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Haldiram: 'भुजियावाला' कैसे बन गया 'हल्दीराम'? छोटी नाश्ते की दुकान से स्नैक्स के इंटरनेशनल ब्रांड तक की इंटरनल स्टोरी

Haldiram: अंतराष्ट्रीय फलक पर पहुंच चुकी हल्दीराम अब किसी पहचान की मोहताज नहीं है। हल्दीराम में अब टाटा 51 फीसदी की हिस्सादारी होगी। जानिए हल्दीराम का कहां से शुरू हुआ था सफर-

Snigdha Singh
Published on: 6 Sept 2023 6:44 PM IST
Haldiram: भुजियावाला कैसे बन गया हल्दीराम? छोटी नाश्ते की दुकान से स्नैक्स के इंटरनेशनल ब्रांड तक की इंटरनल स्टोरी
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Haldiram (Image: Social Media)

Haldiram: हल्दीराम, एक ऐसा नाम जिसके नाम से ही मिठाइयों से लेकर व्यंजन तक का स्वाद जुबान में आ जाता है। दरअसल, हल्दीराम की बात हम इसलिए कर रहें क्योंकि स्नैक्स का यह बड़ा ब्रांड अब खुद अपना नहीं रहा। इसमें 51 फीसदी हिस्सेदारी अब टाटा की हो जाएगी। हल्दीराम का सफर मामूली भुजियावाला से शुरू होकर एक इंटरनेशनल ब्रांड तक पहुंच गया है। नॉर्मल दुकान से ब्रांड बनने तक का कुछ ऐसा रहा सफर जानिए कितना रोचक रहा।

कहां से हुई हल्दीराम की शुरुआत

हल्दीराम की शुरुआत वर्ष 1937 में हुई। बीकानेर में एक नाश्ते की छोटी सी दुकान से शुरू हुआ या सफर कुछ ऐसा था कि गंगाविषण अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति ने दुकान डाली। गंगाविषण के हाथों का जादू ऐसा था कि जो भी उनके बनाए व्यजंन खाता, वह लौटकर जरूर आता। नाश्ते में उनके द्वारा तैयार की गई भुजिया ने एक अलग 'भुजियावाले के नाम से' पहचान बना ली। धीरे-धीरे पूरे शहर में फिर देश और दुनिया में उनके हाथों का जादू देखने को मिला। कुछ दिन की ही मेहनत में उन्होंने साल 1970 में अपनी पहला स्टोर नागपुर में खोला और फिर 1982 में राजधानी दिल्ली में। धीरे धीरे दूसरे देशों में भी स्टोर खुलने का सिलसिला शुरू हुआ। अब के समय में फ्रेंचाइजी समेत हजारों स्टोर हैं।

कैसे पड़ा हल्दीराम का नाम

रिपोर्ट्स के अनुसार पहले तो उनका ये नाम बीकानेर भुजियावाले के नाम से लोकप्रिय था। वहीं, कुछ लोग गंगाविषण अग्रवाल को हल्दीराम के नाम से भी बुलाते थे। इसी वजह से भुजियावाले के साथ साथ उनकी दुकान का नाम हल्दीराम भी होता चला गया। भुजियावाला और हल्दीराम का ऐसा संगम हुआ कि शहर में हल्दीराम भुजिया चलने लगा। जो वर्तमान अंतराष्ट्रीय ब्रांड बनकर उभर गया। देश लगभग हर घर के नाश्ते में हल्दीराम जरूर शामिल होता है।

50 से अधिक देशों में हल्दीराम का दबदबा

कंपनी के मुताबिक 3.8 बिलियन लीटर दूध, 80 मिलियन किलोग्राम बटर, 62 मिलियन किलोग्राम आलू और 60 मिलियन किलोग्राम शुद्ध घी हर साल रेस्टोरेंट्स में यूज किया जाता है। इस समय कंपनी के 35 तरह के नमकीन प्रोडक्ट्स मौजूदा समय में बाजार में हैं। हल्दीराम अब नमकीन के साथ साथ मिठाइयों और चिप्स की इंडस्ट्री में भी कदम रख चुका है। हल्दीराम आज दुनिया के 50 से भी ज्यादा देशों में अपनी पहुंच रखता है।

अब टाटा का भी होगा स्नैक्स ब्रांड

हमारी रिपोर्ट के अनुसार देश का सबसे पुराना कारोबारी समूह टाटा ग्रुप है। यह ग्रुप भारत में नमक के कारोबार से लेकर हवाई जहाज के क्षेत्र में कारोबार में लगा हुआ है और लगातार भारत सहित दुनिया में अपने प्रोडक्ट का लोगों के बीच लोहा मनवा रहा है। भारतीय बाजार में ऐसी खबर आ रही हैं कि अब टाटा समूह खाद्य पदार्थ के क्षेत्र में उतारने जा रहा रहा है। बाजार में नजर रखने वाले दो लोगों ने कहा कि टाटा समूह की उपभोक्ता इकाई लोकप्रिय भारतीय स्नैक फूड निर्माता हल्दीराम की कम से कम 51% हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत हो रही है। हालांकि वह इस हिस्सेदारी के लिए 10 अरब डॉलर के मूल्यांकन को लेकर सहज नहीं है। यानी टाटा ग्रुप हल्दीराम की 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए 10 अरब डॉलर चूकाने के मूड में नही हैं।



Snigdha Singh

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