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Carpet Business in Bhadohi: भदोही के कालीन व्यापार से कैसे जुड़े, जानें फायदा और लागत; सब कुछ डिटेल में

Carpet Business in Bhadohi: भदोही जिले में देश सबसे बड़ा कालीन निर्माण केंद्र है। यह अपने हाथ से बनाये गए कालीन के लिए जाना जाता है। मिर्जापुर-भदोही उद्योग क्षेत्र में करीब 3.2 मिलियन लोगों को शामिल करने वाला सबसे बड़ा हस्तनिर्मित कालीन बुनाई क्लस्टर है। यहां कालीन की बुनाई का कार्य 16वीं शताब्दी में अकबर से शासन काल से हो रही है।

Viren Singh
Published on: 16 Jun 2023 6:51 PM IST
Carpet Business in Bhadohi: भदोही के कालीन व्यापार से कैसे जुड़े, जानें फायदा और लागत; सब कुछ डिटेल में
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Carpet Business in Bhadohi (सोशल मीडिया)

Carpet Business in Bhadohi: अगर आप कोई कारोबार को खोलने का प्लान बना रहा हैं और आपके पास आइडिया नहीं है कि किस व्यापार पर कदम रखें तो आज हम आपके लिए एक धांसू आइडिया लेकर आए हैं, जिसको फॉलो करते ही आपका बिजनेस एक बाजार में एक दम से बूम करने लगेगा। इस व्यापार के लिए आपको किसी मार्केटिंग और प्रचार की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि यह ऐसा कारोबार है कि इसका जिला ही इसकी पहचान है। लोगों के सामने इस जिला का नाम लेते ही अपने आप दिमाग में उद्योग की तस्वीर छाप जाती है। यह बिजनेस है कारपेट यानी कालीन का।

सररकार दे रही इस उद्योग पर मदद

भदोही जिला का कारपेट (कालीन) उद्योग वैश्विस्तर पर फैला हुआ है। यहां पर बनाई गई कालीनों की मांग यूपी क्या देश सहित विदेशों तक में होती है? इसके अलावा भदोही जिले के कालीन उद्योग से उसके आस पास के जिले भी चमकर रहे हैं। भदोही और इसके पड़ोसी जिले, जिनमें मिर्जापुर, वाराणसी और चंदौली के कुछ हिस्से मिलकर यह एक कारपेट हब बनाता जा रहा है। नए बिजनेस का प्लान कर रहे उद्यमी चाहें तो इस कारपेट हब से जुड़कर खुद का अपना पड़ा बिजनेस शुरू कर सकते हैं। इतना ही यूपी सरकार भी इस कारोबार में अपनी आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। योगी सरकार ने भदोही जिले के कालीन व्यापार को एक जिला एक उत्पाद योजना” में शामिल किया हुआ है। इस योजना के माध्यम से सरकार भदोही के कालीन उद्योग में नए उद्यमियों को लाने की आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है और जो लोग पहले से इसमें जुड़े हुए हैं, उनको भी सहायता मिल रही है, जिसमें पैसा, मार्केटिंग व ब्रांडिंग से लेकर कई चीजें शामिल हैं।

भदोही की कालीन इसलिए है प्रसिद्ध

odopup.in से मिली जानकारी के मुताबिक, भदोही जिला उत्कृष्ट डिजाइनों के कालीनों के निर्माण और निर्यात के लिए भारत सहित पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस जिले में करीब 63000 कारीगर कालीन के कारोबार से जुड़े हुए हैं। यहां पर कुल लूमों की संख्या 1 लाख से अधिक है व 500 से अधिक निर्यात इकाइयां काम कर रही हैं। हस्तनिर्मित कालीन अंतर्राष्ट्रीय बड़े बाज़ारों में बहुत लोकप्रिय हैं । भदोही के आस पास के जिले कारपेट हब बनते जा रहे हैं, जोकि यहां का वार्षिक निर्यात 7 हजार करोड़ रुपये का है, जबकि भारत में 12 हजार करोड़ रुपये का है।

कैसे शुरू करें करें कालीन का व्यापार

कालीन फर्श के आवरण होते हैं। यह अधिकांश ऊन के घने जाले से बने होते हैं। इस व्यापार में नए उद्यमियों को कई चीजों की जरूरत होती है, जोकि नायलॉन, ऊन, ओलेफिन, त्रिएक्टा, पॉलिएस्टर, कम ढेर के साथ कालीन, उच्च ढेर के साथ कालीन और मध्यम ढेर कालीन हैं। वहीं, इसको तैयार करने के लिए कई प्रकार की मशीनों की जरूरत होती है। इसमें सिलाई मशीन, बाल काटना और काटने की मशीन, टफ्टिंग मशीन, पीछे कोट करने के लिए मशीन,ऊन निकालने की मशीन, डिजिटल प्रिंटिंग व प्रिंटिंग मशीन व यार्न गर्मी सेटिंग मशीन शामिल हैं। इनकी कीमत बाजार के अलग अलग होती हैं। चाहे तो आप इसको देश से मांगवा सकते हैं या फिर विदेशी से भी खरीद सकते हैं। बात अगर लागत की करें तो यह आपके उद्योग पर निर्भर करता है। छोटा कालीन निर्मा व्यवस्या स्थापित करने के लिए ₹10 लाख से ₹15 लाख तक के निवेश की आवश्यकता होती है। इसके अलावा आपको कालीन बनाने के लिए कम से कम 1000 वर्ग फुट क्षेत्र की आवश्यकता होगी। चाहें तो उद्यमी इस उद्योग पर सरकार के सहायता या फिर बैंक से लोन ले सकता है।

जानें कालीन उद्योग का इतिहास

भदोही जिले में देश सबसे बड़ा कालीन निर्माण केंद्र है। यह अपने हाथ से बनाये गए कालीन के लिए जाना जाता है। मिर्जापुर-भदोही उद्योग क्षेत्र में करीब 3.2 मिलियन लोगों को शामिल करने वाला सबसे बड़ा हस्तनिर्मित कालीन बुनाई क्लस्टर है। यह 22 लाख ग्रामीण कारीगरों को रोजगार देता हैं। कालीन बुनकरों में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। भदोही से प्रसिद्ध कालीन कपास धुर्री, छपरा मीर कालीन, लोरीबाफ्ट, इंडो गब्बीह हैं। इन क्षेत्र में कालीन की बुनाई का कार्य 16वीं शताब्दी में अकबर से शासन काल से हो रही है।



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