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आर्थिक मंदी को धता बता भारत में FDI में आया 16 फीसद उछाल
दक्षिण एशिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वृद्धि को आकर्षित करते हुए भारत 2019 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त करने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में भारत में FDI में 16 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 49 बिलियन डॉलर निवेश प्राप्त किया है।
रामकृष्ण वाजपेयी
आर्थिक मंदी, खराब आर्थिक प्रदर्शन और निवेशकों के लिए नीतिगत अनिश्चितता आदि को धता बताते हुए भारत चमक कर उभऱा है। दक्षिण एशिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वृद्धि को आकर्षित करते हुए भारत 2019 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त करने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में भारत में FDI में 16 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 49 बिलियन डॉलर निवेश प्राप्त किया है।
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यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (UNCTAD) द्वारा संकलित ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रेंड मॉनिटर रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में वैश्विक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 2018 के संशोधित 1.41 ट्रिलियन डॉलर से एक प्रतिशत की गिरावट के साथ 1.39 ट्रिलियन डॉलर पर फ्लैट रहा है ।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक एफडीआई प्रवाह के आधे से अधिक को खींचना जारी रखे हुए हैं। दक्षिण एशिया ने 60 बिलियन डॉलर एफडीआई में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और “यह वृद्धि भारत द्वारा हासिल की गई, जिसने 16 प्रतिशत की वृद्धि से अनुमानित $ 49 बिलियन तक एफडीआई प्राप्त की है । रिपोर्ट में कहा गया है कि एफडीआई का अधिकतर हिस्सा सूचना प्रौद्योगिकी सहित सेवाओं के उद्योगों में गया है। 2018 में भारत को लगभग 42 बिलियन डॉलर एफडीआई प्राप्त हुई थी।
विकसित देशों की हालत पतली
विकसित देशों में एफडीआई का प्रवाह ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर गया है जो छह प्रतिशत घटकर अनुमानतः 643 बिलियन डॉलर हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ (ईयू) का एफडीआई 15 प्रतिशत घटकर 305 बिलियन डॉलर हो गया है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में एफडीआई के प्रवाह का शून्य विकास हुआ, जो 2018 में 254 बिलियन डॉलर की तुलना में 2019 में $ 251 बिलियन डॉलर हो गया है।
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इसके बावजूद, संयुक्त राज्य अमेरिका एफडीआई का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा, इसके बाद चीन को 140 बिलियन डॉलर और सिंगापुर को 110 बिलियन डॉलर विदेशी प्रत्य़क्ष निवेश मिला है।। चीन में भी एफडीआई का प्रवाह जीरो रहा है उसे 2018 के 139 बिलियन डॉलर के मुकाबले 140 बिलियन डॉलर मिला है। ब्रेक्जिट के चलते यूके में एफडीआई में छह फीसद की गिरावट आई है।