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विदेशी मुद्रा भंडार में भारी बढ़ोत्तरी: बढ़कर हुआ 585 अरब डॉलर, ऐसे हुई वृद्धि
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 1.091 अरब डॉलर बढ़कर 585.334 अरब डॉलर हो गया। भारत का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
नई दिल्ली: भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (GDP) ने यह अनुमान जाहिर किया है कि साल 2021 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से होगा। जिसका असर अब दिखाई दे रहा है जिसमें देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 1.091 अरब डॉलर बढ़कर 585.334 अरब डॉलर हो गया। भारत का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। इससे पहले 15 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.839 अरब डॉलर घटकर 584.242 अरब डॉलर रह गया था।
विदेशी मुद्रा भंडार वृद्धि का मुख्य कारण
साल शुरूआती महीने में आठ जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 586.082 अरब डॉलर के सर्वकालिक ऊंचाई पर था। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) के बढ़ने की वजह से मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई। विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती है। रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि में एफसीए 68.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 542.192 अरब डॉलर हो गई।
स्वर्ण भंडार का मूल्य 39.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 36.459 अरब डॉलर
एफसीए को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं। आंकड़ों के अनुसार 22 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के स्वर्ण भंडार का मूल्य 39.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 36.459 अरब डॉलर हो गया।
देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (आईएमएफ) में मिला विशेष आहरण अधिकार 10 लाख डॉलर बढ़कर 1.513 अरब डॉलर हो गया जबकि आईएमएफ के पास आरक्षित मुद्रा भंडार भी 70 लाख डॉलर बढ़कर 5.171 अरब डॉलर हो गया।
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यहां जानें क्या है विदेशी मुद्रा भंडार और आर्थिक संकट में कैसे मदद करता है?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। बता दें कि पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
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