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पेट्रोल-डीजल के दामः चुनाव आते ही थम गईं बढ़ती कीमतें, जानें ताजा Fuel Price
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार 8 मार्च को संसद में कहा था कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाजार तय करता है। यह सरकार के नियंत्रण में नहीं आती हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां विभिन्न आधारों पर उचित कीमत का फैसला लेती हैं।
नई दिल्ली: देश में पांच राज्यों में चुनाव होने को हैं, ऐसे में आम जनता के पास पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें एक बड़ा मुद्दा है। जिसका असर होने वाले चुनावों पर पड़ सकता है। गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है। जिसको लेकर संसद में भी विपक्ष द्वारा यह मुदा उठाया जा चुका है। जिसके कारण लगातार गतिरोध बना हुआ है। वहीं 4 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव शुरु होने से पहले देश में पिछले कई दिनों से पेट्रोल की कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। तो आईये देखते हैं कि क्या अब पेट्रोल-डीजल चुनावी मुद्दा बन गया है या फिर तेल कंपनियों की मेहरबानी है।
पेट्रोल की कीमतों में 27 फरवरी के बाद कोई बदलाव नहीं
अगर हम गौर करें तो पता चलता है कि देश में पेट्रोल की कीमतों में 27 फरवरी के बाद कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह विधानसभा चुनाव शुरू होने से ठीक एक महीने पहले की स्थिति है। कोलकाता में 27 फरवरी के बाद से पेट्रोल की कीमतें 91.34 रुपये प्रति लीटर पर हैं। जबकि चेन्नई में 93.10 और दिल्ली में 91.17 रुपये लीटर पर ही बने हुए हैं।
सरकार के नियंत्रण में नहीं पेट्रोल-डीजल की कीमतें-धर्मेंद्र प्रधान
बता दें कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार 8 मार्च को संसद में कहा था कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाजार तय करता है। यह सरकार के नियंत्रण में नहीं आती हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां विभिन्न आधारों पर उचित कीमत का फैसला लेती हैं। इसमें कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें, रुपये की विनिमय दर, कर ढांचा, मालवहन लागत इत्यादि शामिल हैं।
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सरकार कुछ और कहती है और बाजार कुछ और
पेट्रोल और डीजल की कीमतें 27 फरवरी के बाद से भले ना बदली हों और सरकार का इन पर बस भी ना हो लेकिन जिन वजह से यह बढ़ती है बाजार उन्हें लेकर कुछ और ही कह रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 27 फरवरी से 9 मार्च के बीच 61 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 68 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं। जबकि रुपये की विनिमय दर भी पिछले 11 दिन में 73.6 रुपये प्रति डॉलर से बदलकर 73.3 रुपये प्रति डॉलर हो गई है। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से कर की दर भी ऊंची बनी हुई है।
कोरोना के चले लगे लॉक डाउन में हुए नुकसान की भरपाई
पिछले चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के बीच कोरोना के चलते कड़ा लॉकडाउन रहा। इस दौरान जहां सरकारों ने आम आदमी को कई तरह से आर्थिंक राहत पहुंचाने की बात कही गई तो वहीं दूसरी तरफ राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम कीमतें होने के बावजूद केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से पेट्रोल-डीजल पर ऊंचा कर वसूला गया। केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीने में इस मद से तीन लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटा चुकी है जो इससे पिछले पूरे वित्त वर्ष में 1.8 लाख करोड़ रुपये था।
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इन राज्यों में 27 मार्च से विधानसभा चुनाव
देश के चार प्रमुख राज्य असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल के साथ पुडुच्चेरी केंद्र शासित प्रदेश में 27 मार्च से विधानसभा चुनाव होने हैं और पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में पूरे एक महीने पहले 27 फरवरी से बदलाव नहीं हुआ है। बता दें कि इससे पहले कर्नाटक और अन्य राज्यों के चुनाव के दौरान भी यह बदलाव देखा गया था।
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