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Farming Business Ideas: किसान होंगे मालामाल, ये खेती बनाएगी अमीर, अगर इस तरह करेंगे बुवाई
Farming Business Ideas: कॉफी की फसल को एक नकदी फसल के रूप में जाना जाता है। इसकी अधिकांश खेती दक्षिण भारत के राज्य में होती है। इसमें सबसे अधिक खेती केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य में होती है, क्योंकि जहां की जलवायु की वजह से कॉफी का उत्पादन अधिक होता है।
Farming Business Ideas: अगर किसान हैं और किसी कमाई वाली फसला लगाने पर विचार कर रहे हैं तो आज हम आपको इस लेख से माध्यम से वो फसल के बारे में जानकारी दें, जिसको लगाने के बाद आप कभी पिछले मुड़कर नहीं देखेंगे। जी, हां यह खेती है काफी की फसल की। दरअसल, भारत सहित ग्लोबल लेवल पर काफी की खतप दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में अगर कोई भी व्यक्ति कॉफी से जुड़े व्यापार में कदम रखता है तो वह मालामाल हो सकता है, चाह वह फिर इसकी खेती क्यों न हो? आइये जानते हैं कॉफी की खेती के बारे में ABCD...।
भारत में कई किस्मों की होती है कॉफी खेती
कॉफी की फसल को एक नकदी फसल के रूप में जाना जाता है। इसकी अधिकांश खेती दक्षिण भारत के राज्य में होती है। इसमें सबसे अधिक खेती केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य में होती है, क्योंकि जहां की जलवायु की वजह से कॉफी का उत्पादन अधिक होता है। हालांकि कुछ मैदानी राज्य में भी कॉफी की खेती करते हैं। वैसे तो देश में कॉफी की कई किस्मों की खेती की जाती है, लेकिन इसमें सबसे अधिक गुणवत्ता वाली अरेबिक कॉफी होती है। इसकी फसल के लिए छाया की जरूरत होती है। ऐसे करें कॉफी की खेती।
इस समय करें कॉफी की खेती
देश में कॉफी के खेती के लिए सबसे अच्छी जलवायु समशीतोष्ण जलवायु मानी गई है। इसके खेती के लिए तामपान 18 से 20 डिग्री तक रहना चाहिए। यह महीना कॉफी की खेती के लिए सबसे उच्च हैं, क्योंकि इसकी बुवाई के लिए जून-जुलाई माह सबसे बढ़िया माना गया है,क्योंकि ज्यादा सर्दी आने पर इसकी फसल खराब हो जाती है। कॉफी की खेती किसी भी मिट्टी में कर सकते हैं, अगर दोमट मिट्टी में कॉफी की खेती की जाए तो पैदावार के क्या ही कहने होंगे।
खेती से कमाई
यह फसल ऐसी है कि एक बार लगने पर सालों तक पैदावार कराती है। लोगों को कहना है कि कॉफी की फसल से करीब 50 से 60 सालों को बीज पैदा होते हैं। अगर कोई किसान एक एकड़ में इसकी खेती करता है तो वह 2.5 से 3 क्विंटल तक कॉफी प्राप्त कर सकता है। यही वजह है कि कॉफी व्यापारिक खेती कही गई है,क्योंकि इस बोने के बाद किसान कभी घाटे में नहीं जाता है।