देश में आर्थिक मंदी के लिए SC भी जिम्मेदार, इस मशहूर वकील ने दी अजीब दलील

देश के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने आर्थिक मंदी के लिए देश की सर्वोच्च अदलात सुप्रीम कोर्ट को भी जिम्मेदार ठहराया है। साल्वे ने कहा कि 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने टू जी स्पेक्ट्रम केस में 122 लाइसेंस को रद्द कर दिया था। इसके अलावा साल 2012 में कोयले की खदानों का आवंटन भी रद्द कर दिया गया था।

Dharmendra kumar
Published on: 9 May 2023 12:27 PM GMT
देश में आर्थिक मंदी के लिए SC भी जिम्मेदार, इस मशहूर वकील ने दी अजीब दलील
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नई दिल्ली: देश के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने आर्थिक मंदी के लिए देश की सर्वोच्च अदलात सुप्रीम कोर्ट को भी जिम्मेदार ठहराया है। साल्वे ने कहा कि 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने टू जी स्पेक्ट्रम केस में 122 लाइसेंस को रद्द कर दिया था। इसके अलावा साल 2012 में कोयले की खदानों का आवंटन भी रद्द कर दिया गया था।

साल्वे का कहना है कि देश की इकॉनमी पर इसका खासा असर पड़ा है। हरीश साल्वे ने ये बातें एक लीगल न्यूज़ वेबसाइट से कहीं है। इस वेबसाइट को वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह चलाती हैं।

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साल्वे ने कहा कि मैं मानता हूं कि जो लोग 2जी में गलत तरीके से लाइसेंस देने के लिए जिम्मेदार हैं उन पर नियंत्रण लगाया जाना चाहिए, लेकिन एक साथ सारे लाइसेंस को रद्द करना सही फैसला नहीं था वो भी तब जब इसमें विदेशी निवेश भी हो।

उन्होंने कहा कि जब कोई विदेशी निवेश करता है तो ये नियम है कि उसके साथ एक भारतीय पार्टनर होना चाहिए, लेकिन विदेशी निवेशकों को ये नहीं मालूम था कि उनके भारतीय पार्टनर को लाइसेंस कैसे मिला। विदेशी निवेशकों ने करोड़ों रुपये निवेश किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक झटके में लाइसेंस रद्द कर दिया।

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जानिए क्या है 2 जी स्पेक्ट्रम केस

बता दें कि साल 2010 में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने कहा था कि 2 जी स्पेक्ट्रम कौड़ियों के भाव कंपनियों को बांट दिए गए। सीएजी के मुताबिक इससे देश को 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। बाद में साल 2012 में कोर्ट ने सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे।

बता दें कि साल्वे इस मामले में 11 टेलीकॉम कंपनियों का पक्ष रख रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साल्वे की दलीलों को खारिज कर दिया था। पांच साल तक केस चलने के बाद साल 2017 में कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा और कनिमोझी समेत 15 लोगों को आरोप मुक्त कर दिया था।

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साल्वे का कहना है कि कोयले की खदानों के आवंटन में भी ऐसा ही हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2014 में 1993 से लेकर 2011 तक आवंटित सभी कोयला खदानों के लाइसेंस रद्द कर दिए थे। कहा गया कि देश को इससे हर महीने 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। साल्वे ने कहा कि लाखों लोग देश में बेरोजगार हैं और भारत की कोयला खदानें बंद हो रही हैं, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा।

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