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बैंकों को राहत: लोन मोरेटोरियम मामले में SC का फैसला- ब्याज माफी संभव नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम मामले में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्याज को पूरी तरह से माफ नहीं किया जा सकता।

Newstrack
Published on: 23 March 2021 6:38 AM GMT
बैंकों को राहत: लोन मोरेटोरियम मामले में SC का फैसला- ब्याज माफी संभव नहीं
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम मामले में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्याज को पूरी तरह से माफ नहीं किया जा सकता। एक ओर कोर्ट के इस फैसले से बैंकों को राहत मिली है। वहीं पूरी तरह से ब्याज माफी की मांग कर रहे रियल एस्टेट जैसे कई सेक्टर की कंपनियों को झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को आर्थिक फैसले लेने का अधिकार है। क्योंकि महामारी के चलते सरकार को भी भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।

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ब्याज की माफी संभव नहीं

जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला दिया। एमआर शाह ने कहा कि मोरेटोरियम अवधि के दौरान 2 करोड़ रुपए से ज्यादा के ब्याज पर ब्याज की माफी संभव नहीं। अगर किसी बैंक ने ब्याज पर ब्याज लिया है तो उसको लौटाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कहा कि बैंक पूरी तरह से ब्याज माफ नहीं कर सकते क्योंकि वे खाताधारकों और पेंशनरों के लिए उत्तरदायी हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि वह इकोनॉमिक पॉलिसी मामलों में दखल नहीं दे सकता। वह यह तय नहीं करेगा कि कोई पॉलिसी सही है या नहीं।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान दी गई ईएमआई चुकाने से छूट के कारण 6 महीनों के दौरान जिन लोगों ने लोन की किस्‍त नहीं चुकाई, उन्‍हें डिफॉल्ट में नहीं डाला गया था। हालांकि, बैंक इन 6 महीनों के ब्याज पर ब्याज वसूल रहे थे। बता दें कि आरबीआई ने सबसे पहले 27 मार्च 2020 को लोन मोरटोरियम लागू किया था। इसके तहत 1 मार्च 2020 से लेकर 31 मई 2020 तक ईएमआई चुकाने से राहत दी गई थी। हालांकि, बाद में आरबीआई ने इसे बढ़ाकर 31 अगस्त 2020 कर दिया था।

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क्या है पूरा मामला ?

देश में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते उद्योग धंधे पूरी तरह बंद थे। इसीलिए कारोबारियों और कंपनियों के लिए कई मुश्किलें खड़ी हो गई। कई लोगों की नौकरियां भी चली गई थीं। लोन की किस्तें भी चुकाना मुश्किल था। ऐसे में रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की सहूलियत दी थी। यानी लोन पर किस्तें टाल दी गई थीं। किसी लोन पर मोरेटोरियम का लाभ लेते हुए किस्त नहीं चुकाई तो उस अवधि का ब्याज मूलधन में जुड़ जाएगा। यानी अब मूलधन+ब्याज पर ब्याज लगेगा। इसी ब्याज पर ब्याज का मसला सुप्रीम कोर्ट में है।

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