RBI Monetary Policy 2023: आरबीआई ने किया नीतिगत दरों का ऐलान, नहीं बदला रेपो रेट; FY24 में 6.5% GDP ग्रोथ संभव

RBI Monetary Policy 2023: मई 2022 से लगातार इस साल फरवरी तक आरबीआई ने नीतिगत दरों में छह बार बढ़ोतरी की थी,जोकि कुल 250 bps की वृद्धि हुई थी। अब रेपो रेट 6.5 फीसदी पर है, जबकि पिछली मई से पहले यह 4 फीसदी पर था।

Viren Singh
Published on: 6 April 2023 10:17 AM GMT (Updated on: 6 April 2023 11:21 AM GMT)
RBI Monetary Policy 2023: आरबीआई ने किया नीतिगत दरों का ऐलान, नहीं बदला रेपो रेट; FY24 में 6.5% GDP ग्रोथ संभव
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RBI Monetary Policy 2023 (सोशल मीडिया)

RBI Monetary Policy 2023: भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से लोगों को बड़ी राहत मिली है। रिजर्व बैंक की वित्त वर्ष 2024 की पहली मॉनिटरी पॉलिसी बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को घोषणा कि देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है और इसको पहले की तरह 6.5% पर अपरिवर्तित रखा है। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने लगातार छह बार रेपो रेट में इजाफा किया था, जिसके बाद यह बढ़कर 6.5 फीसदी हो गया था।

कोर महंगाई दर अभी ऊपर

वित्त वर्ष 2024 की केंद्रीय बैंक की पहली मौद्रिक नीति की 3 अप्रैल से लेकर 6 अप्रैल तक चली बैठक में लिए गए फैसलों की मीडिया में जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि अर्थव्यस्था में हो रही रिकवरी को बरकरार रखने के लिए मौद्रिक नीति में शामिल सदस्यों ने नीतिगत दर को यथावत रखा है। हालांकि अगर जरूरत पड़ी तो स्थिति के हिसाब से केंद्रीय बैंक कदम भी उठाएगा। दास ने कहा कि फिलहाल अभी भी ग्लोबल मार्केट में वित्तीय स्थिरता चुनौती बनी हुई है, जो कि चिंता का विषय है। भारत में कोर महंगाई दर अभी भी ऊपर स्तर पर है। लेकिन वित्त वर्ष 2024 में मंहगाई दर में कमी आने का अनुमान है।

इतनी रह सकती वित्त वर्ष 24 में सीपीआई

दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में सीपीआई 5.3 फीसदी से कम होकर 5.2 फीसदी होने की संभावना है। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में सीपाई के बढ़ने की संभावना है और यह 5 फीसदी से बढ़कर कर 5.1 फीसदी हो सकती है। दूसरी तिमाही नें यह 5.4 फीसदी संभव है, लेकिन वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में सीपीई 5.6 फीसदी से घटकर 5.2 फीसदी होन की संभावना है। उन्होंने कहा कि देश की सप्लाई के मोर्च पर सुधार देखने को मिल रहा है। भारतीय बैंकिंग सेक्टर की स्थिति भी काफी मजबूत है। वहीं, वेहतर रबी फसल से ग्रामीण मांग में सुधार होने की उम्मीद है। Q4 में निजी खपत में धीमापन देखा गया है।

GDP ग्रोथ 6.5 फीसदी संभव

केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में देश की रियल जीडीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी होने की संभावना लगाई है, जबकि वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रियल GDP ग्रोथ 5.9% होने की संभावना लगाई है। यानी तीसरी तिमाही में इसमें गिरावट होने की की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024 में GDP ग्रोथ 6.5 फीसदी होने की संभावना जताई गई है। केंद्रीय बैंक ने बताया कि हाल के वर्षों में निगरानी व्यवस्था मजबूत हुई है। कंपनियों को कैपिटल बफर बनाने की सलाह दी गई है। वैश्विक बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिरता के लिए रिजर्व बैंक लगातार प्रयास कर रहा है।

मुद्रास्फीति के खिलाफ वैश्विक लड़ाई खत्म नहीं हुई

गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू खाता घाटा (सीएडी) 2022-23 की पहली दो तिमाहियों में कुल जीडीपी का 2.7 प्रतिशत रहा। केंद्रीय बैंक तरलता प्रबंधन के लिए चुस्त दृष्टिकोण बनाए रखेगा और सरकार के उधार कार्यक्रम को गैर-विघटनकारी तरीके से प्रबंधित करेगा। दास ने कहा कि मुद्रास्फीति के खिलाफ वैश्विक लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था कुछ उन्नत पारिस्थितिक तंत्रों में बैंकिंग क्षेत्र के विकास की चुनौतियों को देख रही है। नियामकों को वित्तीय प्रणाली की स्थिरता की रक्षा के लिए कमजोरियों की पहचान करने की जरूरत है और उधारदाताओं को परिसंपत्ति देनदारी बेमेल और पूंजीकरण स्तरों पर नजर रखने की जरूरत है।

मई से पहले 4 प्रतिशत पर था रेपो रेट

मई 2022 से फरवरी 2023 तक केंद्रीय बैंक ने देश में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए छह बार रेपो रेट में वृद्धि की थी। आखिरी बार फरवरी की शुरुआत में ही MPC में RBI ने मुद्रास्फीति को मैनेज करने के लिए रेपो दर में 25 bps का इजाफा किया था, जिसके बाद यह बढ़कर 6.5% हो गया था। पिछले साल दिसंबर 2022 में रेपो रेट में 35 बेसिस प्‍वॉइंट, 30 सितंबर को रेपो रेट में 50 बेसिस प्‍वॉइंट, अगस्‍त 2002 में 50 बेसिस प्‍वॉइंट, जून में 50 बेसिस प्वॉइंट और मई में 40 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा हुआ था। आपको बता दें कि पिछली मई 2022 से पहले देश में रेपो रेट की दर 4 फीसदी था लेकिन अब बढ़कर यह 6.50 फीसदी हो गया है। लगातार रेपो रेट की बढ़ोतरी से लोगों को काफी परेशानियां को सामना करना पड़ा रहा है,क्योंकि बैंकों से लोन लेना काफी महंगा हो गया है और लोगों अपनी जरुरतों के लिए लोन लेने में हिचक रहे हैं।

राणा ने कहा कि कर्ज लेने और देने वालों को मिली राहत

उधर, रेपो रेट के यथावत स्थिति पर पूर्व बैंक कर्मी एवं वॉयस ऑफ बैंकिंग के संस्थापक अशवनी राणाने एक बयान जारी किया। इस बयान में राणा ने कहा कि रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को ने बढ़ाकर कर्ज लेने वालो को बड़ी राहत दी है। रिजर्व बैंक ने आज रेपो रेट में कोई वृद्धि नहीं की है और यह 6.50 फीसदी पर ही रहेगा। अगर केंद्रीय बैंक रेपो रेट में वृद्धि करता तो बैंकों से कर्ज लेने वाले बैंक के ग्राहकों के लिए मुश्किल बढ़ सकती थी। रिजर्व बैंक ने कर्ज लेने वालों के साथ साथ कर्ज देने वाले बैंकों को भी बड़ी राहत दी है, क्योंकि कर्ज महंगा होने से बैंकों सहित कई सेक्टर पर नेगेटिव असर होता है।

Viren Singh

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