TRENDING TAGS :
गज़ब का जुगाड़: बिना मिट्टि के घर के अंदर उगा सकते हैं सब्जियां, ये है तरीका
इसके लिए हाइड्रोपोनिक फार्मिंग का तरीका अपनाया जाता है। हाइड्रोपोनिक दो शब्दों से मिल कर बना है, पहला- हाइड्रो यानी पानी और और दूसरा- पोनोज यानी लेबर।
नई दिल्ली: देश में कोरोना महामारी की वजह से ज्यादातर कारोबार बंद हो गए या सुस्त हो चुके हैं। ऐसे में फल-सब्जियों की आपूर्ति के लिए इन दिनों शहरों के लोग नया तरीका आजमा रहे हैं। आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि वे बिना मिट्टी के खेती करके फल और हरी सब्जियां उगा रहे हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं इस खेती के बारे में....
ये भी पढ़ें: गायत्री प्रजापति को जमानत: साढ़े तीन साल तक थे जेल में, अब मिली बड़ी राहत
बिना मिट्टी के खेती कैसे करें
इसके लिए हाइड्रोपोनिक फार्मिंग का तरीका अपनाया जाता है। हाइड्रोपोनिक दो शब्दों से मिल कर बना है, पहला- हाइड्रो यानी पानी और और दूसरा- पोनोज यानी लेबर। इस तकनीक के द्वारा मिट्टी के बगैर ही केवल पानी की मदद से पौधे उगाए जा सकते हैं। खास बात ये है कि इसमें पौधों के बढ़ने की रफ्तार मिट्टी वाले पौधों से 30-50 प्रतिशत ज्यादा होती है।
बिना मिट्टी के खेती (file photo)
इस नए तरीके से आप घर के भीतर छोटी-छोटी तश्तरियों में पौधे ऊगा सकते हैं। पौधे को पूरा पोषण मिल सके, इसके लिए जहां पौधे लगाए जा रहे हों, उस कमरे में आर्टिफिशियल लाइट लगा सकते हैं, साथ ही कमरे का तापमान और नमी पर भी विशेष ध्यान देने की जरुरत है।
आसान भाषा में समझें इस तकनीक को
इस तकनिकी की समझने के लिए एक सिंपल सा उदाहरण हैं कि- अकसर लोग अपने घर या कमरे में सजावट के लिए पानी से भरे किसी बोतल में किसी पौधे की टहनी रख देते हैं। इसके कुछ दिनों बाद आपने देखा होगा कि उसमें जड़ें निकल आती हैं और धीरे-धीरे वह पौधा बढ़ने लगता है। हम सोचते हैं कि पेड़-पौधे उगाने और उनके बड़े होने के लिये खाद, मिट्टी, पानी और सूर्य का प्रकाश जरूरी है। लेकिन असलियत यह है कि फसल उत्पादन के लिये सिर्फ पानी और पोषक तत्व की ज्यादा जरुरत होती है।
ये भी पढ़ें: सिपाही ने SSI को मारी गोली: छुट्टी को लेकर हुआ विवाद, दोनों अस्पताल में भर्ती
इस तकनिकी के तहत पौधों और फसलों को नियंत्रित परिस्थितियों में 15 से 30 डिग्री सेल्सियस ताप पर लगभग 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता में उगाया जाता है। यहां तक कि इसे फ्लैट में भी बिना मिट्टी के पौधे और सब्जियां आदि उगाई जा सकती हैं। पानी में लकड़ी का बुरादा, बालू या कंकड़ों को डाल दिया जाता है और पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिये एक खास तरीके का घोल डाला जाता है। ये घोल कुछ बूंदों के तौर पर महीने में एक या दो बार ही डाला जाता है।
बिना मिट्टी के खेती (file photo)
फायदा
इसके फायदों की बात करें तो इस तकनीक से पौधे मिट्टी में लगे पौधों की अपेक्षा 20-30% बेहतर तरीके से बढ़ते हैं, क्योंकि पानी से पौधों को सीधे-सीधे पोषण मिल जाता है। साथ ही मिट्टी में पैदा होने वाले खतपतवार से भी इसे नुकसान नहीं हो पाता है।
इस तकनिकी के लिए शुरुआत में थोड़ा खर्च करना पड़ता है ताकि सारे उपकरण लिए जा सकें और साथ ही इसकी ट्रेनिंग भी जरूरी है। एक मुश्किल ये भी है कि जहां पौधे उगाए जा रहे हों, वहां बिजली की कटौती नहीं होनी चाहिए, वरना पानी न मिलने और तापमान ऊपर-नीचे होने के कारण पौधे कुछ ही घंटों में खराब हो सकते हैं।
ये भी पढ़ें: बलात्कारी पर ताबड़तोड़ गोलियां: खेत में बच्ची के साथ हैवानियत, पुलिस ने लिया बदला