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Agni Prime Missile Test: अग्नि प्राइम का सफल परीक्षण, राजनाथ ने किया खुशी का इजहार
Agni Prime Missile Test: भारत ने शनिवार को बालासोर में ओडिशा के तट से अग्नि प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
Agni Prime Missile Test: भारत ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अग्नि प्राइम मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण (Agni Prime Missile Test) किया है, जिसकी मारक सीमा (Agni Prime Missile range) 2,000 किलोमीटर तक है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने डीआरडीओ (DRDO) को सफल उड़ान परीक्षण के लिए बधाई दी और सिस्टम के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अपनी खुशी व्यक्त की है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत ने शनिवार को बालासोर में ओडिशा (Balasore Odisha) के तट से अग्नि प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। अग्नि- प्राइम अग्नि श्रेणी की मिसाइलों की नई जेनरेशन का उन्नत संस्करण है। यह एक कनस्टराइज मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किमी के बीच है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस परीक्षण के दौरान परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम सामरिक महत्व की मिसाइल अग्नि प्राइम में कई नए फीचर (Agni Prime Missile features) जोड़े गए हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि मिसाइल ने परीक्षण के दौरान उच्च स्तर की सटीकता के साथ अपने सभी मिशन लक्ष्यों को पूरा किया है। 7 दिसंबर को, देश ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos supersonic cruise missile) के हवाई संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था, जिसे रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) ने ब्रह्मोस के विकास में एक 'प्रमुख मील का पत्थर' बताया था।
मिसाइल का ओडिशा के तट पर चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सुखोई 30 एमकेआई सुपरसोनिक लड़ाकू विमान से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। लगभग उसी समय, चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से वर्टिकली लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (VL-SRSAM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अधिकारियों (DRDO) के अनुसार, वायु रक्षा प्रणाली लगभग 15 किमी की दूरी पर लक्ष्य को भेद सकती है। संगठन ने कहा कि वीएल-एसआरएसएएम, भारतीय नौसेना के लिए डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य समुद्री-स्किमिंग लक्ष्यों सहित निकट सीमा पर विभिन्न हवाई खतरों को बेअसर करना है।
डीआरडीओ द्वारा इस परीक्षण के दौरान टेलीमेट्री, रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल स्टेशन और पूर्वी तट के किनारे स्थित जहाजों को ट्रैक किया गया और मिसाइल मापदंडों की निगरानी की गई। मिसाइल ने उच्च स्तर की सटीकता के साथ सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा करते हुए अपना लक्ष्य पूरा किया।