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Income Tax Rules Change: मोदी के नौ साल...आयकर निमयों में हुए ये बड़े बदलाव
Income Tax Rules Change: साल 2020 में सरकार नए टैक्स स्सैब लेकर आई। यह व्यवस्था वैकल्पिक थी और करदाताओं को छूट और कटौती के साथ पुरानी व्यवस्था में रहने या उन छूटों के बिना नई कम कर दर का विकल्प चुनने का विकल्प दिया गया था। इसके अलावा म्युचुअल फंड और घरेलू कंपनियों से प्राप्त लाभांश पर कर लगाया गया।
Income Tax Rules Change: भाजपा नीत राजग सरकार व इसके मुखिया यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता पर नौ साल पूरे कर लिए हैं। 26 मई, 2014 में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। 2019 में फिर केंद्र की सत्ता पर आते हुए 30 मई, 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ की ली थी। इन नौ सालों में देश में काफी कुछ बड़ा बदलाव देखने को मिला है। मसलन देश की जीडीपी वृद्धि, रोजगार, सरकार योजनाओं में बढ़ोतरी और तेजी, स्कूल कॉलेजों का निर्माण, प्रति व्यक्ति आय, आयात निर्यात में वृद्धि, केंद्रीय बजट में बढ़ोतरी, स्वास्थ्य बजट में इजाफा और खेती किसानी में बढ़ोतरी के साथ कई अहम बदलाव भाजपा की सरकार में देखने को मिले हैं।
जानिए साल-दर-साल इनकम टैक्स में बदलाव
अब सलाव उठता है कि मोदी सरकार के नौ छह पूर्ण होने पर भारत में कई अहम परिवर्तन देखने को मिले हैं तो क्या इन 9 सालों के अंतराल में देश का सबसे मुद्दा आयकर नियमों में कोई बदलाव हुए हैं कि नहीं... तो सवाल आएगा हां। मोदी सरकार ने इन 9 नौ सालों में आयकर नियमों में कई अहम बदलाव किये हैं,जिससे नौकरी पेशा के साथ व्यापार करने वाले लोगों को बड़ी राहत मिली थी। आईये जानते हैं 9 नौ सालों में आयकर नियमों में क्या बदलाव हुए हैं?
2014 में बदलाव
मोदी सरकार ने 2014 अपना पहला केंद्रीय बजट पेश करते हुए व्यक्तिगत आयकर छूट में लोगों को राहत दी थी। 2014 से पहले यह 2 लाख रुपये था तो वहीं 2014 के बाद 2.5 लाख रुपये कर दिया गया था। वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई थी। इतना ही नहीं, धारा 80 सी के तहत कटौती की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दिया गया, जबकि गृह ऋण पर ब्याज की कटौती की सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी गई।
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2015 में हुआ बदलाव
2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयकर नियम में बदलाव किया था। इस दौरान सरकार ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार कर दी थी, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा को ₹20,000 से बढ़ाकर ₹30,000 कर दिया गया। परिवहन परिवहन भत्ता छूट 800 से बढ़ाकर 1,600 रुपये प्रति माह कर दी गई। धारा 80 सीसीडी के तहत राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत योगदान के लिए 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती। हालांकि 1 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर अधिभार 10% से बढ़ाकर 12% किया कर दिया था। एक करोड़ रुपये से अधिक की कर योग्य आय वाले लोगों को पर 2 फीसदी का अतिरिक्त अधिभार लगाया। वहीं, संपत्ति कर समाप्त कर दिया गया
2016 में ये हुए बदलाव
मोदी सरकार ने 2016 में आयकर नियम में बदलाव के तहत धारा 87A के तहत सालाना 5 लाख रुपये से कम आय वाले लोगों के लिए कर छूट को 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया गया था। धारा 80GG के तहत भुगतान किए गए किराए पर कटौती की सीमा भी ₹24,000 प्रति वर्ष से बढ़ाकर ₹60,000 प्रति वर्ष कर दी थी। इस साल भी 1 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर अधिभार 12% से बढ़ाकर 15% कर दिया। यह इसमें दूसरी बार बढ़ोतरी थी। वहीं, बजट ने सालाना 10 लाख रुपये से अधिक के लाभांश पर 10% आयकर भी लगाया था।
2017 में बदलाव
इस साल लोगों को सरकार की ओर से झटका मिला था। 2017 में देश में आयकर नियम में बदलाव होते हुए कर की दर 2.5 लाख रुपये-5 लाख रुपये ब्रैकेट में 10% से घटाकर 5% कर दी गई। धारा 87ए के तहत कर छूट को 5,000 रुपये से घटाकर 2,500 रुपये कर दिया, जो उन करदाताओं पर लागू होता है जिनकी वार्षिक आय 3.5 लाख रुपये तक है। 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच वार्षिक कर योग्य आय वाले लोगों पर 10% का अधिभार लगाया गया था। यह साल लोगों के लिए काफी भारी था।
2018 में सरकार ने आयकर नियम किये ये बदलाव
साल 2018 में सरकार ने परिवहन भत्ते में मौजूदा छूट और विविध चिकित्सा खर्चों की प्रतिपूर्ति के बदले में 40,000 रुपये की मानक कटौती थी। वरिष्ठ नागरिकों के लिए चिकित्सा व्यय के लिए कटौती को ₹30,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया गया। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों के मामले में बैंकों और डाकघरों में जमा राशि पर अर्जित ब्याज आय के लिए कटौती को ₹10,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया गया, साथ ही ₹50,000 तक की ब्याज आय के लिए कर कटौती से छूट दी गई। वहीं, सरकार ने किसी इंडेक्सेशन के लाभ की अनुमति के बिना 10% की दर से 1 लाख रुपये से अधिक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर लगाने का निर्णय।
2019 में मोदी सरकार के बड़े बदलाव
साल यह साल देश में आम चुनाव का था। इस लिहाज से सरकार ने अपने अंतरिम बजट 5 लाख रुपये से कम आय वालों का कर शून्य कर दिया है। यानी 5 लाख से नीचे आय वाले लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ा,जो कि मध्यम वर्ग के लिए काफी राहत लेकर आया। वेतनभोगी वर्ग के लिए मानक कटौती को भी ₹40,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया गया।
2020 में हुए ये बदलाव
इस साल सरकार नए टैक्स स्सैब लेकर आई। यह व्यवस्था वैकल्पिक थी और करदाताओं को छूट और कटौती के साथ पुरानी व्यवस्था में रहने या उन छूटों के बिना नई कम कर दर का विकल्प चुनने का विकल्प दिया गया था। इसके अलावा म्युचुअल फंड और घरेलू कंपनियों से प्राप्त लाभांश पर कर लगाया गया। एनपीएस, सुपरएनुएशन फंड और ईपीएफ में नियोक्ता का योगदान एक साल में 7.5 लाख रुपये से अधिक है तो इस पर सरकार ने कर लगाया।