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PACS: अब गांव का हर घर होगा आर्थिक मजबूत, सरकार करेगी PACS निर्माण, जानें इसके बारे में
PACS: केंद्र सरकार ने इसी साल फरवरी में पेश हुए बजट 2023 में प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी (PACS) को और विकसित करने की घोषणा की थी। कार्य की तेजी का आमल यह है कि अब तक यानी 22 जुलाई, 20223 तक देश भर के गांवों में करीब 17 हजार से अधिक PACS कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के रूप में काम करने लगेंगे।
PACS: देश में किसानों को आय कैसे बढ़े और उनका जीवन स्तर में सुधार हो, इसके लिए केंद्र सरकार पहले से ही चिंतत है और लगातार इस संदर्भ में कई कदम उठाते हुए कई सारी योजनाएं चल रही है। इन सरकारी योजनाओं के माध्यम से कई हद तक पहले की तुलना में अब किसानों की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है,लेकिन यह सुधार उतना नहीं हुआ है, जिससे चिंता मुफ्ता हुआ जा सके। दरअसल, किसी व्यक्ति का आर्थिक सुधार तभी अच्छा हो सकेगा, जब उस व्यक्ति की आय अच्छी हो और पैसों की बचत सुव्यवस्थित हो, लेकिन देश में कृषि क्षेत्र के मामले में यह मामला बिल्कुल उलटा है। कृषि क्षेत्र के जुड़े लोगों की आय की बात करें तो इसमें अधिकांश लोग ऐसे हैं, आय सालाना इतनी है कि वह आयकर विभाग तय पैमान तक नहीं पा आई है, जो कि 2.50 लाख रुपए निर्धारित की गई है। इसमें किसान भी शामिल है।
जब कृषि क्षेत्र के जुड़े हुए लोगों को आय ही अच्छी नहीं होगी तो उनका जीवन स्तर कैसे अच्छा होगा। इस महंगाई के दौर में सीमित आय वाले व्यक्ति को दो वक्त का खाना खाना भारी पड़ रहा है, जीवन स्तर कैसे अच्छा हो सके। हालांकि इस विषय पर केंद्र सरकार चिंतत है और अब उसने हर गांव और हर ग्रामीण परिवार मजबूत करने की दिशा में एक नया कदम उठा दिया है। सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए अब तेजी से प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी (PACS) को स्थापित कर रही है।
इतने PACS CSC के रूप में कर रहे काम
केंद्र सरकार ने इसी साल फरवरी में पेश हुए बजट 2023 में प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी (PACS) को और विकसित करने की घोषणा की थी। कार्य की तेजी का आमल यह है कि अब तक यानी 22 जुलाई, 20223 तक देश भर के गांवों में करीब 17 हजार से अधिक PACS कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के रूप में काम करने लगेंगे। जिसकी जानकारी खुद केद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दी।
300 से अधिक सेवाएं एक स्थान पर
प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी की शुरू देश में साल 1904 में हुई थी। हालांकि मौजूदा मोदी सरकार इस स्कीम के तहत देश के 13 करोड़ किसानों सहित ग्रामीण नागरिकों एक स्थान पर 300 से अधिक सेवाओं का लाभ देगी। इसमें बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन, स्वास्थ्य सेवाएं, कानूनी सेवाएं और प्रधानमंत्री कल्याण योजनाओं जैसी कई सेवाएं शामिल हैं। सरकार का उद्देश्य है कि पंचायत स्तर पर PACS को आर्थिक रूप से एक जीवंत संस्था बने। एक लाख मौजूदा पैक्स में से 17,000 पहले ही CSC के रूप में शामिल हो चुके हैं। वहीं 6,000 से अधिक PACS ने पहले ही नागरिकों के लिए अपनी सेवा शुरू कर दी है।
अगले 5 वर्षों में 2 लाख PACS बनाना
केंद्र सरकार ने PACS को सामान्य सेवा केंद्र यानी CSC के साथ कार्य करने में सक्षम बनाने में इलेक्ट्रॉनिक और आईटी मंत्रालय, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड साथ में काम करेगी, इसको लेकर एक समझौता हुआ है। सरकार ने इस साल बजट में अगले पांच में 2 लाख नए पीएसीएस बनाने का लक्ष्य रखा है।
मिलेगा ग्रामीण अर्थव्यस्था को बल
अमित शाह ने कहा कि आज PACS और CSC दोनों एक हो रहे हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने जब प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की तो कई लोगों ने आलोचना की लेकिन आज 40 करोड़ लोगों के खाते जन-धन योजना के तहत खोले गए। 80 करोड़ लोगों को मोबाइल सेवा से जोड़ा गया। मोदी सरकार ने लोगों को 100 फीसदी योजना का लाभ मिल रहा है। डिजिटल इंडिया ने देश में बिचौलियों की कमर तोड़ने का काम किया है। PACS को CSC के जोड़ने से किसानों को काफी फायदा मिलने वाला है।
क्या है PACS ?
देश में किसानों को साहूकारों से मुक्त दिलाने के उद्देश्य से PACS व को-ऑपरेटिव सोसाइटियों का गठन किया गया था। इससे किसानों को सस्ते दाम में ब्याज पर कर्ज,खाद,बीज व दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। PACS एक ऐसा एसोसिएशन है जो बैंक के माध्यम से ग्राम स्तर और पंचायत स्तर के लोगों को लोन दिलवाने के लिए मध्यस्था का कार्य करता है,जिसको लोग सह ऋण सोसायटी के नाम से भी जानते हैं। देश में पहला PACS साल 1904 में खुला था। आरबीआई द्वारा 27 दिसंबर, 2022 को प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट में देश में PACS की संख्या 1.02 लाख बताई गई थी। इससे पहले मार्च 2021 में यह केवल 47,297 थी।