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Farmer Success Story: बैंक की नौकरी छोड़ शुरू की खेती, अब खरीदेगा हेलिकॉप्टर, कैसे बना 25 करोड सालाना टर्नओवर वाला किसान
Farmer Success Story: कृषि मंत्रालय और भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद की तरफ से किसान राजाराम तीन बार देश के सर्वश्रेष्ठ किसान के साथ राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से एक बार सर्वश्रेष्ठ निर्यातक सम्मान से पुरस्कृत किये जा चुके हैं।
Farmer Success Story: कहते हैं कि किस्मत अगर बदलना है तो कर्म करना पड़ेगा, उसके के लिए मेहनत करना पड़ेगा। तब जाकर जीवन में कुछ बदलाव होता है और लोगों के बीच आपकी चर्चा होती है। इन लाइनों को चरितार्थ एक किसान ने किया है। एक ओर जहां देश के कुछ किसान अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर दो-दो हाथ कर रहे हैं तो वहीं बस्तर का एक किसान अपनी मेहतन के बलबूते बिना किसी सरकारी मद के सफलता की ऐसी कहानी रची है, जिसकी चर्चा अब पूरे देश में हो रही है। यह किसान खेती किसानी से इतनी कमाई कर रहा है कि कोई छोटा मोटा उद्योगपति छू नहीं सकता है। अब यह किसान अपने लिए एक हेलिकॉप्टर खरीदने जा रहा है, जिसका उपयोग वह खेती किसानी के लिए करेगा।
एक फर्म के सीईओ के साथ 25 करोड़ सालाना टर्नओवर
यह सफलता की कहानी है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के किसान डॉ. राजाराम त्रिपाठी की है। एक समय था जब डॉक्टर त्रिपाठी सरकारी बैंक में अच्छी पोस्ट पर नौकरी करते थे, लेकिन उन्होंने जीवन में सरकारी नौकरी से ज्यादा खेती किसानों को तवज्जो दिया और आज वह चार बार सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। डॉ. राजाराम त्रिपाठी बस्तर जिले के सबसे बड़े किसानों में से एक हैं। वह बस्तर के कोंडागांव और जगदलपुर में सफेद मूसली, काली मिर्च और स्ट्रोविया फसल की खेती करते हैं। इसमें इनका पूरा परिवार लगा हुआ है। इतना ही नहीं, राजाराम का जैविक खेती के लिए भी परिचति हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलियन ट्रिक काली मिर्च की खेती क लिए प्राकृतिक ग्रीन हाउस तकनीक विकसित की है। ऐसा अनुमान लगा गया है कि इस तकनीक से वह 40 वर्षों प्रति एकड़ में करोड़ो रुपये की आय अर्जित कर सकते हैं। हालांकि अभी खेती किसानी से राजाराम त्रिपाठी का सालाना टर्नओवर 25 करोड़ रुपये का है और वह मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के सीईओ भी हैं।
7 करोड़ रुपए में खरीद रहा किसान हेलीकॉप्टर
मौजूद समय डॉ. राजाराम त्रिपाठी एक हजार एकड़ में खेती कर रहे है, जिसमें उनके साथ 400 आदिवासी परिवार भी जुड़कर अपना जीवनयापन कर रह रहा है। उनका समूह यूरोपीय और अमेरिकी देशों में काली मिर्ची का निर्यात कर रहा है। वे बस्तर जिले के काली मिर्ची के साथ सफेद मूसली की खेती के लिए सबसे बड़े किसान हैं। इसकी खेती और तकनीक के साथ की जाए, इसके लिए त्रिपाठी हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से R-44 मॉडल एक हेलीकॉप्टर लेने जा रहे हैं। इस हेलीकॉप्टर की कीतम 7 करोड़ रुपये बताई गई है, जिसका उपयोग वह खेती किसानी में करेंगे और यह 4 सीटर हेलीकॉप्टर होगा और वह ऐसा करने वाले जिले के पहले किसान होंगे, हो सकता है वह देश के पहले किसान होंगे। यह दो साल में उन्हें मिल जाएगा।
खेती किसानी में उपयोग होगा हेलीकॉप्टर
हेलीकॉप्टर लेने के पीछे उन्होंने वजह बताई कि इंग्लैड और जर्मनी में मैंने देखा कि बड़ी खेती में वहां पर खेतों में दवा और खाद का छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग होता है। मेरा समूह के पास एक हजार एकड़ के आस-पास खेती है और इसमें खाद व दवा डालने के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग करना है, ताकि समय के साथ सही ढंग से दवा और खाद पड़ सकते है,क्योंकि फसलों में कीड़े लगने की चांस अधिक रहते हैं और हाथ से सही ढंग से दवा व खाद का छिड़काव हो नहीं पता है। उन्होंने कहा कि मैं, मेरा बेटा और मेरा छोटा भाई इसको उड़ाने के लिए उज्जैन स्थित उड्डयन अकादमी से प्रशिक्षण लेने जा रहे हैं, इसके लिए अकादमी से भी बात पूरी हो गई है और जल्दी ट्रेंनिंग के लिए चले जाएंगे।
बैंक की नौकरी छोड़ शुरू की खेती, UP से नाता
डॉ. राजाराम त्रिपाठी का नाता वैसे तो यूपी के प्रतापगढ़ जिले से है। उनके दादा शंभुनाथ त्रिपाठी आज से 70 साल पहले छत्तीसगढ़ (तब मध्य प्रदेश) की दरभा घाटी के ककनार में किसानी करने लगे थे। पिता जगदीश प्रसाद शिक्षक थे। राजाराम त्रिपाठी ने अपनी पढ़ाई जगदलपुर कॉजेल से पूरी की है। पढ़ाई होने के बाद उनका चयन स्टेट बैंक आफ इंडिया में हो गया था, वह प्रोबेशनर अधिकारी (PO) बनकर कोंडागांव चले गए थे। साल 1996 में नौकरी के साथ साथ उन्होंने पांच एकड़ में सब्जी की खेती की और फिर मूसली और अश्वगंधा की खेती करने लगे। खेती में प्रॉफिट होता देख उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी और वह पूरी तरह खेती किसानी में जुट गए व तब से लगे हुए हैं। आज उन्हें कृषि मंत्रालय और भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद की तरफ से किसान राजाराम तीन बार देश के सर्वश्रेष्ठ किसान के साथ राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से एक बार सर्वश्रेष्ठ निर्यातक सम्मान से पुरस्कृत किये जा चुके हैं।