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Risk Transfer ही है बीमा, जानें- Insurance में क्या होता है Risk Pooling और Risk Management?

Risk Management- किसी व्यक्ति के जीवन पर तीन तरह का रिस्क होता है, इसे मैनेज करना ही रिस्क मैनेजमेंट कहलाता है। Risk Management के जरिये जोखिम को कम किया जा सकता है।

Hariom Dwivedi
Published on: 8 July 2023 9:38 AM IST
Risk Transfer ही है बीमा, जानें- Insurance में क्या होता है Risk Pooling और Risk Management?
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मानव जीवन पर तीन तरह के रिस्क होते हैं। (फोटो- साभार सोशल मीडिया)

Risk Management- Insurance सेक्टर में जोखिम यानी Risk ही सबसे महत्वपूर्ण है। दूसरे शब्दों में कहें तो अगर Risk न होता तो बीमा ही न होता। Life Insurance, Health Insurance और General Insurance में पूरा खेल रिस्क और रिस्क ट्रांसफर का ही है। जब किसी निश्चित घटना के घटने से संपत्ति का मूल्य नष्ट होने की संभावना होती है तो इस स्थिति को जोखिम (Risk) कहते हैं। जैसे कि नुकसान की संभावना।

जोखिम भरी घटना के कारण को आपदा (Peril) कहा जाता है। जैसे- बाढ़, भूकंप, आग लगना आदि…। इस आपदा से निपटने के लिए समान संपत्तियों पर विभिन्न व्यक्तियों द्वारा अंशदान एकत्रित किया जाता है, जिसका इस्तेमाल आपदा के कारण कुछ लोगों को हुई हानि की क्षतिपूर्ति के लिए किया जाता है। इसे Risk Pooling कहा जाता है।

मानव जीवन पर रिस्क


मानव जीवन पर तीन तरह के रिस्क होते हैं, जिनका हरदम खतरा बना रहता है।
1- अल्प आयु में यानी असमय मुत्यु हो जाना
2- दीर्घ काल यानी लंबी अवधि तक जीना (खासकर तब जब रिटायरमेंट के बाद के लिए आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं है)
3- विकलांगता के साथ जीवन जीना भी एक रिस्क होता है।

जोखिम का बोझ


जब व्यक्ति के जीवन पर जोखिम होता है तो उसका बोझ भी होता है। जोखिम बोझ दो तरह का होता है, जिसे Risk of Burden कहा जाता है-
1- Primary Burden of Risk (जोखिम का प्राथमिक बोझ)- इसमें हम अपनी क्षति आकलन कर सकते हैं। मतलब ऐसी हानियां आमतौर पर प्रत्यक्ष और मापने योग्य होती हैं। बीमा द्वारा इनको सरलता से मापा जा सकता है। इसीलिए इसे जोखिम का महत्वपूर्ण बोझ कहा जाता है।
2- Secondary Burden of Risk (जोखिम का द्वितीयक बोझ)- इसमें हानि होने होने की संभावना होती है। इस नुकसान को बचाने के लिए हम कुछ पैसे खर्च करते हैं। जैसे- कार चोरी होना, जोखिम का प्राथमिक बोझ है। कार चोरी न हो इसके लिए हम उसे पार्किंग में खड़ी करते हैं। बदले में हम टोकन के पैसे चुकाते हैं, जिसका बोझ भी हमारे जीवन पर पड़ता है। इसे जोखिम कम महत्वपूर्ण बोझ कहा जाता है।

रिस्क मैनेजमेंट


अगर हमारे जीवन पर जोखिम है तो मैनेज भी हमको ही करना है। इसे ही रिस्क मैनेजमेंट कहा जाता है। Risk Management के जरिये जोखिम को कम किया जा सकता है। आइये जानते हैं कैसे–

1- जोखिम से बचना/टालना (Risk Avoidence)- रिस्क को अवॉयड करना। जैसे- अगर हमें लगता है कि बाहर निकले में एक्सीडेंट का खतरा है तो हम घर से बाहर निकलें ही नहीं, आदि…। लेकिन, इस कंडीशन में हमारी ग्रोथ रुक जाती है।

2- Risk Reduction and Cantrol- जोखिम को कम करना या उसको नियंत्रित करना। जैसे- कोविड 19 के दौर में Hygiene अपनाना Risk Reduction और Isolation होना व वैक्सीनेशन करवाना Risk Cantrol का उदाहरण है।

3- जोखिम प्रतिधारण (Risk Retention)- जोखिम प्रतिधारण का मतलब जोखिम खुद पर वहन करना। इसे स्व बीमा भी कहा जाता है।

4- जोखिम अंतरण (Risk Transfer)- अपना जोखिम किसी दूसरे को ट्रांसफर करना ही Risk Transfer। जैसे कि बीमा कंपनी…। रिस्क ट्रांसफर ही Insurance है। इसमें ग्रोथ प्रभावित भी नहीं होती है और रिस्क बीमा कंपनी ही वहन करती है।

Hariom Dwivedi

Hariom Dwivedi

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