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देश में भुखमरीः लाखों लोग खाने के लिए तरस रहे, सरकारी गोदाम में सड़ रहा अनाज
दो फरवरी 2021 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के हवाले से बताया गया गया कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में साल 2017 से 2020 के बीच 11, 520 टन यानी 115,200 क्विंटल अनाज सड़ गया।
लखनऊ : ग्लोबल जिस भारत देश में लाखों लोग भूखे सो रहे हैं वहां तीन साल के अंदर लाखों क्विंटल अनाज का यूं ही गोदाम में सड़ जाना सामान्य बात नहीं है। 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश में 17 लाख के करीब लोग कुपोषित हैं जो देश की कुल आबादी का 14 फीसदी है। इतना ही नहीं भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी भूख सूचकांक 2020 में शामिल कुल 107 देशों में 94वें स्थान पर है। अगर हम अपने पड़ोसी देशों की बात करें तो पाकिस्तान 88, बांग्लादेश 45, नेपाल 73 और इंडोनेशिया 70वें नंबर पर है। साल 2019 में 117 देशों की सूचि में भारत की रैकिंग 102 थी।
सरकारी गोदाम में 1 लाख क्विंटल से अधिक अनाज सड़ गया
दो फरवरी 2021 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के हवाले से बताया गया गया कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में साल 2017 से 2020 के बीच 11, 520 टन यानी 115,200 क्विंटल अनाज सड़ गया। जिसकी कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये बताया गया।
झारखंड में भूख से एक बच्ची की हुई मौत
बीते 17 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट में झारखंड में भूख से एक बच्ची की हुई मौत पर हो रहे सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताई है। दरअसल 2017 में झारखंड के सिमडेगा जिले में एक बच्ची की मौत हो गई थी, जिसकी देशभर में चर्चा हुई थी। बच्ची की मां कोयली देवी का कहना है कि उनकी बेटी भूख की वजह से मर गयी। परिवार को पिछले कई महीनों से सरकारी राशन नहीं मिल रहा था, क्योंकि वह राशन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक नहीं करा पाई थी।
देशभर में भूख से हो रही मौत की जांच की मांग
अपनी बच्ची की मौत के बाद कोयली देवी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी मांग है कि देशभर में भूख से हो रही मौत की जांच हो। सुनवाई के दौरान कोइली देवी के वकील कोलिन गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि ऐसे लगभग 3 करोड़ राशन कार्ड हैं जिन्हें आधार से लिंक ना होने की वजह से रद्द कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताते हुए केंद्र सरकार को इस पर अपना जवाब देने के लिए कहा है।
कई बड़े राज्यों से अनाज के बर्बादी की तस्वीरें
भूख से मौत का ये मामला सामान्य नहीं है। सोचिए अगर देश में 3 करोड़ गरीब लोगों का राशन कार्ड रद्द हो गया है तो किस स्तर पर लोग परेशानियों का सामना कर रहे होंगे, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान देश में लगे लॉकडाउन के वक्त देश की एक बड़ी आबादी रोटी-रोटी को मोहताज थी। सरकार द्वारा फ्री अनाज देने के बावजूद हकीकत हैरान करने वाली थी। बारिश का मौसम आते ही बिहार,यूपी और एमपी जैसे कई बड़े राज्यों से अनाज के बर्बादी की तस्वीरें आनी आम हो जाती है। मानो ये देश की परंपरा बन गई हो।
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हजारों क्विंटल अनाज सरकार के गोदामों में सड़ रहा
जहां देश में एक ओर लाखों लोग भूखे सो रहे हैं वहीं दूसरी ओर हजारों क्विंटल अनाज सरकार के गोदामों में सड़ जा रहा है। सरकार को प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग और कंजप्शन तीनों को ध्यान में रखकर एक अच्छी नीति बनाने की जरुरत है। देश में पैदावार में कोई कमी है, ऐसा नहीं है। जैसा कि हम जानते हैं हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की एक बड़ी आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी है बावजूद इसके हमारे देश में लाखों लोगों को भूखा सोना पड़ रहा है।
रिपोर्ट - अनुपम
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