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अब नहीं बढ़ेंगी EMI, कर्ज से मिलेगी लोगों को राहत; रेपो रेट पर RBI का यह फैसला
RBI MPC Meeting Result: अगर रेपो रेट बढ़ जाता तो बैंक कर्ज महंगे कर देते, इससे बैंकों सहित कई सेक्टरों पर नेगेटिव असर पड़ता है।
RBI MPC Meeting Result: रिजर्व बैंक के उदार रवैये से लगातार रेपो रेट यानी नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक ने शुक्वार को रेपो रेट में कोई वृद्धि नहीं की है। 2023 में आरबीआई ने अप्रैल के बाद लगातार चौथी बार रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया है। महंगाई दर को काबू में रखने के लिए रिजर्व बैंक के प्रयास जारी हैं। स्थिर रहने के बाद मौजूदा समय रेपो रेट 6.50 ही रहेगा। आरबीआई की इस कदम से उन लोगों को बड़ी राहत मिली है, जो घर खरीदने या फिर अन्य कार्य के लिए बैंकों के कर्ज लेने के प्लान में हैं। अब बैंक अपने कर्ज ब्याज दरों में वृद्धि नहीं करेगा। साथ, लोन पर चल रही ईएमआई भी नहीं बढ़ेंगे, इससे लोगों को बड़ी राहत मिली है।
अशवनी राणा ने बताई रेपो रेट न बढ़ने की असली वजह
वॉयस ऑफ बैंकिंग के संस्थापक और आर्थिक विशेषज्ञ अशवनी राणा ने कहा कि रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को न बढ़ाने के पीछे देश में आर्थिक प्रगति को जारी रखने, महंगाई को काबू में रखने और आने वाले त्योहारों को भी ध्यान में रखा है। उन्होंने कहा कि अगर रेपो रेट बढ़ जाता तो बैंक कर्ज महंगे कर देते, इससे बैंकों सहित कई सेक्टरों पर नेगेटिव असर पड़ता है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने बैंकों की अच्छी स्थिति की भी जानकारी देते हुए और कहा कि इंडिया वर्ल्ड ग्रोथ का इंजन भी बन सकता है।
कर्ज लेने व देने वालों मिली राहत
राणा ने कहा कि रेपो रेट में वृद्धि से बैंकों से कर्ज लेने वाले बैंक के ग्राहकों के लिए मुश्किल बढ़ सकती थी। हालांकि केंद्रीय बैंक ने रिजर्व बैंक ने कर्ज लेने वालों के साथ साथ कर्ज देने वाले बैंकों को भी बड़ी राहत दी है।
दरअसल, रेपो रेट पर सबसे अधिक नजर कर्ज लेने वाले लोगों की होती है, क्योंकि इसका सीधा जुड़वा बैंकों की कर्ज ब्याज दरों से होता है। अगर आरबीआई नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करता है। तो बैंक अपनी कर्ज ब्याज दरों में वृद्धि करती हैं। इससे ईएमआई की दरें भी बढ़ जाती हैं। अगर वह रेपो रेट में कटौती करता है तो वह बैंक भी लोन ब्याज दरों में कटौती करती है। हालांकि बीते चार बार से केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को स्थिर रखा है तो बैंक अपनी कर्ज ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करेगी हो सकता है, कुछ बैंक कर्ज इसमें कटौती भी कर दें।
हर तिमाही होती है MPC की बैठक
दरअसल, केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक हर तिमाही में तीन दिन के लिए आयोजित होती है। इस बैठक में एमपीसी के पैलन में शामिल सदस्य देश में महंगाई, जीडीपी ग्रोथ के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों के साथ अन्य आर्थिक पहलुओं पर गहन विचार विमर्श किया जाता है। इसके बाद जो फैसला सदस्यों द्वारा लिया जाता है, उसकी घोषणा आरबीआर के गवर्नर आखिरी दिन करते हैं। मौजूदा समय ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतें 10 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। इसके अलावा अमेरिका में अगली पॉलिसी रेट को लेकर फेड रिजर्व कड़ा फैसला कर सकती है। इस आरबीआई की बैठक में इन सब चीजों का भी मंथन किया गया होगा। MPC बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है और यह बैठक देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में होती है।
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