Afghanistan- Taliban News: राजस्थान पहुंचा तालिबानी आतंक, जानें भारत में पड़ रहा क्या असर

Afghanistan- Taliban News: तालिबान के आतंक की खबरें अब इतनी आम हो गयी हैं। कि अब बच्चे- बच्चे भी तालिबान को जानने लगे हैं।

Akshita
Written By AkshitaPublished By Divyanshu Rao
Published on: 19 Aug 2021 2:53 AM GMT (Updated on: 19 Aug 2021 2:53 AM GMT)
तालिबान के लोग
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तालिबान के लोग (फोटो:सोशल मीडिया)

Afghanistan- Taliban News: तालिबान (Taliban) के आतंक की खबरें अब इतनी आम हो गयी हैं कि अब बच्चे - बच्चे भी तालिबान को जानने लगे हैं। अफगानिस्तान (Afghanistan) अब फिर से 20 साल पहली जैसी स्थिति में पहुंच चुका है। तालिबान की वजह से अफगानिस्तान अब 200 साल पीछे चला गया है। हालांकि तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि वे महिलाओं को भी उनके साथ कैबिनेट टीम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब वे बदल चुके हैं। उनकी नीतियों में बदलाव आया है। वे इस्लाम के नियमों के तहत महिलाओं को स्वतंत्रता देंगे।

इसी के साथ में भारत के निवेश को झटका लगा है। राजस्थान की कपड़ा नगरी भीलवाड़ा के कपड़ा क्षेत्र में 200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। दरअसल, राजस्थान में भीलवाड़ा वस्त्रनगरी के रूप में विश्व विख्यात है। यहां से दुनियाभर में कपड़े का निर्यात होता है। अफगानिस्तान के लोग मोटे कपड़े के कुर्ता पायजामा पहनते हैं। यह मोटा कपड़ा भीलवाड़ा में बनता है।

भीलवाड़ा से 12 इकाइयां सालभर में दो करोड़ मीटर कपड़ा भेजती थी

जिसकी अफगानिस्तान में काफी डिमांड है। अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे की वजह से अस्थिरता है। इस वजह से भीलवाड़ा से कपड़े का डिस्पैच बंद हो गया है। अकेले भीलवाड़ा की 12 ज्यादा इकाइयां साल भर में दो करोड़ मीटर कपड़ा अफगानिस्तान भेजती हैं।

सर्दी के सीजन में करीब एक करोड़ मीटर कपड़ा भेजा जाता था

सर्दी की सीजन को देखते हुए अगस्त-सितम्बर में करीब एक करोड़ मीटर कपड़ा अफगानिस्तान भेजा जाता है। यह कपड़ा 80 से 100 रुपए प्रति मीटर होता है। मगर तालिबानी कब्जे के चलते बीते एक माह से अस्थिरता का माहौल है। और सारी बुकिंग अटक गई हैं। इस सीजन का निर्यात फिलहाल टल गया।

भीलवाड़ा से भेजे जाने वाले कपड़े के ऑर्डर को निरस्त कर दिया गया

द चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव आरके जैन बताते हैं कि तालिबानी हमले की वजह से भीलवाड़ा से भेजे जाने वाले कपड़े के ऑर्डर निरस्त हो चुके हैं। भीलवाड़ा के उद्यमियों ने सीजन 2021 के लिए अफगानिस्तान भेजने वाले कपड़े की बुकिंग तो की थी। मगर अब कपड़ा भेजना संभव नहीं हो पा रहा है।

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के कपड़ा फैक्ट्री की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

अफगानिस्तान में व्यापारियों के हालात बहुत खराब हैं। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अफगानिस्तान के कपड़ा व्यापारियों ने भीलवाड़ा से कपड़ा बुक तो करवाया। मगर अब अफगानिस्तान के व्यापारियों से फोन पर सम्पर्क ही नहीं हो पा रहा है।

भीलवाड़ा राजस्थान का सातवां सबसे बड़ा शहर

भीलवाड़ा राजस्थान का सातवां बड़ा शहर है। यहां कपड़े का 25 हजार करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होता है। 100 करोड़ मीटर कपडे़ के उत्‍पादन करने वाले राजस्‍थान के इस शहर पर इन दिनों तालिबान का बुरा असर झेल रहा है अफगानिस्‍तान में हुई तख्ता पलट की कार्यवाही से यहां की टेक्सटाइल इंडस्ट्री सर्वाधिक प्रभावित हुई है। टेक्‍सटाइल सिटी भीलवाड़ा से अफगानिस्‍तान को सालाना 200 करोड़ रुपये अधिक का एक करोड़ मीटर कपड़े का निर्यात होता है।

भीलवाड़ा की कपड़ा फैक्ट्री की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

पिछले करीब 7 से 8 महीनों से निर्यात का चल रहा था सिलसिला

पिछले 7–8 सालों से निर्यात का यह सिलसिला नियमित चल रहा था। लेकिन अब तालिबान के साइड इफेक्ट के चलते पिछले एक महीने से बन्‍द पड़ा है। अफगानिस्‍तान में तालिबानी संघर्ष से एक करोड़ मीटर कपड़े का ऑर्डर रूक गया है। इससे 200 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। अफगानिस्‍तान के लिए भीलवाड़ा से विशेष रूप से लबादा और जाकेट का कपड़ा निर्यात होता है।

सर्दी की शुरूआत के पहले कपड़ों की होती थी अच्छी बुकिंग

सर्दी की शुरूआत से पहले इस कपड़े की अच्‍छी बुकिंग हो जाती थी। मगर इस बार ऐसा नहीं हुआ है। दोनों ईद के त्‍यौहार भी निकल चुके हैं। अब तो मार्च 2022 में आने वाली ईद पर उम्‍मीद टिकी है। भीलवाड़ा में बनने वाले सौ करोड़ मीटर कपडे़ में से 15 प्रतिशत यानी 2000 करोड़ रुपये का 15 करोड़ मीटर कपड़ा निर्यात होता था। जिसमें से 10 प्रतिशत से अधिक 200 करोड़ रुपये का 2 करोड़ मीटर कपड़ा अकेले अफगानिस्‍तान को निर्यात होता था।

जो अब रुक गया है। यही नहीं भीलवाड़ा कपड़ा उद्योग का लगभग सौ करोड़ रुपये का भुगतान भी अफगानिस्‍तान में अटक गया। अब कब तक हालात ऐसे ही बने रहेंगे कुछ कहा नहीं जा सकता है। कुछ देशों ने मदद का करार किया है। पर ये कदम कितना कूटनीतिक होगा ये समय ही बतायेगा।

Divyanshu Rao

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