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Go First crisis: गो फर्स्ट के विमानों के लिए टाटा व इंडिगो दिखाई रुचि, पट्टेदारों बातचीच शुरू, आज आएगा फैसला
Go First crisis: टाटा समूह और इंडिगो गो फ़र्स्ट के पट्टेदारों के साथ अलग से बातचीत कर रहा है। इस बातचीत में नई दिल्ली और मंबई में हवाई अड्डे के ऑपरेटरों के साथ लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट लेने की चर्चा चल रही है।
Go First crisis: नकदी संकट की वजह से दिवालियापन से जूझ रही घरेलू एयरलाइंस कंपनी गो फर्स्ट को लेकर एक खबर सामने आई है। खबर यह है कि टाटा समूह और इंडिगो कथित तौर पर गो फर्स्ट से एयरबस एसई विमान लेने के लिए बातचीत चल रही है। अब देखना यह होगा कि क्या टाटा और इंडिगो गो फर्स्ट के खड़े विमानों को लेने में सफल हो पाता है या नहीं? वित्तीय संकट की वजह से एयरलाइंस कंपनी गो फर्स्ट ने पिछले सप्ताह स्वैच्छिक दिवाला कार्यवाही के लिए एक याचिका दायर किया था। उसका याचिका की सुनवाई पूरी हो चुकी है। उस पर आज फैसला आना है। वहीं, 12 मई तक सभी टिकटों को रद्द करने के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने संकटग्रस्त एयरलाइन को तत्काल प्रभाव से टिकटों की बिक्री बंद करने के लिए आदेश दे चुका है, जिसके अन्य एयरलाइंस कंपनियों ने हवाई टिकटों के दाम बढ़ा दिए हैं। इससे लोगें को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है।
एयरलाइंस ने इस चीजों पर भी दिखाई रुचि
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा समूह और इंडिगो गो फ़र्स्ट के पट्टेदारों के साथ अलग से बातचीत कर रहा है। इस बातचीत में नई दिल्ली और मंबई में हवाई अड्डे के ऑपरेटरों के साथ लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट लेने की चर्चा चल रही है। इसके अलावा रिपोर्ट में ये भी जिक्र है कि नई एयरलाइन अकासा एयर सहित कई अन्य पार्टियों ने भी हवाई अड्डे के स्लॉट में रुचि दिखाई है।
गो फर्स्ट ने याचिक की थी ये मांग
एयरलाइन की संपत्ति के लिए होड़ अपने परिचालन को पुनर्जीवित करने के गो फर्स्ट के प्रयासों को जटिल बना सकती है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के साथ अपनी याचिका में एयरलाइन ने ट्रिब्यूनल के हस्तक्षेप और पट्टादाताओं को अपने विमान वापस लेने से रोकने की मांग की थी। गो फर्स्ट ने डीजीसीए को एयरलाइन के खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई करने से रोकने के लिए न्यायाधिकरण के हस्तक्षेप की भी मांग की थी हालांकि, सुनवाई के दौरान नियामक ने गो फर्स्ट को प्रभावित यात्रियों को पैसे वापस करने के लिए कहा था। इसके बाद डीजीसीए ने एयरलाइन से तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक टिकटों की बिक्री बंद करने का आदेश जारी किया।
एनसीएलटी में अपनी याचिका में एयरलाइन ने कहा कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड का मकसद एयरलाइन को पुनर्जीवित करना है। यह एयरलाइन के पुनरुद्धार में बहुत बड़ी गुंजाइश देखता है, लेकिन यह भी बताया कि पट्टेदार पहले गो के साथ अपने अनुबंध समाप्त कर रहे थे। एयरलाइन ने अंतरिम मोराटोरियम और एक समाधान पेशेवर की नियुक्ति के लिए कहा। हालांकि एनसीएलटी ने कहा कि आईबीसी के तहत अंतरिम मोरेटोरियम का कोई प्रावधान नहीं है।
इस स्थिति के लिए प्रैट एंड व्हिटनी जिम्मेदार
गो फर्स्ट ने अपनी स्थिति के लिए इंजन-निर्माता प्रैट एंड व्हिटनी को दोषी ठहराया है। कंपनी कहना है कि दोषपूर्ण इंजनों के कारण की वजह से एयरलाइन को अपने लगभग आधे बेड़े को ग्राउंड करना पड़ा, जिससे इसके राजस्व पर असर पड़ा और इसके घाटे में वृद्धि हुई है। एक मीडिया से बात करते हुए गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना ने कहा कि एयरलाइन इंजन निर्माता से हर्जाने के रूप में $1 बिलियन की मांग कर रही है।