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रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आर्थिक मंदी पर मोदी सरकार को घेरा

रघुराम राजन ने राजग सरकार व भाजपा के सामाजिक व राजनीतिक एजेंडे पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि हिन्दू राष्ट्रवाद से देश की आर्थिक विकास दर थम जाएगी।  उन्होंने कहा कि इससे बेहतर है कि आधुनिक स्कूल और विश्वविद्यालय बनाए जाएं।

राम केवी
Published on: 8 Dec 2019 2:38 PM GMT
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आर्थिक मंदी पर मोदी सरकार को घेरा
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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन आर्थिक मंदी को लेकर मोदी सरकार को घेरा है। पूर्व गवर्नर ने इस मामले में केंद्र सरकारको कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि इस समय अर्थव्यवस्था से जुड़े तमाम फैसले प्रधानमंत्री कार्यालय से लिये जाते हैं और मंत्रियों के पास कोई अधिकार नहीं हैं। उन्होंने साफगोई से कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय आर्थिक मंदी के भंवर में है और इसकी अस्वस्थता के गहरे संकेत दिखाई दे रहे हैं।

इससे थम जाएगी आर्थिक रफ्तार

रघुराम राजन ने राजग सरकार व भाजपा के सामाजिक व राजनीतिक एजेंडे पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि हिन्दू राष्ट्रवाद से देश की आर्थिक विकास दर थम जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर है कि आधुनिक स्कूल और विश्वविद्यालय बनाए जाएं।

‘इंडिया टुडे' मैगजीन में छपे एक आर्टिकल में राजन ने भारत की कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था को सुस्ती से बाहर निकालने के लिये अपने सुझाव दिये हैं। राजन ने मोदी सरकार के सामाजिक और राजनैतिक एजेंडे पर सवाल खड़े करते हुए लिखा है कि सरकार को राष्ट्रीय और धार्मिक महापुरूषों की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं लगाने के बजाय आधुनिक स्कूल और विश्वविद्यालय खोलने चाहिए, जिससे बच्चों का दिमाग खुले। उन्होंने लिखा है कि ऐसा करने से बच्चे और युवा ज्यादा सहिष्णु और दूसरों के प्रति अधिक दयावान बनेंगे।

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ये कदम उठाने की अपील

उन्होंने लगातार सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिये पूंजी क्षेत्र, भूमि और श्रम बाजारों में सुधारों को आगे बढ़ाने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने निवेश और वृद्धि को बढ़ाने पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को विवेकपूर्ण तरीके से मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में शामिल होना चाहिए ताकि कॉम्पटीशन बढ़ाया जा सके और घरेलू दक्षता को सुधारा जा सके।

गलती कहां हुई समझने का रास्ता

रघुराम राजन ने लिखा है, 'यह समझने के लिए कि गलती कहां हुई है, हमें सबसे पहले मौजूदा सरकार के केन्द्रीकृत स्वरूप से शुरुआत करने की जरूरत है। निर्णय प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि इस सरकार में नये विचार और योजनाएं जो भी सामने आ रही हैं वह सब प्रधानमंत्री के ईद-गिर्द रहने वाले लोगों और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जुड़े लोगों तक ही सीमित हैं।'

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राजन ने लिखा है, 'यह स्थिति पार्टी के राजनीतिक एजेंडे और सामाजिक एजेंडा के हिसाब से तो ठीक काम कर सकती है, क्योंकि इस स्तर पर सभी चीजें साफ तरीके से तय हैं और इन क्षेत्रों में इन लोगों के पास विशेषज्ञता भी है।

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आर्थिक सुधारों पर पूर्व गवर्नर ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि इस मामले में यह इतने बेहतर तरीके से काम नहीं कर सकती है, क्योंकि इस मामले में टॉप लेवल पर कोई क्लीयर एजेंडा पहले से तय नहीं है, इसके साथ ही स्टेट लेवल के मुकाबले नेशनल लेवर पर अर्थव्यवस्था किस तरह से काम करती है इसके बारे में भी जानकारी का अभाव है।

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