्, भगवान श्रीराम ने आख़िरी समय पर अंगद को अपने दूत के रूप में चुना और रावण से सुलह के लिए भेजा ताकि चारों ओर शांति स्थापित की जा सके और युद्ध टाला जा सके।
श्री कृष्ण
हिंदू पौराणिक कथाओं में, सबसे प्रमुख राजनीतिक चरित्र महाभारत के श्री कृष्ण जी का हैं। उन्होंने महाभारत युद्ध के समय चतुर वार्ताकार और शांतिदूत की भूमिका निभाई। उनकी कूटनीतिक प्रतिभा, कुरुक्षेत्र युद्ध को रोकने के लिए किए गए उनके प्रयासों में साफ़ ज़ाहिर होती है। उन्होंने प्रेरणादायक भाषण का अद्वितीय उपयोग किया।