उद्यमियों को न्योताः जब चाहें आपदा प्रबंधन का लें प्रशिक्षण, अग्निशमन से

यूपी फायर सर्विस के संयुक्त निदेशक जे के सिंह ने सिक्यॉरिटी और सेफ़्टी के बीच अंतर बताते हुए कहा कि सेक्योरिटी की आवश्यकता बाहरी खतरों से होती है। जबकि सेफ़्टी का संबंध हमारी आंतरिक सावधानियों से है जिसके लिए हम समुचित प्रबंध करके होने वाली दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं।

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Published on: 19 Sep 2020 12:16 PM GMT
उद्यमियों को न्योताः जब चाहें आपदा प्रबंधन का लें प्रशिक्षण, अग्निशमन से
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Invites entrepreneurs: take training in disaster management, fire fighting

लखनऊ। सुरक्षा के बिना कोई भी कारोबार संभव नहीं। किसी भी कारोबार का यह पहला नियम है। विशेष रूप से औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा के प्रति शुरुआती अनदेखी बाद में बड़ी महँगी पड़ती है। उद्यमियों को इन सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूक करने के लिए उत्तर प्रदेश का अग्निशमन विभाग प्रतिबद्ध है। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की आपदा प्रबंधन पर आयोजित एक वेबिनार में उप्र के डीजी फ़ायर डॉ आर के विश्वकर्मा ने उद्यमियों को फ़ायर सेफ़्टी से सम्बंधित यह ज़रूरी जानकारी देते हुए कहा कि उद्यमी जब भी चाहें फ़ायर डिपार्टमेंट से संपर्क कर इस संबंध में विधिवत प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकते हैं।

फायर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर के नज़दीक उन्नाव में 90 एकड़ ज़मीन पर फ़ायर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट स्थापित किया है। आम नागरिकों व उद्यमियों के हित में इसके व्यापक सदुपयोग की कार्य योजना विभाग तैयार कर रहा है। पीएचडी चैम्बर इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

पीएचडी चैंबर के उत्तर प्रदेश चैप्टर द्वारा आयोजित इस वेबिनार में उप्र के डीजीपी व डीजी फ़ायर रहे सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी जावीद अहमद समेत लखनऊ मेट्रो के प्रबंध निदेशक कुमार केशव, यूपी फ़ायर सर्विस के ज्वाइंट डायरेक्टर जे के सिंह शामिल थे।

इसके अलावा सेफ़्टी कंट्रोल डिवाइसेस प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रजनीश चोपड़ा, पीएचडी चेंबर के यूपी चेयरमैन मनोज गौड़, को चेयरमैन मनीष खेमका, बिरला कार्बन के मानव संसाधन महाप्रबंधक जयंत सिंह व रेजिडेंट डायरेक्टर अतुल श्रीवास्तव प्रमुख रूप से मौजूद थे।

पीएचडी चैंबर यूपी स्टेट चैप्टर के चेयरमैन मनोज गौड़ ने स्वागत भाषण देते हुए कहा की दुर्घटनाओं से बचने के लिए कार्य स्थल पर मौजूद श्रमिकों का सही प्रशिक्षण ज़रूरी है। साथ ही बिजली सुरक्षा, अग्निशमन सीसीटीवी कैमरे जैसे उपकरणों के माध्यम से भी हम इन दुर्घटनाओं को काफ़ी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं।

सुरक्षा छोटे उपायों से भी हासिल की जा सकती है

पूर्व डीजीपी जावीद अहमद ने कहा कि लागत यदि बढ़ती है तो भी सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल घटाना समझदारी नहीं होगी। सुरक्षा वास्तव में कुछ बड़े उपायों से नहीं बल्कि ढेर सारे छोटे-छोटे उपायों के माध्यम से हासिल की जा सकती है।

लखनऊ मेट्रो के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उद्योग में प्रत्येक कर्मचारी के लिए कार्यस्थल की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी श्रमिक सुरक्षित और संरक्षित वातावरण में काम करना चाहते हैं।

कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच अच्छे संबंधों को बढ़ावा देने के लिए उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख कारक हैं। उन्होंने कहा कि 2014 - 2016 में औद्योगिक कारखानों में 3,562 श्रमिकों की मृत्यु हुई थी और कारखानों में हर रोज क़रीब 3 मौतें और 47 चोटें दैनिक आधार पर होती हैं। उन्होने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से भी इस जोखिम को कम किया जा सकता है

सिक्योरिटी व सेफ्टी में अंतर

यूपी फायर सर्विस के संयुक्त निदेशक जे के सिंह ने सिक्यॉरिटी और सेफ़्टी के बीच अंतर बताते हुए कहा कि सेक्योरिटी की आवश्यकता बाहरी खतरों से होती है। जबकि सेफ़्टी का संबंध हमारी आंतरिक सावधानियों से है जिसके लिए हम समुचित प्रबंध करके होने वाली दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं।

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उन्होंने कहा कि किसी भी इकाई में केवल सुरक्षा उपकरणों की स्थापना ही समाधान नहीं है, बल्कि औद्योगिक इकाइयों के लिए उनका नियमित रखरखाव और कार्यस्थल पर सभी कर्मचारियों के लिए उचित कौशल प्रशिक्षण सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

सेफ्टी कंट्रोल एंड डिवाइसेस प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर रजनीश चोपड़ा ने कहा कि एमएसएमई न केवल बड़े उद्योगों की तुलना में कम पूंजीगत लागत पर बड़े रोजगार के अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगिकीकरण में भी मदद करते हैं, जिससे क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने, राष्ट्रीय आय बढ़ाने व आय के समान वितरण में मदद मिलती है।

एमएसएमई खरी नहीं

लेकिन जब सुरक्षा प्रबंधन की बात आती है तो अधिकांश एमएसएमई इकाइयां इस पर खरी नहीं उतरती हैं। बाजार की प्रतिस्पर्धा और वित्तीय संसाधनों की कमी इसका प्रमुख कारण हैं।

पीएचडी चेंबर के यूपी को-चेयरमैन मनीष खेमका व रेजिडेंट डायरेक्टर अतुल श्रीवास्तव ने इस वेबिनार का संचालन किया और आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों को सेफ़्टी से जुड़ी इंडस्ट्री की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया।

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वेबिनार में अनेक उद्यमियों, नीति निर्धारकों व अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों ने भी भाग लिया व विशिष्ट अतिथियों से प्रश्न पूछ कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया।

बिरला कार्बन के मानव संसाधन महाप्रबंधक जयंत सिंह ने सभी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ ही यह जानकारी भी दी कि बिरला समूह की प्रतिष्ठित सीमेंट निर्माता कंपनी अल्ट्राटेक आपदा प्रबंधन पर सालाना छह सौ करोड़ रुपये ख़र्च करती है।

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