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निगेटिव विकासदार में होगी जीडीपी, थोड़ा भी नॉर्मल स्थिति आने में लगेंगे 4 महीने

प्रधानमंत्री के ऐलान के पहले ही ग्लोबल रिसर्च कम्पनी मेकिंसे ने लॉकडाउन के तीन परिदृश्य प्रस्तुत किये थे। लॉकडाउन खत्म होने, कुछ हफ्ते बढ्ने और एक महीना से ज्यादा बढ्ने के परिदृश्य पर इस स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि क्या क्या सम्भावना बन रही है।

राम केवी
Published on: 14 April 2020 7:52 AM GMT
निगेटिव विकासदार में होगी जीडीपी, थोड़ा भी नॉर्मल स्थिति आने में लगेंगे 4 महीने
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नई दिल्ली। लॉक डाउन के 21 दिन हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर दी है। वजह ये है कि कोरोना वायरस अभी मौजूद है और लोगों को गिरफ्त में भी लेता जा रहा है। अब सवाल उठता है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को भी वायरस खा रहा है सो ऐसे में क्या होगा आगे।

प्रधानमंत्री के ऐलान के पहले ही ग्लोबल रिसर्च कम्पनी मेकिंसे ने लॉकडाउन के तीन परिदृश्य प्रस्तुत किये थे। लॉकडाउन खत्म होने, कुछ हफ्ते बढ्ने और एक महीना से ज्यादा बढ्ने के परिदृश्य पर इस स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि क्या क्या सम्भावना बन रही है।

क्या है आकलन

अब चूंकि 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ गया है सो ऐसे परिदृश्य को देखते हुये मेकिंसे का आंकलन है कि यदि अप्रैल में थोड़ी बहुत ढील दी जाए, स्थायित्व और मदद के पैकेज और बड़ी मात्रा में प्रदान किए जाएँ, सप्लाई चेन फिर से चालू की जाएँ, कल कारखानों में प्रोडक्शन फिर से शुरू किया जाये तो भी जरा भी नॉर्मल स्थिति लाने में 4 महीने लग जाएंगे। मेकिंसे का अनुमान है कि ऐसी स्थिति में जीडीपी विकास दर नेगेटिव रहेगी और इसकी दर 2 से 3 फीसदी नीचे ही जाएगी।

मेकिंसे ने एक आंकलन और किया है जिसमें उस स्थिति को आधार माना गया है जब मई तक लॉक डाउन तो रहेगा ही, लेकिन कोरोना वायरस पुनः फैलने से देशव्यापी बंदी को 2 से 3 हफ्ते और बढ़ाया जाएगा। ऐसी स्थिति में जीडीपी विकास दार 8 से 10 फीसदी नेगेटिव रहेगी। पलायन कर गए मजदूर ट्रांसपोर्ट के साधन बंद होने के कारण अपने गाँव से काम की जगहों पर लौट नहीं पाएंगे। ऐसे में सरकार को अर्थव्यवस्था के स्थायित्व और मदद के पैकेज में तीव्र बढ़ोतरी करनी होगी।

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एक परिदृश्य और था जो अब लागू नहीं है, वह यह कि 15 अप्रैल से लॉकडाउन समाप्त कर दिया जाए। मेकिंसे का अनुमान है कि ऐसी स्थिति में जीडीपी ग्रोथ 1 से 2 फीसदी रह सकती है। लेकिन शर्त है कि काम पर लौटने और जीवन बचाने, इस सूत्र पर गहन जोर दिया जाए। विभिन्न क्षेत्रों को सरकार मदद दे। लॉजिस्टिक क्षेत्र को पूरी तरह खोल दिया जाए।

बहरहाल, सब कुछ महामारी के विश्वव्यापी स्वरूप पर निर्भर करता है। अगर वायरस कंट्रोल कर लिया गया और जल्द ही वैक्सीन बना ली गई तो हालात कुछ और होंगे।

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