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आर्थिक सर्वे: एमएसएमई सेक्टर की आजादी से ही बढ़ेगा रोजगार
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2018-19 का आर्थिक सर्वे पेश किया, जिसके मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर 7 फीसदी रहने की उम्मीद है। विकास दर 8 फीसदी रहने पर ही भारत ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बन सकता है। यानी जीडीपी ग्रोथ में 1 फीसदी की तेजी की जरूरत है।
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सर्वे में अगले एक दशक में हर साल 55 से 60 लाख रोजगार उत्पन्न करने के लिए लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को ‘आजाद’ करने की बात कही गई है। सर्वे में कहा गया है कि विनिर्माण सेक्टर में आधी से ज्यादा संगठित फर्में ऐसी हैं जिनमें सौ श्रमिकों से कम कार्य करते हैं। रोजगार में इन उद्यमों का योगदान 14 फीसदी है लेकिन उत्पादकता है मात्र 8 फीसदी। ऐसे में यदि एमएसएमई को जंजीरों से मुक्त कर दिया जाए तो बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हो सकते हैं।
विकास दर 6.8 फीसदी
2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रही थी। सर्वे के मुताबिक पिछले पांच साल में विकास दर औसत 7.5 फीसदी रही थी। 2018-19 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.4 फीसदी रहने का अनुमान बरकरार रखा है। अंतरिम बजट में भी यही अनुमान था। 2018-19 का आर्थिक सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमनियन द्वारा तैयार किया गया है।
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इसमें कहा गया है कि कॉन्ट्रैक्ट लागू करने और विवादों के निपटारे में पिछडऩा 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पाने में एक बड़ी चुनौती है। 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए हर साल 8 फीसदी विकास की जरूरत है।
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सर्वे के अनुसार देश में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए पॉलिसी फोरकास्ट, अनिश्चितता का अनुमान बताने वाला तिमाही इंडेक्स और क्वालिटी सर्टिफिकेशन का सिस्टम बनाया जाना चाहिए। इन उपायों से निवेश का माहौल बन सकेगा। भारत के पक्ष में अच्छी बात यह है कि यहां आर्थिक नीतियों के बारे में अनिश्चितता कम हुई है जबकि विकसित देशों और खास कर चीन में यह अनिश्चितता बढ़ी है।
- सर्वे में बताया गया है कि आरबीआई की उदार मौद्रिक नीति की वजह से ब्याज दरें घटने की उम्मीद है। इससे आने वाले महीनों में निवेश और क्रेडिट ग्रोथ बढ़ेगी।
- 2018 के मुकाबले तेल की कीमतें काफी नीचे हैं जो खपत के लिए सकारात्मक है। इसका संबंध कृषि क्षेत्र के विकास से है जो अच्छे मानसून पर निर्भर करता है। 2019-20 में तेल की कीमतों में गिरावट का अनुमान है।
- देश में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और आगे इसमें कमी की कोई आशंका नहीं है।
- विदेशी निवेशकों का भरोसा घरेलू बाजार में बढ़ा है, 2018-19 में नेट एफडीआई में 14.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
- सर्वे में बताया गया है कि उदार मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एएमपीसी) से वास्तविक कर्ज की दरें कम करने में मदद मिलेगी।
- क्रेडिट ग्रोथ अधिक रहने से इस वित्तीय वर्ष में निवेश दर अधिक रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस वर्ष सुस्ती के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का संकट जिम्मेदार है।
- सर्वे के मुताबिक एनपीए की समस्या से सरकारी बैंकों की बैलेंसशीट पर असर पड़ा है।
- सर्वे में कहा गया है कि इन्सालवेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड (आईबीसी) के प्रभावी होने के बाद से ऋण वसूली में सफलता हुई है।