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IAS Cadre rules: डेपुटेशन संबधी संशोधन से गैर बीजेपी राज्य खफा, ममता-गहलोत की आपत्ति के बाद सोरेन की PM को चिट्ठी

अखिल भारतीय कैडर सेवा नियमों में प्रस्तावित बदलावों के मद्देनजर एक के बाद एक राज्य सरकारें केंद्र के खिलाफ विरोध दर्ज कराने लगे हैं। इस कड़ी में नया नाम जुड़ा है झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का।

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By aman
Published on: 23 Jan 2022 5:25 AM GMT
hemant soren pm modi
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hemant soren pm modi

IAS Cadre rules: अखिल भारतीय कैडर सेवा (All India Cadre Service) नियमों में प्रस्तावित बदलावों के मद्देनजर एक के बाद एक राज्य सरकारें केंद्र के खिलाफ विरोध दर्ज कराने लगे हैं। इस कड़ी में नया नाम जुड़ा है झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) का। हेमंत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की है।

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने प्रस्तावित संशोधन की मंशा तथा उद्देश्य पर ही सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, कि इस संशोधन से राज्य कैडर (state cadre) के अखिल भारतीय सेवा अधिकारी को केंद्र में प्रतिनियुक्ति (deputation) पर बुलाने का रास्ता साफ हो जाएगा। उल्लेखनीय है, कि राज्य को केवल तीन कैडर आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS) और आईएफएस (IFS) की सेवाएं मिलती हैं, जबकि केंद्र में अधिकारियों का एक बड़ा पूल रहता है।

हेमंत सोरेन ने बताई हालत, दी ये दलीलें

हेमंत सोरेन ने कहा, कि झारखंड जैसा राज्य पहले ही अधिकारियों की बड़ी कमी से जूझ रहा है। राज्य में 215 आईएएस अफसरों (IAS officers) के स्वीकृत पदों में से केवल 65 प्रतिशत यानी 140 अधिकारी ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। शेष या तो प्रतिनियुक्ति (deputation) पर हैं या अलग-अलग कार्यों के तहत राज्य के बाहर हैं। वहीं, 149 आईपीएस के स्वीकृत पद के मुकाबले अभी 64 फीसद यानी 95 अधिकारी ही राज्य में सेवा दे रहे हैं। आईएफएस कैडर में स्थिति और खराब है। एक-एक अधिकारी कई विभागों के प्रभार संभाल रहे हैं। जिससे उन पर बोझ बढ़ता है। साथ ही इस कमी के कारण काम भी बाधित होता है। निर्णय लेने में देरी होती है। राज्य की सहमति या एनओसी (NOC) के बिना अधिकारी की अचानक प्रतिनियुक्ति से संकट और बढ़ जाएगा।


केंद्र से तनावपूर्ण रिश्तों को और बढ़ाएगा

हेमंत सोरेन ने आगे कहा, कि 'यह समझना मुश्किल है कि इस तरह के संशोधन शुरू ही क्यों किए जा रहे? इससे नौकरशाही (bureaucracy) को बड़ा नुकसान होगा। यह संशोधन राज्य और केंद्र संबंधों के बीच टकराव बढ़ाएगा। जबकि, पहले से ही बहुत अधिक तनावपूर्ण रिश्ते हैं। यह सहकारी संघवाद के उद्देश्य को विफल कर देगा।' इतना ही नहीं, हेमंत सोरेन ने आशंका जाहिर की, कि केंद्र अखिल भारतीय कैडर के अफसरों पर सीधा नियंत्रण रखना चाहता है और उनका इस्तेमाल राजनीतिक कारणों से भी करना चाहता है।

क्या है मामला?

दरअसल, केंद्र सरकार आईएएस (IAS) और आईपीएस (IPS) अफसरों की प्रतिनियुक्ति के लिए राज्य सरकार की मंजूरी वाली जरूरत अब खत्म करने की तैयारी में है। केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग यानी DOPT ने 12 जनवरी को एक पत्र के जरिए सभी राज्यों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) 1954 के नियम-6 में संशोधन के प्रस्ताव की जानकारी भेजी है। राज्यों से 25 जनवरी तक सुझाव मांगा गया है। इसका मकसद बदलाव में जरूरी संशोधन शामिल किए जाने से है। इसी के बाद कुछ राज्य सरकारों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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