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ऑक्सीजन की कमी पर दो हाईकोर्टों ने लगाई कड़ी फटकार, मौतों को बताया नरसंहार

सरकार के लचर रवैये पर तल्ख टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मरीजों की ये मौतें किसी नरसंहार से कम नहीं है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 5 May 2021 6:49 AM GMT (Updated on: 5 May 2021 6:51 AM GMT)
ऑक्सीजन की कमी पर दो हाईकोर्टों ने लगाई कड़ी फटकार, मौतों को बताया नरसंहार
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श्मशान घाट में जलती चिताएं (फोटो- न्यूजट्रैक)

नई दिल्ली: कोरोना से पीड़ित मरीजों की जान बचाने में नाकामी पर इलाहाबाद और दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मरीजों की मौत को आपराधिक कृत्य बताया है। सरकार के लचर रवैये पर तल्ख टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मरीजों की ये मौतें किसी नरसंहार से कम नहीं है।

उधर दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी दूर करने में सरकार की नाकामी पर तल्ख टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना के संकटकाल में आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छुपा सकते हैं, मगर हम नहीं। कोर्ट ने ऑक्सीजन की आपूर्ति न करने पर कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि आदेश का पालन न करने पर क्यों ना आपके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए।

नहीं दूर हो रहा मरीजों का संकट

दरअसल पिछले कई दिनों से पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी के कारण हाहाकार मचा हुआ है और इस कारण देश के विभिन्न अस्पतालों में कोरोना से पीड़ित काफी संख्या में मरीजों की मौत हो चुकी है। सरकार की कोशिशों के बावजूद विभिन्न अस्पतालों में अभी तक ऑक्सीजन की कमी का संकट दूर नहीं हो सका है।

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी ऑक्सीजन की जबर्दस्त किल्लत महसूस की जा रही है। अस्पतालों में बेड की कमी, स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही और उचित चिकित्सा न मिलने की शिकायतें भी आम है। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई है।

ऑक्सीजन लगाए मरीज (फोटो- न्यूजट्रैक)

मौतों को बताया आपराधिक कृत्य

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह देखना बेहद दुखदायी है कि कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन के बिना मौत हो रही है। हम लोगों को ऐसे कैसे मरने दे सकते हैं। पीठ ने कहा कि यह एक आपराधिक कृत्य है और यह उन लोगों द्वारा किसी नरसंहार से कम नहीं है जिन्हें ऑक्सीजन की खरीद और आपूर्ति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे समय में जब विज्ञान इतनी उन्नति कर गया है कि हृदय प्रतिरोपण और मस्तिष्क तक की सर्जरी की जा रही है, ऐसे में हम ऑक्सीजन की कमी से लोगों को इस तरह कैसे मरने दे सकते हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मामलों की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि लखनऊ व मेरठ में ऑक्सीजन की कमी से कोरोना मरीजों की मौत की खबरें सामने आई हैं। आमतौर पर पीठ सरकार या जिला प्रशासन को ऐसी खबरों की जांच का आदेश नहीं देती है, लेकिन बड़ी संख्या में वकीलों ने भी इन मौतों की पुष्टि की है।

प्रदेश के लगभग सभी जिलों में ऑक्सीजन की किल्लत से ऐसे ही हालात पैदा हो गए हैं। अदालत ने लखनऊ व मेरठ के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे 48 घंटे में इन मामलों की जांच कर रिपोर्ट पेश करें। सरकार को भी इस दिशा में तत्काल कदम उठाना चाहिए।

अच्छा है लॉकडाउन का महत्व समझ में आया

अतिरिक्त एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने अदालत को कर्फ्यू की अवधि बुधवार तक बढ़ाने की जानकारी दी और कहा कि इससे कोरोना के नए मरीजों की संख्या में कमी आई है। इस पर अदालत ने कहा कि अच्छा है कि आखिरकार सरकार को लॉकडाउन का महत्व समझ में आया। अदालत ने 19 अप्रैल को ही पांच दिन का लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था।

दिल्ली हाईकोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रेत में सिर नहीं छुपा सकते

उधर दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में हो रही दिक्कतों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि संकट की इस घड़ी में आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छुपा सकते हैं मगर हम नहीं।

जस्टिस विपिन सांघी व जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले ही निर्देश दिया जा चुका है। अब हाईकोर्ट भी वही बात कह रहा है कि सरकार को जैसे भी हो दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति रोजाना करनी होगी। हाईकोर्ट ने केंद्र की इस दलील को खारिज कर दिया कि मौजूदा ढांचे में दिल्ली 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की हकदार नहीं है।

नहीं संभल रहा तो आईआईएम को सौंपें

हाईकोर्ट ने कहा कि लोगों की जान खतरे में है और दिल्ली ही नहीं पूरा देश ऑक्सीजन के लिए रो रहा है। ऐसी संकटपूर्ण स्थिति में भी केंद्र सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि उसे ऑक्सीजन की कमी को लेकर भावुक नहीं होना चाहिए।

कोर्ट ने सरकार से भविष्य की योजना को लेकर भी सवाल पूछा। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि आपसे हालात नहीं संभल रहे हैं तो आपको यह जिम्मेदारी आईआईएम को सौंप देनी चाहिए। कोर्ट ने अधिकार प्राप्त समूह में आईआईएम सहित अन्य विशेषज्ञों को भी शामिल करने का निर्देश दिया।

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