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ITR Filing ALERT: क्या होता है TDS और TCS में अंतर? आईटीआर फाइल करने से पहले जानें यह अंतर, है बहुत जरूरी

TDS or TCS Difference: TDS को टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स कहते हैं। यह आय पर कटौती किया गया एक प्रकार का अप्रत्यक्ष टैक्स होता है। वहीं, टीसीएस कर वस्तुओं की बिक्री या सेवाओं के प्रावधान के समय विक्रेता या सेवा प्रदाता द्वारा खरीदार से एकत्र किया जाता है।

Viren Singh
Published on: 23 Jun 2023 6:44 PM IST
ITR Filing ALERT: क्या होता है TDS और TCS में अंतर? आईटीआर फाइल करने से पहले जानें यह अंतर, है बहुत जरूरी
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TDS or TCS Difference (सोशल मीडिया)

TDS or TCS Difference:अधिकांश लोग आईटीआर फाइल करते हुए टीडीएस (TDS) और टीसीएस (TCS) को लेकर बड़ी कनफ्यूजन रहती है। इसकी वजह से यह है कि लोगों को TDS और TCS के बीच में अंतर नहीं जानते और यह अधूरी जानकारी कभी कभी आईटीआर फाइल करने वाले लोगों को परेशानी के साथ शर्मिंदगी का सामना करती हैं। टीडीएस का अर्थ होता है टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स, जबकि टीसीएस का अर्थ होता है टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स। इन दोनों की स्थिति में पैसों की कटौती होती है। तो आइये जानते हैं TDS और TCS के बीच में क्या अंतर होता है और यह कटा हुआ पैसा किसके खाते में जाते हैं?

TDS क्या होता है (What is TDS)

TDS को टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स कहते हैं। यह आय पर कटौती किया गया एक प्रकार का अप्रत्यक्ष टैक्स होता है। टीडीएस की दर भुगतान के प्रकार और प्राप्तकर्ता के आय स्तर के आधार पर अलग अलग होती है। टैक्स स्लैब के अंतर्गत आने वाले व्यक्तियों को टीडीएस की अलग-अलग दरें चुकानी पड़ती हैं। 1961 के आयकर अधिनियम के तहत कुछ व्यक्तियों या संस्थाओं को निर्दिष्ट सेवाओं के लिए किए गए किसी भी भुगतान से टीडीएस काटने की आवश्यकता होती है, जिसमें किराया, पेशेवर शुल्क, अनुबंध भुगतान, कमीशन और रॉयल्टी भुगतान जैसी सर्विस शामिल हैं। इसके अलावा टीडीएस कई प्रकार के निवेश पर भी लागू होता है। यह निवेश सावधि जमा और बैंकों, डाकघरों आदि में अन्य जमाओं से अर्जित ब्याज शामिल है। हालांकि करदाता चाहें तो इस टीडीएस कटौती का क्लेम भी कर सकते हैं।

टीडीएस का उदाहरण जानिए

एक कंपनी ने एक व्यक्ति से 80 लाख रुपये की एक प्रॉपर्टी खरीदी। यह टीडीएस के लिए लाख की अनुतम सीमा से अधिक है। यह सीमा 30 लाख रुपये अधिक है। इस एवज में कंपनी 50 लाख में एक फीसदी TDS काटने के लिए उत्तरदायी है, जो कि 50 हजार रुपये होगी। कंपनी इसे 50 लाख से काट लेगी और विक्रेता को 4 4,95,00,000 का भुगतान करेगी।

टीसीएस क्या है? (What is TCS)

टीसीएस एक प्रकार का कर है, जो आयकर अधिनियम में उल्लिखित वस्तुओं की बिक्री या सेवाओं के प्रावधान के समय विक्रेता या सेवा प्रदाता द्वारा खरीदार से एकत्र किया जाता है। हालांकि यह कुछ निर्दिष्ट वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है। इसमें शराब, सिगरेट और मोटर वाहनों बिक्री शामिल है। यह टैक्स आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधानों के अनुसार भारत सरकार के पास जमा किया जाता है। किसी से टीसीएस तब लिया जाता है, जब लेनदेन की राशि 2 लाख रुपये से अधिक हो और यह वस्तुओं या सेवाओं के प्रकार के आधार पर 0.1% से 10% की दर से लिया जाता है। हालांकि खरीदर चाहे तो अपना आईटीआर भरते वक्त भुगतान किए गए TCS का क्रेडिट क्लेम कर सकता है।

TCS का उदाहरण जानिए

मान लो कि एक व्यक्ति ने लकड़ी विक्रेता से 10,000 रुपए की लकड़ी खरीदी। इस मामले पर टिम्बर वुड की खरीद पर टीसीएस की दर 2.5% है। तब विक्रेता खरीद मूल्य के 2.5% की दर से खरीदार से टीसीएस एकत्र करेगा। यह 10 हजार रुपये का 250 रुपये होगा। यहां पर खरीदार को 10 हजार रुपए और उस पर लगने वाला 2.5 फीसदी टीसीएस का भुगतान करना होगा, जोकि यह राशि 10,250 रुपए होगी। इसके बाद विक्रेता सरकार को टीसीएस राशि को रु. 250 जमा करेगा।अब टिम्बर वुड के खरीदार को टैक्स लायबिलिटी क्रेडिट के रूप में ₹ 250 प्राप्त करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय कुल खर्च के रूप में ₹ 10,250 दिखाई देगा।



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