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जल्द और कम हो सकती है ब्याज दरें, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिए संकेत

भारत में कोरोना का असर अर्थव्यवस्था पर साफ़-साफ नजर आने लगा है। कोविड काल में व्यापार जगत को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। महंगाई में भी तेजी आई है। कोरोना के प्रभाव से बैंकिंग सेक्टर्स भी अछूते नहीं है।

Newstrack
Published on: 27 Aug 2020 7:29 AM GMT
जल्द और कम हो सकती है ब्याज दरें, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिए संकेत
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की फाइल फोटो

नई दिल्ली: भारत में कोरोना का असर अर्थव्यवस्था पर साफ़-साफ नजर आने लगा है। कोविड काल में व्यापार जगत को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। महंगाई में भी तेजी आई है। कोरोना के प्रभाव से बैंकिंग सेक्टर्स भी अछूते नहीं है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्याज दरों में आगे और कटौती के संकेत देते हुए गुरुवार को कहा है कि कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए किए गए उपायों को जल्द नहीं हटाया जाएगा।

ये बातें आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने ये भी कहा कि, 'चाहे दर में कटौती हो या फिर अन्य नीतिगत कदम, हमारे तरकश के तीर अभी खत्म नहीं हुए हैं।'

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत और स्थिर बना हुआ है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण सही दिशा में एक कदम है।

आरबीआई की प्रतीकात्मक फोटो आरबीआई की प्रतीकात्मक फोटो

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बैंक तनाव का सामना करेंगे, यह जाहिर सी बात: आरबीआई

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप और अन्य पहलुओं पर एक बार स्पष्टता होने के बाद आरबीआई मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि पर अपने पूर्वानुमान देना शुरू कर देगा।

आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा, 'बैंकों का आकार जरूरी है, लेकिन दक्षता इससे भी अहम है। बैंक तनाव का सामना करेंगे, यह जाहिर सी बात है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बैंक चुनौतियों के समक्ष किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं और उसका सामना करते हैं।'

बता दें कि आरबीआई ने छह अगस्त को जारी नीतिगत समीक्षा में रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। पिछली दो बैठकों में आरबीआई पहले ही नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। फिलहाल रेपो दर चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमसीएफ) दर 4.25 प्रतिशत है।

केंद्रीय बैंक द्वारा पिछले दिनों घोषित राहत उपायों के बारे में आरबीआई गवर्नर ने कहा, 'किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा।'

दास ने ये भी कहा कि महामारी की रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा।

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आरबीआई के एटीएम से लेनदेन करते फाइल फोटो आरबीआई के एटीएम से लेनदेन करते फाइल फोटो

आम जनता को राहत देने के लिए आरबीआई ने कई कदम उठाए

उन्होंने बताया कि लोन मोरेटोरियम की सुविधा एक अस्थायी समाधान था। ऋण समाधान ढांचे से कोविड-19 संबंधी बाधाओं का सामना कर रहे कर्जदारों को टिकाऊ राहत मिलने की उम्मीद है।

लॉकडाउन के दौरान आम जनता को राहत देने के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कई कदम उठाए। इन्हीं में से एक है लोन मोरेटोरियम यानी लोन स्थगन की सुविधा।

आरबीआई द्वारा किए गए उपायों का उद्देश्य कोविड-19 की कठिन स्थिति से निपटना है और यह स्पष्ट रूप से स्थायी नहीं है।

लॉकडाउन के दौरान आम जनता को राहत देने के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कई कदम उठाए। इन्हीं में से एक है लोन मोरेटोरियम यानी लोन स्थगन की सुविधा।

उन्होंने कहा कि महामारी के रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। वित्तीय क्षेत्र को सामान्य स्थिति में लौटना चाहिए। दास ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह से यह

नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा। कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत और स्थिर बना हुआ है।

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