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वन नेशन-वन राशन कार्ड: शुरू सरकार की ये योजना, 17 राज्यों ने की लागू

आप ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ के जरिए आप दूसरे राज्य से भी आसानी से सरकारी राशन खरीद सकते हैं। आपको एक राज्य से दूसरे राज्य जाने पर राशन खरीदने के लिए पुराने कार्ड की जगह नया राशन कार्ड बनवाना होगा। लाभार्थियों को अपना पुराना राशन कार्ड सरेंडर नहीं करना होगा।

Shreya
Published on: 12 March 2021 8:30 AM GMT
वन नेशन-वन राशन कार्ड: शुरू सरकार की ये योजना, 17 राज्यों ने की लागू
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मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को लांच करने का फायदा ये होगा कि हर दिल्लीवासी को जो राशन लेने के लिए सरकारी दुकानों के चक्कर लगाते हैं, उसकी छुट्टी हो जाएगी।

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ (One Nation, One Ration Card) की योजना शुरू की है। जिसे 17 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में लागू कर दिया गया है। उत्तराखंड ‘एक देश एक राशन कार्ड’ सुधार को लागू करने वाला 17वां राज्य है। जो राज्य इस योजना प्रणाली जैसे अहम सुधार को पूरा कर लेते हैं, वो अपने जीएसडीपी के 0.25 फीसदी तक अतिरिक्त उधार के पात्र बन जाते हैं।

राज्यों को अतिरिक्त उधार लेने की मंजूरी

मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि इन राज्यों को व्यय विभाग द्वारा 37,600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधार लेने की मंजूरी दी गई है। बता दें कि 'एक देश, एक राशन कार्ड' मोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत पूरे देश में पीडीएस धारकों को देश के किसी भी कोने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से उनके हिस्से का राशन मिल सकेगा।

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one nation one ration card (फोटो- सोशल मीडिया)

पुराना राशन कार्ड सरेंडर करने की आवश्यकता नहीं

आप ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ के जरिए आप दूसरे राज्य से भी आसानी से सरकारी राशन खरीद सकते हैं। आपको एक राज्य से दूसरे राज्य जाने पर राशन खरीदने के लिए पुराने कार्ड की जगह नया राशन कार्ड बनवाना होगा। लाभार्थियों को अपना पुराना राशन कार्ड सरेंडर नहीं करना होगा।

कार्ड के लिए कोई भी कर सकता है अप्लाई

इस राशन कार्ड के लिए देश का कोई भी कानूनी नागरिक अप्लाई कर सकता है। इन राशन कार्ड धारकों को 5 किलो चावल 3 रुपए किलो की दर से और गेहूं 2 रुपए किलो की दर से मिलेगा।

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इन्हें सबसे अधिक लाभ

इस योजना का सबसे अधिक लाभ विशेष रूप से प्रवासी आबादी को मजदूरों, दिहाड़ी श्रमिकों, कूड़ा हटाने वाले, सड़क पर रहने वाले, संगठित और असंगठित क्षेत्रों में अस्थायी कामगार, घरेलू श्रमिकों आदि को मिलेगा, जो अक्सर कामकाज के लिए अपने राजय को छोड़कर दूसरे राज्यों में जाते हैं।

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